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जब किसी व्यक्ति के भीतर क्षमता, अनुशासन और आगे बढ़ने का संकल्प होता है, तो कोई भी लक्ष्य बड़ा नहीं रहता। IAS ऋषि गर्ग इसका सबसे जीवंत उदाहरण हैं। सामान्य मध्यमवर्गीय परिवार में जन्मे ऋषि ने पहले IIT में सफलता हासिल की। उसके बाद दो बार UPSC क्लियर कर अपनी मेहनत से प्रशासनिक सेवा में उच्च पद हासिल किया।
बचपन में स्टेज पर बोलने से डरते थे
IAS ऋषि गर्ग का जन्म उत्तर प्रदेश के आगरा जिले में हुआ। पिता PWD में सुपरिटेंडेंट इंजीनियर के पद से सेवानिवृत्त हुए हैं।
ऋषि बचपन से ही गंभीर और पढ़ाई में तेज छात्र रहे। उन्होंने लखनऊ के प्रतिष्ठित सिटी मोंटेसरी स्कूल से पढ़ाई पूरी की। बोर्ड परीक्षाओं में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए उन्हें सम्मानित भी किया गया।
ऋषि गर्ग बचपन से ही इंट्रोवर्ट स्वभाव के थे। कम दोस्त थे। यहां तक की बचपन में उन्हें स्टेज पर जाकर बोलने में भी डर लगता था। ऋषि की पत्नी कोशिका गर्ग हैं, जिन्होंने नोएडा से मैनेजमेंट (MBA) की डिग्री पूरी की है।
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IIT में सफलता, फिर 8 लाख की नौकरी
साल 2004 में ऋषि ने IIT-JEE में शानदार प्रदर्शन करते हुए AIR 249 हासिल की। उन्होंने IIT कानपुर से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में बी टैक किया।
ग्रेजुएशन के बाद उन्होंने मुंबई की एक लीगल फर्म में जॉब की, जहाँ वे अंतरराष्ट्रीय कंपनियों के लिए पेटेंट तैयार करते थे। शुरुआती पैकेज था 8 लाख रुपये प्रतिवर्ष, जो उस समय बेहद आकर्षक माना जाता था।
दोस्त की वजह से आया जिंदगी में मोड़
मुंबई में रहते हुए उनके एक दोस्त ने UPSC की तैयारी के लिए दिल्ली जाने का फैसला किया। इसी घटना ने ऋषि के जीवन की दिशा बदल दी।
उन्होंने यूपीएससी (UPSC) के बारे में जानकारी जुटाई और खुद भी सिविल सेवा में करियर बनाने का निर्णय लिया।
अच्छी तनख्वाह वाली नौकरी छोड़ना आसान नहीं था। लेकिन परिवार और दोस्तों के सहयोग से हिम्मत मिली।
पहले प्रयास में IRS, दूसरे प्रयास में IAS
IAS Rishi Garg ने 2012 में पहली बार UPSC दी और AIR 398 के साथ IRS बन गए। लेकिन, उनका सपना IAS का था। उन्होंने अगले वर्ष फिर परीक्षा दी और इस बार AIR 49 अर्जित कर 2013 बैच के IAS अधिकारी बने।
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'जनता की योजना जनता के द्वार'
हरदा में कलेक्टर रहते हुए उन्होंने कई नवाचार किए, जिनसे प्रशासन लोगों के और करीब आया। ग्राम स्तर पर शिविर बनाकर सेवाएं पहुंचाना उनकी सबसे बड़ी पहल रही। जिले में ग्राम चौपाल, साइबर सखी, समरसता शिविर, क्लस्टर क्रेडिट कैंप, वसुमता कैंप, जल ज्योतिर्मय कैंप, जीवनम स्वास्थ्य शिविर जैसे नवाचार उन्होंने किये।
व्हाट्सऐप पर आई शिकायत पर मिली व्हीलचेयर
हरदा के डगावानीमा निवासी एक दिव्यांग युवक प्रवीण पिता रेवाराम हुरमाले ने जिला प्रशासन के WhatsApp नंबर पर मदद मांगी। कुछ ही समय में कलेक्टर ऋषि गर्ग ने उन्हें व्हीलचेयर उपलब्ध कराई।
प्रवीण को यह इतनी जल्दी मिलने की उम्मीद नहीं थी। उन्होंने सोशल मीडिया पर कलेक्टर की जमकर प्रशंसा की।
हरदा प्रशासन की यह सेवा ‘हर-दम हरदा’ का हिस्सा है। 94 शिकायतों में से 52 शिकायतों का समाधान तुरंत कर दिया गया है।
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विवाद में भी घिरे
श्योपुर में जिला पंचायत CEO रहते हुए एक होमगार्ड सैनिक को कलेक्टर कार्यालय के चक्कर लगवाने के आरोप को लेकर विवाद हुआ।
होमगार्ड कर्मचारियों ने इसका विरोध किया और कार्रवाई की मांग की। हालाँकि यह मामला प्रशासनिक विवाद था और इस पर आगे जाँच माँगी गई।
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फेसबुक पेज पर लाइक्स बढ़ाने को लेकर रहे चर्चा में
आईएएस ऋषि गर्ग अपने पेज की पहुंच बढ़ाने के लिए फेसबुक पर पेड प्रमोशन का सहारा लेने के कारण चर्चा में रहे थे। प्रमोशन के बाद उनके पेज के लाइक्स और फॉलोअर्स तेज़ी से बढ़ गये थे।
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खेलों के हैं उन्हें शौकीन
ऋषि गर्ग को बैडमिंटन और टेबल टेनिस खेलने का शौक़ है। इसके अलावा उन्हें, संगीत और किताबें पढ़ने में भी रुचि है।
करियर एक नजर
नाम: आईएएस ऋषि गर्ग
जन्म: 13-11-1985
जन्मस्थान: आगरा
एजुकेशन: बीटैक
बैच: 2013
कैडर: मध्य प्रदेश
पदस्थापना
IAS Rishi Garg वर्तमान में सदस्य सचिव एवं आयुक्त, राज्य योजना आयोग तथा आर्थिक एवं सांख्यिकी, मध्यप्रदेश के पद पर कार्यरत हैं। इसके पहले वो कलेक्टर, हरदा, अनुविभागीय अधिकारी (SDM), नरसिंहगढ़, श्योपुर, छिंदवाड़ा और उज्जैन में महत्वपूर्ण जिम्मेदारियाँ निभा चुके हैं।
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देखें आईएएस ऋषि गर्ग का सर्विस रिकॉर्ड
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मध्यमवर्गीय परिवार से IIT तक पहुँचना, 8 लाख की नौकरी छोड़ना, फिर दो बार UPSC पास करके IAS बनना यह सब उनकी दृढ़ इच्छाशक्ति का प्रमाण है। उनका फोकस हमेशा यही रहा है कि योजनाओं का लाभ अंतिम नागरिक तक पहुँचे।
FAQ
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