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जहां आज की युवा पीढ़ी असफलता से निराश होकर अपने लक्ष्य से भटक जाती है, वहीं ऋतुराज सिंह जैसे अधिकारी इस बात का प्रमाण हैं कि असफलता ही व्यक्ति को सफलता की राह दिखाती है। 2015 बैच के आईएएस ऋतुराज सिंह ने यह साबित कर दिया कि यदि संकल्प मजबूत हो, तो कोई भी बाधा रास्ता नहीं रोक सकती। भले ही वे IIT की परीक्षा में सफल नहीं हो पाए, लेकिन अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति और निरंतर प्रयासों के दम पर उन्होंने देश की सर्वोच्च सेवा-भारतीय प्रशासनिक सेवा, में अपनी जगह बना ली।
आज वे UPSC की तैयारी कर रहे हजारों युवाओं के लिए प्रेरणा का स्त्रोत हैं। इस साल जब उन्होंने देवास जिले के कलेक्टर के रूप में कार्यभार संभाला, तो शुरुआत में ही उन्होंने स्पष्ट कर दिया कि उनकी प्राथमिकता आम जनता की समस्याओं का समयबद्ध समाधान और जिले में कानून व्यवस्था को सुदृढ़ बनाना रहेगा।
काम में लापरवाही बर्दाश्त नहीं
कलेक्टर का मानना है कि नागरिकों को समय पर सेवाएं देना शासन की पहली प्राथमिकता होनी चाहिए। जब उन्हें पता चला कि कई नागरिकों की समस्याएं महीनों से लंबित थीं, तो उन्होंने लोक सेवा गारंटी अधिनियम 2010 के तहत जिले के 8 तहसीलदारों पर अर्थदंड अधिरोपित कर सख्त संदेश दिया। उन्होंने स्पष्ट कहा कि मामलों का समय पर निपटारा न होना लापरवाही का संकेत है, जिसे किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
वन स्टॉप सेंटर की प्रशासक को किया निलंबित
कलेक्टर ने जिले के नव-निर्मित मेटरनिटी अस्पताल का निरीक्षण किया, जहां उन्होंने न केवल स्टाफ से संवाद किया बल्कि मरीजों से भी फीडबैक लिया। उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि किसी भी प्रकार की सेवा में पैसे की मांग न हो। इस दौरान उन्होंने लापरवाही पर सख्ती दिखाते हुए वन स्टॉप सेंटर की प्रशासक गीता ठाकुर को गैरहाजिरी के चलते निलंबित कर दिया, जो दोपहर 12:30 बजे तक उपस्थित नहीं थीं। महिलाओं की भीड़ को देखते हुए उन्होंने टोकन सिस्टम लागू करने की सिफारिश की ताकि व्यवस्था बेहतर हो सके।
राजस्व निरीक्षक पर भी गिरी गाज
राजस्व कार्यों में पारदर्शिता को बढ़ावा देने के लिए कलेक्टर ने एक राजस्व निरीक्षक को निलंबित कर दिया। उस पर सीमांकन के लिए पैसे मांगने और समय पर काम न करने के आरोप थे। इससे स्पष्ट है कि भ्रष्टाचार और कामचोरी को लेकर कलेक्टर की नीति ‘जीरो टॉलरेंस’ की है।
अपराधियों पर सख्ती, जिलाबदर का आदेश
कलेक्टर एवं जिला दण्डाधिकारी के रूप में IAS ऋतुराज सिंह ने आपराधिक गतिविधियों में लिप्त शैलेंद्र पंवार को मध्यप्रदेश राज्य सुरक्षा अधिनियम के तहत एक साल के लिए जिलाबदर कर दिया है। यह कड़ा कदम बताता है कि वे कानून-व्यवस्था के प्रति कोई समझौता नहीं करने वाले अफसर हैं।
शुरुआती पढ़ाई से लेकर IAS बनने तक का सफर
ऋतुराज ने प्रारंभिक शिक्षा झारखंड के साहिबगंज के सेंट जेवियर इंग्लिश मीडियम स्कूल से पूरी की। इसके बाद उन्होंने दिल्ली से इंटरमीडिएट किया और फिर बैंगलुरु से इंजीनियरिंग (B.Tech) की पढ़ाई पूरी की। इंजीनियर बनने के बाद उन्होंने इंफोसिस में नौकरी की, लेकिन जल्दी ही उन्हें एहसास हुआ कि उनकी मंजिल कुछ और है। अपने पिता से बात कर नौकरी छोड़ने का फैसला लिया। उनके पिता गोकुल प्रसाद सिंह, रेलवे में कर्मचारी रहे हैं और वर्तमान में रिटायर्ड हैं। उन्होंने हमेशा बेटे से कहा— “मुझसे आगे जाना, ग्रेड टू में पहुंचना।” उन्होंने यह सपना पूरा किया और IAS अफसर बनकर परिवार का नाम रोशन किया।
पहले प्रयास में पायी सफलता
कहते हैं जब आप दृणनिश्चय के साथ किसी चीज को पाने के लिए पूरे समर्पण के साथ मेहनत करते हैं तो रास्ते अपने आप बनते जाते हैं। इंफ़ोसिस में 6 महीने नौकरी करने के बाद वो एक बार फिर दिल्ली पहुंचे और यूपीएसई की तैयारी शुरू की। डेढ़ साल की मेहनत के बाद 2014 की UPSC परीक्षा में उनकी रंग लाई और पहले ही प्रयास में उन्हें 69 रैंक प्राप्त हुई।
‘लक्ष्य से भटक गया था इसलिए नहीं निकाल पाया आईआईटी’
सिंह बताते हैं कि जब पहली बार आईआईटी की तैयारी के लिये दिल्ली पहुंचे तो वहां की चकाचौंध में वो लक्ष्य से भटक गए, पढ़ाई से उनका मन उठ गया। इसी वजह से आईआईटी तो दूर उन्हें अच्छे कॉलेज में एडमिशन तक नहीं मिला और फिर बैंगलुरु से उन्होंने बीई किया।
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असफलता ने ही दिलाई मंजिल
आईएएस ऋतुराज कहते हैं कि जब वो दोबारा यूपीएससी की तैयारी के लिए दिल्ली गये तो उन्होंने आत्ममंथन किया और पहले की गलतियों को सुधारा। वो कहते हैं असफलता आपको बहुत कुछ सिखाती है। इंजीनियरिंग के समय में बार-बार बीच में घर भाग जाता था और उससे रिदम टूट जाती थी। सफल होने के लिए मोमेंटम बना रहना जरुरी है। इसलिए यूपीएससी की तैयारी के समय में मैंने बीच में कोई ब्रेक नहीं लिया। पूरे ढाई साल तक दिल्ली में ही रहकर पढ़ाई की।
हर दिन 12 घंटे करते थे पढ़ाई
पढ़ाई में शुरू से अच्छे होने के बाद भी उन्हें यूपीएसई निकालने के लिए खूब मेहनत करनी पढ़ी। हर दिन कम से कम 12 पढ़ते थे। यूपीएससी प्रत्याशियों के लिए टिप्स देते हुए सिंह कहते हैं प्रारंभिक परीक्षा के लिए डिटेल में पढ़ाई जरूरी है। एक-एक टॉपिक अच्छे से तैयार करें। मेंस के नोट्स बनाकर राइटिंग पर ध्यान दें और इंटरव्यू के लिए ग्रुप डिस्कशन करे। जिन लोगों का चयन हुआ है उनसे बात करें।
पत्नी ने किया हमेशा सपोर्ट
ऋतुराज सिंह और उनकी पत्नी इंफोसिस में एक साथ नौकरी करते थे। लेकिन, 6 महीने बाद ही वो उन्हें छोड़कर दिल्ली चले गए। ढाई साल तक मुलाकात नहीं हुई और आईएएस में सिलेक्शन के बाद ही वो उनसे मिले और शादी की।
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शराब दुकानों को लेकर विवाद में रहे सिंह
देवास से सांसद महेंiद्र सोलंकी और देवास कलेक्टर की बातचीत का एक वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुआ था। वायरल वीडियो में सांसद नई शराब दुकान हटाने को लेकर कलेक्टर सिंह से फोन पर बात कर रहे थे। उन्होंने कहा कि मैं दुकान हटाने की बात कर रहा हूं और आप उल्टा ठेकेदारों को प्रोटेक्शन दे रहे है? जनता के हिसाब से चलेंगे या नियम के हिसाब से चलेंगे। आप ये चाहते है कि मैं जनता के साथ रोड पर खड़ा हो जाऊं? अच्छा लगेगा मैसेज जाएगा ये? आप इमीजीयेट दुकान बंद करवाये।
- नाम- ऋतुराज
- जन्मदिनांक- 1-2-1990
- जन्मस्थान- झारखंड
- एजुकेशन- बीई
- बैच- 2015
- कैडर- मध्यप्रदेश
पदस्थापना
2015 बैच के आईएएस ऋतुराज सिंह वर्तमान में देवास कलेक्टर के रूप में कार्यरत हैं। इसके पहले वो भोपाल में जिला पंचायत अधिकारी थे। उनकी पहली पोस्टिंग रतलाम में असिस्टेंट कलेक्टर के रूप में हुई थी। उसके बाद वो भारत सरकार में डेपुटेशन पर थे फिर उनकी तैनाती सिंगरौली में SDO के रूप में हुई थी।
देखें ऋतुराज सिंह की सर्विस प्रोफाइल: (Update: June 30)
IAS ऋतुराज सिंह की कहानी हमें सिखाती है कि असफलता अंत नहीं, एक नई शुरुआत होती है। उन्होंने अपनी हार को ताकत बनाया और दृढ़ संकल्प, मेहनत और अनुशासन से सफलता की ऊंचाइयों को छुआ। उनका जीवन संघर्षरत युवाओं के लिए प्रेरणा और मार्गदर्शन का उज्ज्वल स्रोत है।
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