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अगर कोई अधिकारी समाज में कुछ सकारात्मक बदलाव लाने की ठान ले, तो वो सिर्फ नीतियों का पालनकर्ता नहीं, बल्कि बदलाव का सूत्रधार बन जाता है। ऐसे ही एक अधिकारी हैं आईएएस रौशन कुमार सिंह— जिनके काम करने की शैली, सोच और संवेदनशीलता ने उन्हें आम जनता के बीच एक प्रेरणादायी अफसर के रूप में स्थापित कर दिया है। जनसेवा उनके लिए सिर्फ एक दायित्व नहीं, बल्कि उनका जुनून है।
विदिशा जिले में कलेक्टर रहते हुए उन्होंने यह साबित कर दिया कि सीमित समय में भी यदि इच्छाशक्ति हो तो बहुत कुछ बदला जा सकता है। चाहे शिक्षा क्षेत्र में अनुशासन स्थापित करना हो, स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करना हो, किसानों को नई दिशा देनी हो या महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाना — रौशन कुमार सिंह ने हर पहलू पर पूरे समर्पण से कार्य किया।
विदिशा के बाद जब उन्होंने उज्जैन की कमान संभाली, तो उनका समर्पण और अधिक स्पष्ट हो गया। स्कूलों का औचक निरीक्षण, नदी घाटों की योजनाओं पर अमल, जनसुनवाइयों में व्यक्तिगत रूप से गरीब छात्राओं की समस्याएं सुनना और तत्काल समाधान करना — ये सभी कार्य सिर्फ एक जिम्मेदार अफसर की छवि नहीं, बल्कि एक संवेदनशील समाज सेवक की पहचान बनाते हैं।
एमएनसी में जाने की जगह प्रशासनिक अधिकारी बनने की ठानी
राँची में 2 जुलाई 1985 को जन्में रौशन कुमार सिंह की स्कूली शिक्षा ‘विकास विद्यालय’ से हुई। सामान्य पारिवारिक पृष्ठभूमि से आने वाले रौशन सिंह ने आईआईटी कानपुर से बीटेक और एमटेक की डिग्री ली। तकनीकी क्षेत्र में उनके पास करियर की कई संभावनाएं थीं, लेकिन उन्होंने देश सेवा का मार्ग चुना।
शुरुआत में उन्होंने एनटीपीसी में इंजीनियर के रूप में कार्य किया और इसी दौरान उन्होंने सिविल सेवा की तैयारी भी शुरू की। पहले उनका चयन भारतीय राजस्व सेवा (IRS) में हुआ, लेकिन उनका सपना स्पष्ट था कि उन्हें IAS अधिकारी ही बनना है। अपने लक्ष्य के प्रति दृढ़ निश्चय के साथ उन्होंने दोबारा UPSC परीक्षा दी और इस बार उन्हें भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) में चयनित होने का गौरव प्राप्त हुआ। खेलों में रुचि रखने वाले रौशन कुमार को क्रिकेट का खास शौक है।
जमीन से जुड़े अधिकारी हैं रौशन कुमार
रौशन कुमार सिंह सिर्फ योजनाओं को लागू करवाने में यकीन नहीं करते हैं, बल्कि जमीन पर उतरकर उनके प्रभाव को भी खुद महसूस करते हैं। वे अक्सर बिना पूर्व सूचना के स्कूलों, अस्पतालों और गांवों का निरीक्षण करते हैं ताकि वास्तविक स्थिति से रूबरू हो सकें।
खुद कॉल करके पूछते हैं
रौशन कुमार सिंह की कार्यशैली पारंपरिक प्रशासनिक ढर्रे से अलग है। वे लोगों से सीधा संवाद करते हैं और स्वयं उनकी समस्याओं का समाधान खोजते हैं। उज्जैन में तैनाती के पहले ही दिन से उन्होंने यह स्पष्ट कर दिया था कि वे केवल सरकारी बैठकों तक सीमित नहीं रहेंगे, बल्कि जमीनी हकीकत जानकर सुधारों को गति देंगे। सीएम हेल्पलाइन पर आने वाली हर शिकायत को वो खुद देखते हैं। कभी भी किसी भी शिकायतकर्ता को कॉल कर फॉलोअप करते हैं और तब तक शांति से नहीं बैठते जब तक समाधान न हो जाए।
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कई महिलाओं को बनाया आत्मनिर्भर
रौशन कुमार सिंह महिला सशक्तिकरण को प्रशासनिक प्राथमिकता मानते हैं। उन्होंने स्वयं सहायता समूहों को बढ़ावा देकर महिलाओं को रोजगार से जोड़ने की दिशा में बड़े कदम उठाए हैं। विदिशा में उनके नेतृत्व में गोबर से दीपक बनाकर महिलाओं ने दिवाली के अवसर पर बाजार में अच्छी कमाई की। उज्जैन में भी वे इसी मॉडल को अपनाने की दिशा में कार्य कर रहे हैं। कोविड के दौरान जब उनकी पोस्टिंग मुरेना में ज़िला पंचायत सीईओ के रूप में थी तब रोशन ने महिलाओं को मास्क, पीपीटी किट और सैनिटाइजर बनाने के काम से जोड़ा और उन्हें बड़े ऑर्डर दिलवाकर उन्हें आत्मनिर्भर बनाया।
किसानों की आय बढ़ी पांच गुना
रौशन कुमार सिंह ने अपने मुरैना कार्यकाल के दौरान किसानों को पारंपरिक सरसों जैसी फसलों की जगह मौसंबी, अश्वगंधा, संतरा, अमरूद और दूसरी फसल लगाने के लिए प्रेरित किया। इससे किसानों का मुनाफा पांच से छह गुना बढ़ तक बढ़ गया।
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स्कूल खुलते ही पहुंचे निरीक्षण करने
16 जून से जैसे ही प्रदेश के शासकीय विद्यालयों में कक्षाएं शुरू हुईं, उसी दिन उज्जैन कलेक्टर रौशन कुमार सिंह महिदपुर के शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय खेड़ा खजुरिया में औचक निरीक्षण के लिए पहुंच गए। यहां उन्होंने विद्यार्थियों की उपस्थिति, शिक्षकों की हाजिरी और व्यवस्थाओं का गहन मूल्यांकन किया। उन्होंने स्पष्ट निर्देश दिए कि सभी शिक्षक बायोमेट्रिक सिस्टम से उपस्थिति दर्ज करें और सभी विद्यार्थियों को समय पर निशुल्क पाठ्यपुस्तकें उपलब्ध कराई जाएं।
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आधे घंटे में दिलवाया मूल निवासी प्रमाण पत्र
जनसुनवाई के दौरान जब ग्राम आलमपुर की छात्रा रोशनी शर्मा अपनी वर्षों पुरानी मूल निवासी प्रमाण पत्र से जुड़ी परेशानी लेकर पहुंची, तो कलेक्टर ने मात्र आधे घंटे में उसका प्रमाण पत्र जारी करवा दिया। यह वही लड़की थी जो अपने पिता की मृत्यु के बाद कई बार प्रयास करने के बावजूद दस्तावेज नहीं बनवा पाई थी।
शिप्रा नदी पर नए घाटों का मोटर बोट से निरीक्षण
इस समय उज्जैन कलेक्टर के रूप में रौशन कुमार सिंह की सबसे बड़ी ज़िम्मेदारी आगामी सिंहस्थ की तैयारी है इसके लिए शिप्रा नदी में घाटों के निर्माण की योजना को मूर्त रूप देने के लिए कलेक्टर ने मोटर बोट से 29 किलोमीटर क्षेत्र का निरीक्षण किया। त्रिवेणी घाट से लेकर रामघाट, ऋण मुक्तेश्वर घाट, लालपुर और भूखी माता घाट तक के भ्रमण में उन्होंने घाटों की गहराई, सीढ़ियों की संख्या और आवश्यक निर्माण कार्यों का जायजा लिया। जल संसाधन विभाग और नगर निगम के अधिकारियों को समयसीमा में कार्य पूरा करने के स्पष्ट निर्देश दिए गए। साथ ही घाटों पर वाटर एटीएम लगाने के निर्देश भी दिए गए।
- नाम- रौशन कुमार सिंह
- जन्म दिनांक- 2-2-1975
- जन्मस्थान- राँची, झारखंड
- एजुकेशन- बीटेक, एमटेक
- बैच- 2015
- केडर- मध्य प्रदेश
पदस्थापना
2015 बैच के IAS अधिकारी रौशन कुमार सिंह वर्तमान में उज्जैन जिले के कलेक्टर (Ujjain Collector) के रूप में कार्यरत हैं। इसके पहले वो विदिशा कलेक्टर थे। उसके पहले वो भोपाल जनसंपर्क विभाग में पदस्थापित थे। 2022 में उज्जैन में ही वो नगर निगम कमिश्नर के पद पर रह चुके हैं और उस दौरान उन्होंने राजस्व बढ़ाने के लिए कई नवाचार किए थे। वो मुरैना और खंडवा में जिला पंचायत अधिकारी के रूप में भी काम कर चुके हैं।
देखें रौशन कुमार सिंह की सर्विस प्रोफाइल: (Update: 27 जून 2025)
कह सकते हैं कि रौशन कुमार सिंह सिर्फ एक प्रशासनिक अधिकारी नहीं, बल्कि एक समर्पित जनसेवक की भूमिका निभा रहे हैं। उनका कार्य, दृष्टिकोण और संवेदनशीलता यह दिखाते हैं कि एक कलेक्टर सिर्फ फाइलों तक सीमित नहीं होता, वह जमीनी स्तर पर जाकर परिवर्तन की आधारशिला रख सकता है।
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