राजस्थान के ऊर्जा विभाग के प्रमुख सचिव और वरिष्ठ IAS अजिताभ शर्मा ने प्रशासनिक कार्यशैली पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने अपनी लिंक्डइन पोस्ट में कहा कि आईएएस अधिकारियों का 80% समय गैर-जरूरी कामों में बर्बाद होता है। इससे विभागों के कोर कार्य प्रभावित होते हैं। उनकी इस पोस्ट ने प्रशासनिक हलकों में बहस छेड़ दी है। यह मुद्दा अधिकारियों के समय प्रबंधन और प्रशासनिक सुधार की आवश्यकता को दर्शाता है।
80% समय गैर-जरूरी कामों में खर्च
अजिताभ शर्मा ने अपनी पोस्ट में लिखा कि उनका अधिकांश समय बैठकें, कर्मचारियों और मानव संसाधन से जुड़े मुद्दे, मुकदमे का निपटारा, आरटीआई आवेदन और पत्रों के जवाब देने और रिपोर्ट तैयार करने जैसे कार्यों में चला जाता है। उन्होंने इन कार्यों को नॉन-कोर (non-core) काम मानते हुए कहा कि ये कार्य प्रशासनिक कार्यशैली में अव्यवस्था का कारण बनते हैं। उनका मानना है कि इस तरह के कार्यों में समय बिताने से सरकारी अधिकारियों को विभागीय मुख्य कार्यों के लिए समय नहीं मिल पाता।
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कोर वर्क और गैर-कोर कार्यों का अंतर
अजिताभ शर्मा के अनुसार प्रत्येक विभाग का कोर वर्क (core work) अलग-अलग होता है। लेकिन इन नॉन-कोर कार्यों की अधिकता से अधिकारियों को विशेषज्ञ प्रशासक बनने का गलत अहसास हो सकता है, जो दीर्घकालिक रूप में विभागीय सेवा की गुणवत्ता को प्रभावित करता है। उन्होंने ऊर्जा विभाग का उदाहरण देते हुए बताया कि इस क्षेत्र में कोर वर्क पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है। उनका मानना है कि असली चुनौती विभागीय कार्यों को प्रभावी तरीके से पूरा करने की है, जो समाज और संस्थान के लिए वास्तव में योगदान प्रदान करती है।
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आईएएस की काम के तरीकों पर सवाल
यह पोस्ट प्रशासनिक सुधारों की आवश्यकता पर जोर देती है। शर्मा के विचारों ने आईएएस अधिकारियों के कार्यों की प्रकृति पर बहस छेड़ दी है और यह सवाल उठाया है कि क्या प्रशासनिक प्रणाली को अधिक प्रभावी तरीके से चलाने के लिए बदलाव की आवश्यकता नहीं है। उनका मानना है कि अधिकारियों को अपने 80% समय कोर कार्यों में लगाना चाहिए, जिससे सरकार के प्रमुख कामों को बेहतर तरीके से पूरा किया जा सके।
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अजिताभ शर्मा का प्रशासन में योगदान
अजिताभ शर्मा को एक तेज-तर्रार और बेबाक अफसर के रूप में जाना जाता है। उन्होंने गहलोत सरकार में एक साल तक मुख्यमंत्री के सचिव के रूप में काम किया। इसके बाद उनका तबादला ऊर्जा विभाग में हुआ, जहां उन्होंने कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया। शर्मा के कार्यों को राजस्थान के प्रशासनिक सुधारों के हिस्से के रूप में देखा जा सकता है, खासकर उनकी भूमिका "राइजिंग राजस्थान" आयोजन में, जो जनवरी 2024 में उद्योग विभाग के प्रमुख सचिव के रूप में थी।
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सरकारी कार्यों के निपटान में तेजी जरूरी
IAS अजिताभ शर्मा का यह दावा प्रशासनिक सुधार की आवश्यकता की ओर इशारा करता है। उनके विचारों ने यह सवाल खड़ा किया है कि क्या हमें एक और अधिक सुव्यवस्थित और परिणाम-उन्मुख प्रशासनिक ढांचे की आवश्यकता नहीं है, जो न केवल अधिकारियों के समय का बेहतर उपयोग कर सके, बल्कि सरकारी कार्यों को तेज और प्रभावी रूप से पूरा भी कर सके।
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