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IAS Aditi Garg
आज जब अधिकतर युवा पढ़ाई के बाद विदेश जाकर नौकरी के सपने को सच करने में जुटे हैं, वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं जो अपने करियर से पहले देश सेवा को महत्व देते हैं। इन्हीं में से एक हैं आईएएस अदिति गर्ग, जिन्होंने प्रशासनिक सेवा में आने के लिए विदेश की आकर्षक नौकरी को ठुकरा दिया।
मध्य प्रदेश के कटनी जिले की अदिति गर्ग का सफर उन सभी युवाओं के लिए प्रेरणा है, जो कठिन परिस्थितियों में भी अपने सपनों को साकार करने का साहस रखते हैं। विदेश में पढ़ाई और शानदार करियर के अवसर छोड़कर उन्होंने मातृभूमि की सेवा का मार्ग चुना और यूपीएससी परीक्षा में 54वीं रैंक प्राप्त कर वे 2015 बैच की आईएएस अधिकारी बनीं।
कटनी जिले के छोटे से गाँव धरवारा से निकलकर अदिति ने यह साबित कर दिया कि मजबूत संकल्प, निरंतर मेहनत और सकारात्मक सोच के साथ कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं होता।
पिता से मिली आईएएस बनने की प्रेरणा
अदिति के पिता ओपी गर्ग रिटायर्ड IPS अधिकारी हैं। वो मध्य प्रदेश में पुलिस महानिदेशक के पद पर रह चुके हैं। घर का प्रशासनिक माहौल बचपन से ही उनमें देश सेवा की भावना जगाता रहा। अदिति बताती हैं कि बचपन में जब वह पिता के संपर्क में आने वाले वरिष्ठ अधिकारियों को देखती थीं, तभी उनके मन में यह ठान लिया था कि भविष्य में वे भी अपने पिता की तरह प्रशासनिक सेवा में योगदान देंगी। अदिति गर्ग दो बच्चों की माँ हैं और उनके पति सागर श्रीवास्तव IRS अधिकारी हैं।
विदेश में पढ़ाई, फिर भी देश सेवा की राह पकड़ी
अदिति ने 2004 में मुंबई यूनिवर्सिटी से इकोनॉमिक्स में ग्रेजुएशन किया और 2006 में लंदन यूनिवर्सिटी ऑफ वॉरविक से पोस्ट ग्रेजुएशन। पीजी के बाद उन्होंने लंदन में मैनेजमेंट कंसल्टेंट के तौर पर काम शुरू किया। लेकिन विदेश की नौकरी की चमक भी उनके मन में छिपे देश सेवा के जज्बे को दबा नहीं सकी। इंग्लैंड से लौटकर उन्होंने यूपीएससी की तैयारी शुरू की। पहले उनका चयन इंडियन इंजीनियरिंग सर्विस (IES) में हुआ। उसके बाद इंडियन रेवन्यू सर्विस (आईआरएस) और फिर भारतीय प्रशासनिक सेवा में हुआ। अदिति गर्ग को किताबें पढ़ने ख़ासतौर पर कविताओं में बहुत रुचि है। इसके अलावा संगीत और साहित्य से उन्हें ख़ासा लगाव है।
मानसिकता की परख है यूपीएससी
अदिति गर्ग कही हैं – यूपीएससी केवल परीक्षा नहीं है, यह आपकी मानसिकता की परख है। जीवन में जो विषम परिस्थितियाँ आती हैं, आप उनका सामना कैसे करते हैं, यह परीक्षा उसी का प्रतिबिंब है। यह ज्ञान के साथ ही आपके दृष्टिकोण और धैर्य की जाँच भी है। सफल होने के लिए सबसे ज्यादा ज़रूरी है सकारात्मक सोच क्योंकि कमियां निकालना बहुत आसान होता है। लेकिन सकारात्मक सोच के साथ परेशानियों का हल निकालना ही विजेता की पहचान है। परीक्षार्थियों को सफल होने की टिप्स देते हुए वो कहती हैं- जो भी प्रश्न आएं, उन्हें सकारात्मक नजरिये से लें। हताश न हों, अपने ज्ञान, हुनर और तैयारी को आत्मविश्वास के साथ प्रस्तुत करें। परिणाम की चिंता छोड़ अपना सर्वश्रेष्ठ दें।
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नो वर्क ऑन हॉलिडे
अदिति गर्ग का छुट्टियों में काम को लेकर हुआ एक ट्वीट बहुत वायरल हुआ था। उन्होंने लिखा था कि सरकारी सेवा में छुट्टियों और वीकेंड के दौरान काम करवाने की परंपरा अस्वस्थ है। काम को जरुरी और तात्कालिक बताकर स्टाफ पर अनावश्यक दबाव बनाना गलत है। अदिति का मानना है कि गुणवत्तापूर्ण कार्य तभी संभव है जब कर्मचारियों के निजी समय का सम्मान हो। उनका कहना है कि अच्छा काम प्रोफेशनलिज्म से आता है, न कि झूठे तात्कालिक दबाव से।
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मुख्यमंत्री उत्कृष्टता पुरस्कार
आईएएस अदिति गर्ग को साल 2022-23 के दौरान आयुष्मान कार्ड बनाने में नवाचार लाने के लिए 2025 में मुख्यमंत्री उत्कृष्टता पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
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करियर एक नज़र
नाम: अदिति गर्ग
जन्मदिनांक: 15-12-1983
जन्मस्थान: कटनी
एजुकेशन: एमएससी (इकोनॉमिक्स एंड फाइनेंस) यूके
बैच: 2015
कैडर: मध्यप्रदेश
पदस्थापना
वर्तमान में अदिति गर्ग मंदसौर की कलेक्टर हैं। इसके पहले वो खंडवा में असिस्टेंट कलेक्टर और इंदौर में स्मार्ट सिटी की सीईओ रह चुकी हैं। वो सीएम ऑफिस में उप सचिव के पद पर भी तैनात रहीं हैं। इसके पहले भी महिला एवं बाल विभाग की पूर्व उप सचिव और महिला एवं वित्त विकास निगम के अलावा संचालक स्वास्थ्य सेवाएं की जवाबदारी संभाल चुकी हैं। उनकी पहचान एक संवेदनशील और जमीनी स्तर पर काम करने वाले अधिकारी के रूप में है।
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देखें अदिति गर्ग का सर्विस प्रोफाइल: Updated: July 28
FAQ
अदिति की यात्रा हर लड़की और युवाओं को यह प्रेरणा देती है कि अगर सही सोच, मार्गदर्शन और दृण निश्चय के साथ आप काम करेंगे तो दुनिया की कोई भी ताक़त आपको ऊँचाइयों को छूने से नहीं रोक सकती। विदेश की सुविधाएँ छोड़कर मातृभूमि की सेवा का जो संकल्प उन्होंने लिया, वही उन्हें खास बनाता है। उनकी सोच बताती है कि प्रशासन में केवल पद नहीं, बल्कि संवेदनशील दृष्टिकोण और सकारात्मक मानसिकता ही असली ताकत है।
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