IAS बालागुरु के पिता करते थे मजदूरी, मजबूत इरादों से गरीबी को मात देकर बेटा बन गया कलेक्टर

IAS बालागुरु की कहानी संघर्ष, संकल्प और सफलता की मिसाल है। एक मजदूर के बेटे से सीहोर कलेक्टर बनने तक का उनका सफर युवाओं को सपने देखने और उन्हें साकार करने की प्रेरणा देता है। पढ़ाई, मेहनत और हिम्मत से उन्होंने नामुमकिन को मुमकिन कर दिखाया।

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Abhilasha Saksena Chakraborty
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Sehore collector IAS Balaguru K
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जीवन में कुछ कर दिखाने के सपने तो कई लोग देखते हैं, लेकिन वक्त के साथ ये सपने या तो हालातों के सामने झुक जाते हैं या जिम्मेदारियों में कहीं खो जाते हैं। लेकिन IAS बालगुरु की कहानी इस भीड़ से अलग है। उन्होंने ना सिर्फ सपने देखे, बल्कि उन्हें साकार भी कर दिखाया।

अपनी आर्थिक स्थिति से हार नहीं मानने वाले बालागुरु आज हर युवा के लिए प्रेरणा हैं। उन्होंनें कभी डिलीवरी बॉय तो कभी सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी कर आईएएस बनने का लक्ष्य पूरा किया। उनका मानना है कि परिस्थितियां कितनी भी कठिन क्यों न हों, अगर आत्मविश्वास मजबूत है, तो हर समस्या का समाधान निकलता है। 

तमिलनाडु के छोटे से गांव से शुरू हुई उम्मीद की राह

तमिलनाडु के एक छोटे से गांव  थेरापडी में जन्मे बालागुरु के पिता दिहाड़ी मजदूर थे। प्रारंभिक शिक्षा गाँव में ही तमिल माध्यम में पूरी की। शुरू से ही पढ़ने में अच्छे थे तो नेशनल टैलेंट सर्च परीक्षा पास की और बारहवीं तक की पढ़ाई स्कालरशिप से पूरी की।

बचपन से ही अखबार और मैगजीन पढ़ने में रुचि थी लेकिन वो इन्हें खरीद नहीं सकते थे इसलिए घर के पास एक नाई की दुकान में घंटों बैठकर पढ़ते रहते थे। यहीं से उनकी आईएएस अधिकारी बनने की इच्छा और दृण होती गई।

कॉलेज जाने की स्थिति नहीं थी, घर में बहन की शादी करनी थी। इस वजह से 12वीं पास कर नौकरी करने निकल गये। चार साल तक उन्होंने फर्नीचर और घरेलू सामान डिलीवरी का काम किया। 2007 में जब उनकी बहन की शादी हो गई, तो उन्होंने फिर से अपने सपनों की ओर कदम बढ़ाया। चेन्नई पहुंचे।

शुरू में एक दोस्त के घर रुके, लेकिन कुछ ही दिनों में निकाल दिए गए। 

रात में करते थे नौकरी और दिन में पढ़ाई 

इसी बीच बालागुरु को एक सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी मिली, जहां खाने और रहने की व्यवस्था भी थी। उन्होंने वो नौकरी कर ली अब दिन में वो पढ़ते, सरकारी लाइब्रेरी जाते और इंग्लिश व कंप्यूटर के शॉर्ट कोर्स करते। रात को अस्पताल में लिफ्ट ऑपरेटर की ड्यूटी करते। कुछ समय बाद उन्हें फार्मेसी असिस्टेंट की नौकरी मिली। मात्र 4000 रुपए में कई साल नौकरी करते रहे। साथ में उन्होंने बीए (इतिहास) में कोरेस्पॉन्डेंस कोर्स लिया। 

IAS Balaguru

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बैंक की नौकरी का लालच छोड़ सपने को पूरा किया

उन्होंने UPSC की परीक्षा दी लेकिन पहली बार में असफल हो गए। इसी बीच उनका चयन REPCO बैंक में क्लर्क पद पर हो गया। सैलरी 15,000 रुपए महीना थी। उनकी स्थिति में किसी के लिए भी ये एक सुरक्षित भविष्य होता। लेकिन बालागुरु का सपना IAS था, नौकरी नहीं। उन्होंने बैंक की नौकरी छोड़ दी और फार्मेसी असिस्टेंट की नौकरी में ही रहकर पढ़ाई जारी रखी।

आखिरकार 4 साल की तपस्या लाई रंग

IAS Balaguru K

यूपीएससी एग्जाम पास करने के लिए बालागुरु ने चार साल कड़ी मेहनत की। पहले प्रयास में सफलता नहीं मिली। दूसरे और तीसरे प्रयास में भी असफल रहे लेकिन हिम्मत नहीं हारी और आखिरकार चौथी बार में 265वीं रैंक हासिल कर बालागुरु ने UPSC परीक्षा पास कर ली।

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सीखने की ललक ही बनाती है आपको सबसे अलग

आईएएस बालागुरु के ने परीक्षा की तैयारी कर रहे बच्चों को सीख देते हैं कि ज्ञान सिर्फ किताबों तक सीमित नहीं होता, हर व्यक्ति, हर परिस्थिति कुछ न कुछ सिखा सकती है। वे कहते हैं हमेशा जिज्ञासु बने रहें और हर दिन कुछ नया सीखने की कोशिश करें। उन्होंने खासतौर पर अखबार और पत्रिकाएं पढ़ने की आदत डालने पर ज़ोर दिया, जिससे विद्यार्थियों को देश-दुनिया की जानकारी मिलती है।

  • नाम: बालागुरु के 
  • जन्मदिनांक: 27-07-2987
  • जन्मस्थान:  तमिलनाडु 
  • एजुकेशन:  बीए 
  • बैच: 2014
  • कैडर: मध्यप्रदेश 

पदस्थापना

बालागुरु के की पहली पोस्टिंग असिस्टेंट कलेक्टर के रूप में ग्वालियर में हुई थी उसके बाद वो पन्ना जिला पंचायत अधिकारी के रूप में कार्यरत थे। उसके बाद वो जल निगम भोपाल मे अतिरिक्त प्रबंध संचालक था। फिलहाल वो जनवरी 2025 से सीहोर कलेक्टर हैं।

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देखें बालागुरु के का सर्विस प्रोफाइल (Update: July 22)

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बालागुरु की कहानी एक ऐसे सफल व्यक्ति की है जिन्होंने कई बार गिरकर फिर से खड़ा होना सीखा। यह साबित कर दिखा दिया है कि सपने उन्हीं के सच होते हैं, जो उन्हें पूरा करने की हिम्मत रखते हैं। IAS बालागुरु आज हजारों युवाओं के लिए मिसाल हैं कि चाहे हालात कैसे भी हों, अगर हौसला हो तो कोई भी मंज़िल दूर नहीं।

FAQ

IAS बालागुरु कौन हैं?
बालागुरु एक 2014 बैच के भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) अधिकारी हैं। वर्तमान में वे मध्यप्रदेश के सीहोर ज़िले के कलेक्टर हैं। उनका जीवन एक प्रेरणादायक कहानी है, जिसमें एक गरीब मजदूर के बेटे ने कड़ी मेहनत, आत्मविश्वास और संकल्प के बल पर UPSC परीक्षा पास कर एक बड़ा मुकाम हासिल किया।
IAS बालागुरु की शुरुआती शिक्षा कहाँ से हुई थी?
उनकी शुरुआती पढ़ाई तमिलनाडु के एक छोटे से गांव थेरापडी के तमिल माध्यम स्कूल से हुई थी। आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं होने के बावजूद उन्होंने नेशनल टैलेंट सर्च परीक्षा पास कर स्कॉलरशिप से 12वीं तक की पढ़ाई पूरी की।
UPSC की तैयारी के दौरान उन्होंने क्या संघर्ष किए?
UPSC की तैयारी के लिए उन्होंने सिक्योरिटी गार्ड और फार्मेसी असिस्टेंट की नौकरी की। दिन में पढ़ाई और सरकारी लाइब्रेरी जाते, रात में अस्पताल में ड्यूटी करते। उन्होंने तीन बार असफलता के बाद भी हिम्मत नहीं हारी और चौथे प्रयास में UPSC पास किया।
उन्होंने बिजली बिल बकायों को लेकर क्या सख्त कदम उठाए?
सीहोर जिले में घरेलू और कृषि उपभोक्ताओं द्वारा बिजली बिल न चुकाने पर कलेक्टर बालागुरु ने सख्त निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि अब सरकारी कर्मचारियों को भी समय पर बिजली बिल चुकाना अनिवार्य है, वरना विद्युत अधिनियम के तहत कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

 

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