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जीवन में कुछ कर दिखाने के सपने तो कई लोग देखते हैं, लेकिन वक्त के साथ ये सपने या तो हालातों के सामने झुक जाते हैं या जिम्मेदारियों में कहीं खो जाते हैं। लेकिन IAS बालगुरु की कहानी इस भीड़ से अलग है। उन्होंने ना सिर्फ सपने देखे, बल्कि उन्हें साकार भी कर दिखाया।
अपनी आर्थिक स्थिति से हार नहीं मानने वाले बालागुरु आज हर युवा के लिए प्रेरणा हैं। उन्होंनें कभी डिलीवरी बॉय तो कभी सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी कर आईएएस बनने का लक्ष्य पूरा किया। उनका मानना है कि परिस्थितियां कितनी भी कठिन क्यों न हों, अगर आत्मविश्वास मजबूत है, तो हर समस्या का समाधान निकलता है।
तमिलनाडु के छोटे से गांव से शुरू हुई उम्मीद की राह
तमिलनाडु के एक छोटे से गांव थेरापडी में जन्मे बालागुरु के पिता दिहाड़ी मजदूर थे। प्रारंभिक शिक्षा गाँव में ही तमिल माध्यम में पूरी की। शुरू से ही पढ़ने में अच्छे थे तो नेशनल टैलेंट सर्च परीक्षा पास की और बारहवीं तक की पढ़ाई स्कालरशिप से पूरी की।
बचपन से ही अखबार और मैगजीन पढ़ने में रुचि थी लेकिन वो इन्हें खरीद नहीं सकते थे इसलिए घर के पास एक नाई की दुकान में घंटों बैठकर पढ़ते रहते थे। यहीं से उनकी आईएएस अधिकारी बनने की इच्छा और दृण होती गई।
कॉलेज जाने की स्थिति नहीं थी, घर में बहन की शादी करनी थी। इस वजह से 12वीं पास कर नौकरी करने निकल गये। चार साल तक उन्होंने फर्नीचर और घरेलू सामान डिलीवरी का काम किया। 2007 में जब उनकी बहन की शादी हो गई, तो उन्होंने फिर से अपने सपनों की ओर कदम बढ़ाया। चेन्नई पहुंचे।
शुरू में एक दोस्त के घर रुके, लेकिन कुछ ही दिनों में निकाल दिए गए।
रात में करते थे नौकरी और दिन में पढ़ाई
इसी बीच बालागुरु को एक सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी मिली, जहां खाने और रहने की व्यवस्था भी थी। उन्होंने वो नौकरी कर ली अब दिन में वो पढ़ते, सरकारी लाइब्रेरी जाते और इंग्लिश व कंप्यूटर के शॉर्ट कोर्स करते। रात को अस्पताल में लिफ्ट ऑपरेटर की ड्यूटी करते। कुछ समय बाद उन्हें फार्मेसी असिस्टेंट की नौकरी मिली। मात्र 4000 रुपए में कई साल नौकरी करते रहे। साथ में उन्होंने बीए (इतिहास) में कोरेस्पॉन्डेंस कोर्स लिया।
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बैंक की नौकरी का लालच छोड़ सपने को पूरा किया
उन्होंने UPSC की परीक्षा दी लेकिन पहली बार में असफल हो गए। इसी बीच उनका चयन REPCO बैंक में क्लर्क पद पर हो गया। सैलरी 15,000 रुपए महीना थी। उनकी स्थिति में किसी के लिए भी ये एक सुरक्षित भविष्य होता। लेकिन बालागुरु का सपना IAS था, नौकरी नहीं। उन्होंने बैंक की नौकरी छोड़ दी और फार्मेसी असिस्टेंट की नौकरी में ही रहकर पढ़ाई जारी रखी।
आखिरकार 4 साल की तपस्या लाई रंग
यूपीएससी एग्जाम पास करने के लिए बालागुरु ने चार साल कड़ी मेहनत की। पहले प्रयास में सफलता नहीं मिली। दूसरे और तीसरे प्रयास में भी असफल रहे लेकिन हिम्मत नहीं हारी और आखिरकार चौथी बार में 265वीं रैंक हासिल कर बालागुरु ने UPSC परीक्षा पास कर ली।
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सीखने की ललक ही बनाती है आपको सबसे अलग
आईएएस बालागुरु के ने परीक्षा की तैयारी कर रहे बच्चों को सीख देते हैं कि ज्ञान सिर्फ किताबों तक सीमित नहीं होता, हर व्यक्ति, हर परिस्थिति कुछ न कुछ सिखा सकती है। वे कहते हैं हमेशा जिज्ञासु बने रहें और हर दिन कुछ नया सीखने की कोशिश करें। उन्होंने खासतौर पर अखबार और पत्रिकाएं पढ़ने की आदत डालने पर ज़ोर दिया, जिससे विद्यार्थियों को देश-दुनिया की जानकारी मिलती है।
- नाम: बालागुरु के
- जन्मदिनांक: 27-07-2987
- जन्मस्थान: तमिलनाडु
- एजुकेशन: बीए
- बैच: 2014
- कैडर: मध्यप्रदेश
पदस्थापना
बालागुरु के की पहली पोस्टिंग असिस्टेंट कलेक्टर के रूप में ग्वालियर में हुई थी उसके बाद वो पन्ना जिला पंचायत अधिकारी के रूप में कार्यरत थे। उसके बाद वो जल निगम भोपाल मे अतिरिक्त प्रबंध संचालक था। फिलहाल वो जनवरी 2025 से सीहोर कलेक्टर हैं।
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देखें बालागुरु के का सर्विस प्रोफाइल (Update: July 22)
बालागुरु की कहानी एक ऐसे सफल व्यक्ति की है जिन्होंने कई बार गिरकर फिर से खड़ा होना सीखा। यह साबित कर दिखा दिया है कि सपने उन्हीं के सच होते हैं, जो उन्हें पूरा करने की हिम्मत रखते हैं। IAS बालागुरु आज हजारों युवाओं के लिए मिसाल हैं कि चाहे हालात कैसे भी हों, अगर हौसला हो तो कोई भी मंज़िल दूर नहीं।
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