भोपाल के पुराने शहर में बदलाव होने जा रहा है, जिसमें प्रोफेसर कॉलोनी और कलेक्ट्रेट कैंपस के रिडेंसिफिकेशन प्रोजेक्ट को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ( एनजीटी ) की मंजूरी मिल गई है। इस परियोजना के अंतर्गत पुराने कलेक्ट्रेट की जमीन पर आवासीय और व्यावसायिक विकास होगा। लगभग 500 करोड़ रुपए के निवेश से आधुनिक कलेक्ट्रेट ऑफिस का निर्माण होगा।
इस प्रोजेक्ट से न केवल शहर की रूपरेखा बदलेगी, बल्कि पॉलिटेक्निक चौराहा से किलोल पार्क तक ट्रैफिक की समस्याओं का समाधान भी होगा। हाउसिंग बोर्ड द्वारा यह प्रोजेक्ट दो साल पहले पेश किया गया था, लेकिन भोपाल सिटीजंस फोरम ने पेड़ों की कटाई और निर्माण के दायरे को लेकर एनजीटी में याचिका दायर की थी। इसके बाद, हाउसिंग बोर्ड ने तर्क दिया कि परियोजना के तहत अधिकांश पेड़ संरक्षित रहेंगे और तालाब से निर्माण की दूरी भी 60 से 150 मीटर के बीच होगी। एनजीटी ने हाउसिंग बोर्ड के इन तर्कों को स्वीकार करते हुए सिटीजंस फोरम की याचिका खारिज कर दी।
पुराने शहर के विकास की रूपरेखा
- चार बंगला: यहां पुराने कार्यालय और मकान तोड़कर नए सरकारी भवन बनाए जाएंगे।
- पॉलिटेक्निक चौराहा: यहां अर्बन फॉरेस्ट और पोडियम पार्किंग का निर्माण किया जाएगा।
- किलोल पार्क: मलेरिया ऑफिस को हटाकर पार्क का विस्तार किया जाएगा, और नई सड़कें बनाई जाएंगी।
- यह प्रोजेक्ट कुल 58.94 एकड़ क्षेत्र में फैला होगा, जिसमें से 42.63 एकड़ पर सरकारी कार्यालय और अन्य सुविधाएं विकसित की जाएंगी, जबकि 16.31 एकड़ पर निजी आवासीय और व्यावसायिक निर्माण होगा।
प्रमुख निर्माण योजनाएं
- बी-टाइप अपार्टमेंट: 20 टॉवर (जी+11)
- हॉस्टल ब्लॉक: जी+3 और जी+4 के ब्लॉक
- शॉपिंग एरिया: रवींद्र भवन के सामने 3000 वर्ग मीटर क्षेत्र में।
- अर्बन फॉरेस्ट: 7.3 एकड़ का क्षेत्र।
- स्टेट गेस्ट हाउस: 68 कमरे और 5 सुइट्स।
- चूना भट्टी: जी+6 के 5 ब्लॉक, जिनमें 120 फ्लैट होंगे।
- ओल्ड सेक्रेटरिएट: 2.24 हेक्टेयर में ई-टाइप जी+6 के 3 ब्लॉक।
- कलेक्ट्रेट के लिए स्थान की खोज 1972 से 9 बार की जा चुकी है, लेकिन अब 2024 में जाकर इस नई साइट को मंजूरी मिली है।
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