मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल की साइबर क्राइम ब्रांच को बड़ी कामयाबी मिली है। क्राइम ब्रांच ने डिजिटल अरेस्ट में पहली गिरफ्तारी की है। बता दें कि भोपाल क्राइम ब्रांच की टीम ने यह गिरफ्तारी प्रदेश में नहीं बल्कि प्रदेश के बाहर से की है। क्राइम ब्रांच ने डिजिटल गिरफ्तारी करने वाले शातिर गिरोह से धीरेंद्र कुमार विश्वकर्मा को उत्तर प्रदेश के महोबा से गिरफ्तार किया है। गौरतलब है कि डिजिटल गिरफ्तारी करने वाला यह गिरोह खुद को टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया और सीबीआई का अधिकारी बताकर लोगों को अपने जाल में फंसाता था। तो चलिए आपको बताते हैं कि आखिर इनका राज कैसे खुला?
क्या है मामला?
दरअसल, भोपाल के रहने वाले प्रमोद कुमार ने डिजिटल गिरफ्तारी को लेकर पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी। कुमार वोडाफोन-आइडिया में फील्ड इंजीनियर के पद पर काम करते हैं। उन्हें 12 नवंबर 2024 को एक कॉल आया। कॉल करने वाले ने अपना नाम राहुल कुमार बताया और उनसे कहा कि मैं टेलीकॉम रेगुलर अथॉरिटी से बात कर रहा हूं। आपके आधार कार्ड से मुंबई में एक सिम कार्ड ली गई है। इस कार्ड का इस्तेमाल गैरकानूनी कामों के लिए किया जा रहा है। पुलिस के मुताबिक, इसके बाद प्रमोद कुमार को इस कॉल के कुछ ही देर बाद ही एक अनजान वॉट्सऐप नंबर से कॉल आया। इस बार कॉल करने वाले ने कहा कि मैं मुंबई क्राइम ब्रांच से बात कर रहा हूं। आपके आधार कार्ड से लिए गए फोन नंबर से गलत काम किया जा रहा है।
साढ़े तीन लाख रुपए की मांग
पुलिस की मानें तो शख्स को डराने के लिए उन लोगों ने फिर एक अज्ञात व्हाट्सएप नंबर से सीबीआई के नाम से तीन फर्जी पत्र भेजे। इसके बाद उन्होंने 3 लाख 50 हजार रुपए की मांग कर डाली और कहा कि पैसे नहीं देने पर कार्रवाई की जाएगी। फिर थोड़ी देर बाद वॉट्सऐप कॉल पर एक शख्स पुलिस की वर्दी में प्रमोद के सामने आया और खुद को सीबीआई अधिकारी बताते हुए कहा कि अगर आपने अभी 3 लाख 50 हजार रुपए जमा नहीं किए तो आपके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी हो जाएगा। भोपाल आकर तुम्हें गिरफ्तार कर लेंगे।
वहीं इस घटना की पूरी जानकारी मिलते ही पुलिस सर्तक हो गई। डिजिटल अरेस्ट की संवेदनशीलता देखते हुए Add. DCP शैलेन्द्र सिंह चौहान और सहायक पुलिस आयुक्त मुख्तार कुरैशी के द्वारा घटना स्थल पर पहुंचकर पीड़ित को समझाया गया और डिजिटल अरेस्ट से मुक्त कराया गया। इस पूरे मामले को लेकर पीड़ित परिवार काफी घबराया हुआ था। अगर पुलिस समय पर नहीं पहुंचती तो बड़ा फ्रॉड हो सकता था।
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7 दिन में आरोपी को दबोचा
मामले की गंभीरता को देखते हुए साइबर क्राइम भोपाल की टीम तत्काल कानपुर, महुबा के लिए रवाना हुई और सात दिन की कड़ी मेहनत के बाद आरोपी को पकड़ लिया। साइबर क्राइम टीम ने मोबाइल फोन को ट्रेस कर अन्य माध्यमों से आरोपी तक पहुंचकर उसे गिरफ्तार किया। इस मामले में दुर्गेश सिंह नाम का एक अन्य आरोपी फरार है। उसे पकड़ने के लिए साइबर क्राइम ब्रांच की टीम प्रयास कर रही है।
ऐसे बचे डिजिटल अरेस्ट से.....
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ऐसे करता था ठगी
- आधारकार्ड अपडेट के नाम पर e-KYC/ d-KYC करना।
- फ्री सिम देकर करते थे ठगी।
- एक बार में 2 सिम निकालकर, एक सिम ग्राहक को देकर दूसरी सिम खुद रख ठगी करते थे।
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