परिवहन विभाग के मास्टर माइंड और काला धन मामले में वांछित सौरभ शर्मा के ठिकानों पर ईडी ने रेड डाली है। thesootr को मिली जानकारी के अनुसार प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने सौरभ शर्मा के अरेरा कॉलोनी स्थित घर सहित भोपाल में चार और ग्वालियर में 3 जगह एक साथ छापे डाले हैं। मेटल डिटेक्टर लेकर पहुंची ईडी मामले की जांच कर रही है। बता दें कि सौरभ कानूनी कार्यवाही के डर से पत्नी सहित दुबई में छिपा बैठा है।
नेता- अफसरों की नींद उड़ी
सौरभ शर्मा के घर तक ED की पहुंच के साथ ही प्रदेश के कई नेता और अफसरों की नींद हराम हो गई है। चाहे वो बीजेपी हो या कांग्रेस, सौरभ सभी का चहेता था। बिना किसी भेदभाव के वो नेताओं और अफसरों का काला धन मैनेज करता रहा है। सौरभ के घर से मिली सैकड़ों रजिस्ट्रियों के कागज भी इस ओर इशारा कर रहे हैं। साथ ही बड़ी चिंता यह सता रही है कि आयकर से अब मामला ईडी के हाथ में आते ही सारे तार एक - एक करके खुल सकते हैं। नेता- अफसरों के गठजोड़ का खुलासा भी होगा। अब इस बात का पता भी लगाया जाएगा कि जंगल में मिला 52 किलो सोने का असली मालिक आखिर कौन है?
सौरभ शर्मा की अग्रिम जमानत याचिका खारिज
सौरभ शर्मा की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। आयकर विभाग की जांच और लोकायुक्त पुलिस की कार्रवाई के बीच सौरभ ने विशेष न्यायाधीश प्रताप मिश्र की कोर्ट में अग्रिम जमानत याचिका दायर की, जिसे खारिज कर दिया गया।
आयकर विभाग की रडार पर सौरभ
सूत्रों के अनुसार, सौरभ शर्मा का मोबाइल फोन कुछ दिनों तक आयकर विभाग की पहुंच में था। इस बीच, सौरभ के देश लौटने की अफवाहें भी तेज हो गई थीं। सौरभ के वकीलों ने अदालत में लोकायुक्त पुलिस की कार्रवाई को गलत ठहराते हुए कहा कि सौरभ जून 2023 में परिवहन विभाग से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले चुका है, इसलिए लोकायुक्त के पास कार्रवाई का अधिकार नहीं है।
विशेष लोक अभियोजक का पक्ष
विशेष लोक अभियोजक विवेक गौड़ ने सौरभ शर्मा और उसके सहयोगियों के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि सौरभ के ठिकानों से भारी मात्रा में नकदी और संपत्ति बरामद हुई है। इसके अलावा, सौरभ के सहयोगी चेतन सिंह की कार से सोना और नकदी भी मिली है। अभियोजन पक्ष ने तर्क दिया कि अपराध की गंभीरता और पूछताछ की आवश्यकता को देखते हुए अग्रिम जमानत देना उचित नहीं होगा।
क्या है पूरा मामला
परिवहन विभाग के पूर्व आरक्षक सौरभ शर्मा के खिलाफ लोकायुक्त ने 19 दिसंबर, गुरुवार को अरेरा कॉलोनी स्थित उसके घर पर छापा मारा था। इस रेड में सौरभ के घर से 1.15 करोड़ रुपए कैश मिले थे। वहीं, आधा किलो से ज्यादा सोना मिला, जो 50 लाख रुपए से ज्यादा का है। इसके अलावा प्रॉपर्टी के कई अहम दस्तावेज भी मिले हैं। इसी के साथ उसके साथी चेतन सिंह गौर के ठिकाने से 1 करोड़ 70 लाख रुपए मिले हैं। दोनों के घर से मिले सामान और गाड़ियों की कीमत 2 करोड़ रुपए आंकी गई है।
बता दें कि सिर्फ सात साल की मामूली नौकरी में ही सौरभ शर्मा ने करोड़ों का साम्राज्य खड़ा कर लिया। उसने अनुकंपा नियुक्ति से नौकरी पाई और फिर चंद सालों में सिस्टम को अपने फायदे के लिए इस्तेमाल करते हुए रसूखदार बिल्डरों और नेताओं के साथ सांठगांठ कर ली। एक साल पहले उसने वीआरएस लेकर खुद को बचाने की कोशिश की, लेकिन उसका खेल यहीं खत्म नहीं हुआ। सौरभ ने भोपाल के शाहपुरा इलाके में एक बड़े स्कूल की फ्रेंचाइजी, एक होटल और अवैध प्रॉपर्टी डीलिंग में निवेश किया। वह अभी जहां रहता है, उस मकान को अपने साले का बताता है। हालांकि लोकायुक्त टीम सभी पहलुओं की जांच कर रही है।
Thesootr खुलासा- फर्जी दस्तावेजों से पाई थी नौकरी
Thesootr को मिले दस्तावेजों से साफ है कि सौरभ शर्मा ने फर्जी दस्तावेजों से नौकरी पाई थी। ग्वालियर के एडवोकेट अवधेश सिंह तोमर के अनुसार सौरभ शर्मा के पिता स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत थे और उसका भाई रायपुर में डिप्टी कमिश्नर फाइनेंस के पद पर पोस्टेड है। ऐसे में सौरभ शर्मा किसी भी स्थिति में नौकरी की पात्रता नहीं रखता था। बावजूद इसके उसने फर्जी दस्तावेजों के सहारे RTO में नौकरी पाई। एडवोकेट अवधेश सिंह तोमर ने इस मामले में RTI भी लगाई है, मगर अब तक उन्हें विभाग ने कोई जानकारी उपलब्ध नहीं करवाई है।
संरक्षण के तार नेताजी तक…
लोकायुक्त की टीम सौरभ शर्मा के घर छापेमारी के दौरान भारी मात्रा में नकदी और कीमती सामान देखकर हैरान रह गई थी। सूत्रों के अनुसार, सौरभ को एक पूर्व मंत्री का संरक्षण था। सौरभ की भव्य जीवनशैली और उसकी अकूत संपत्ति ने टीम को चौंका दिया। जांच में पता चला कि सौरभ अपने पिता की अनुकंपा नियुक्ति के तहत नौकरी में आया था, लेकिन उसने भ्रष्टाचार को माध्यम बनाकर प्रदेश भर में अपने अवैध कारोबार फैला लिए।
दलाली और रसूखदारों से करीबी संबंध
सौरभ शर्मा का असली खेल परिवहन विभाग में दलाली और पोस्टिंग में सेटिंग से शुरू हुआ। उसने विभाग के अधिकारियों और प्रभावशाली नेताओं के माध्यम से नाका तैनाती और ट्रांसफर-पोस्टिंग के खेल को अंजाम दिया। इसके जरिए उसने करोड़ों की काली कमाई की और उसे रियल एस्टेट में निवेश कर दिया। लोकायुक्त की जांच में यह भी सामने आया कि सौरभ वर्तमान में दुबई में है, जबकि उसके भोपाल स्थित घर पर उसकी मां और नौकर ही मौजूद थे। अब लोकायुक्त टीम उसके दुबई कनेक्शन की गहराई से जांच कर रही है।
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