भोपाल में 1984 की गैस त्रासदी के बाद, यूनियन कार्बाइड परिसर में पिछले 40 वर्षों से रखे जहरीले रासायनिक कचरे को नष्ट करने के लिए हाईकोर्ट के निर्देश पर कार्रवाई की जा रही है। इस कचरे को अब पीथमपुर स्थित रामकी फैक्ट्री में वैज्ञानिक तरीके से नष्ट किया जाएगा। बुधवार रात 337 टन जहरीला कचरा 12 कंटेनरों में भरकर पीथमपुर के लिए रवाना किया गया। यह सफर करीब 250 किलोमीटर का होगा, और पूरे रास्ते में सुरक्षा के सख्त इंतजाम किए गए हैं।
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40 साल पुराना कचरा, पीथमपुर के लिए रवाना
भोपाल स्थित यूनियन कार्बाइड के परिसर में पिछले 40 वर्षों से जमा रासायनिक कचरा अब पीथमपुर के लिए रवाना किया गया है। यह कचरा अब तक किसी तरह से नष्ट नहीं किया गया था, लेकिन अब कोर्ट के आदेश पर इसे वैज्ञानिक तरीके से डिस्पोज किया जाएगा।
337 टन कचरे को 12 कंटेनरों में भरकर पीथमपुर भेजा गया है, इसके साथ एंबुलेंस, फायर ब्रिगेड और पुलिस सुरक्षा बल भी मौजूद हैं। पूरे रास्ते को ग्रीन कारीडोर में तब्दील कर दिया गया है ताकि ट्रैफिक रुक सके और कोई अप्रत्याशित घटना न हो।
कंटेनरों में भरे गए जंबो बैग्स
कचरे को खास जंबो बैग्स में पैक किया गया है, जो एचडीपीई नॉन-रिएक्टिव लाइनर से बने हैं। इन बैग्स में मटेरियल के बीच कोई रासायनिक प्रतिक्रिया नहीं हो सकती, ताकि कचरा सुरक्षित रूप से पीथमपुर में डिस्पोज किया जा सके। कचरे को 250 किलोमीटर के रास्ते पर ग्रीन कारीडोर के माध्यम से भेजा गया है, जहां पुलिस सुरक्षा और अन्य टीमों के साथ कंटेनरों की निगरानी की जा रही है। विशेष रूट चुने गए हैं, जिनसे कचरा रात के समय बिना किसी परेशानी के पीथमपुर पहुंच सके।
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