मध्य प्रदेश के दो मंत्री कैलाश विजयवर्गीय और विजय शाह के बीच यूनियन कार्बाइड के जहरीले कचरे के निस्तारण को लेकर मतभेद सामने आए हैं। एक तरफ जहां विजयवर्गीय ने कचरे को पीथमपुर न लाने का आग्रह किया है, वहीं मंत्री विजय शाह का कहना है कि यह प्रक्रिया उच्च न्यायालय के आदेश के बाद की जा रही है। दोनों पक्षों के बीच चल रही इस विवाद में न्यायालय के आदेश का पालन करने की बात कही जा रही है।
कचरे के निस्तारण पर मतभेद
यूनियन कार्बाइड के 337 टन जहरीले कचरे के निस्तारण की प्रक्रिया को लेकर मध्य प्रदेश के मंत्री कैलाश विजयवर्गीय और विजय शाह के बीच गहरी असहमतियां सामने आईं हैं। विजयवर्गीय का कहना है कि कचरे का निस्तारण तभी किया जाए जब उसे पूरी तरह से सुरक्षित माना जाए। वहीं विजय शाह का कहना है कि कचरा शिफ्टिंग न्यायालय के आदेश के तहत ही की जा रही है।
विजयवर्गीय की स्वास्थ्य संबंधी चिंता
कैलाश विजयवर्गीय ने यह स्पष्ट किया कि वे इंदौर और पीथमपुर के नागरिकों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ नहीं होने देंगे। उनका कहना था कि जब तक वे पूरी तरह से संतुष्ट नहीं हो जाते कि कचरे से कोई खतरा नहीं है, तब तक इस कचरे को इन क्षेत्रों में नहीं लाया जाएगा।
मंत्री विजय शाह का पक्ष
वहीं, मंत्री विजय शाह ने इस प्रक्रिया के बारे में कहा कि यह उच्च न्यायालय के आदेश के तहत हो रही है। वे इसे पूरी तरह से न्यायिक प्रक्रिया मानते हैं और उनका कहना था कि जो भी पक्ष इस पर आपत्ति उठाना चाहता है, वह न्यायालय में जा सकता है।
उच्च न्यायालय का आदेश और कचरा शिफ्टिंग
मंत्री विजय शाह ने यह स्पष्ट किया कि उच्च न्यायालय द्वारा दिए गए आदेश के पालन में कचरा पीथमपुर भेजा जा रहा है। अगर किसी को इस पर आपत्ति है, तो वे उच्च न्यायालय में अपनी बात रख सकते हैं। यह पूरी प्रक्रिया पूरी तरह से न्यायालय के आदेश का पालन करते हुए की जा रही है।
इधर... स्वतंत्र कुमार सिंह का कहना है...
यूनियन कार्बाइड कारखाना परिसर में 40 वर्षों से दफन जहरीले कचरे का अंतिम निपटान शुरू हुआ है। गैस राहत एवं पुनर्वास विभाग के संचालक स्वतंत्र कुमार सिंह के अनुसार, यह कचरा मिथाइल आइसोसाइनेट गैस रिसाव के बाद का रासायनिक कचरा है, जिसे पीथमपुर में जलाया जाना है। उनका कहना था कि यूका का 40 वर्ष पुराना जहरीला कचरा समाप्त किया जाना मतलब एक काला अध्याय का खत्म होना है। प्रस्तुत हैं उनसे बातचीत के प्रमुख अंश...
प्रश्न : यूनियन कार्बाइड कारखाना परिसर में किस तरह का कचरा था ?
उत्तर : दो-तीन दिसंबर 1984 की रात में हुई मिथाइल आइसोसाइनेट गैस रिसाव के बाद का यह रासायनिक कचरा है। कोर्ट के आदेश तीन दिसंबर 2024 के परिपालन में यह रासायनिक कचरा पीथमपुर में जलाया जाना है।
प्रश्न : कचरा हटने के बाद क्या यह फैक्ट्री जहरीले कचरे से मुक्त हो गई है?
उत्तर : जी हां यह हम मान सकते हैं कि रासायनिक कचरे से कारखाना पूरी तरह मुक्त हो जाएगा। दरअसल 40 वर्ष पुरानी त्रासदी का मामला 20 साल से न्यायालय में चल रहा है। यहां कुल 347 टन कचरा था, जिसमें से 10 टन पहले जलाया जा चुका है और अब बाकी का भी जल्द से जल्द जला दिया जाएगा।
प्रश्न : मिट्टी और भूमिगत जल में जहर और भारी धातुओं का जो असर है, उसे दूर करने की कोई कार्ययोजना बनी है या नहीं?
उत्तर : वर्तमान में उच्च न्यायालय के आदेश कचरे का निष्पादन करने के हैं। नईदुनिया ने जो बिंदु बताए हैं, यदि इस पर न्यायालय कोई आदेश देता है तो भविष्य में कार्रवाई करेंगे। हालांकि विज्ञानियों द्वारा मिट्टी व जल के पूर्व में नमूने लेकर जांच की गई है।
प्रश्न : कचरा जलाने की रिपोर्ट सकारात्मक होने के बाद भी लोग विरोध कर रहे हैं ?
उत्तर : कहीं कोई विरोध नहीं किया जा रहा है। अभी धार, भोपाल के कलेक्टर ने प्रतिवेदन दे दिए हैं। 2015 में जो कचरा जलाया गया था, उसकी रिपोर्ट उपलब्ध है। किसी भी तरह का कोई पर्यावरण नुकसान इससे नहीं हुआ है। स्थानीय नागरिक, किसानों से बातचीत की गई है। हम भरोसा दिला रहे हैं कि कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं होगा।
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