भोपाल गैस त्रासदी के जिम्मेदार यूनियन कार्बाइड का जहरीला 337 मीट्रिक टन कचरा पीथमपुर में जलेगा

कचरे के निपटान की यह प्रक्रिया कब से शुरू करेंगे, इसकी तारीख अभी तय नहीं है। केंद्रीय पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने इस जहरीले अपशिष्ट के भोपाल से इंदौर परिवहन और निपटान के लिए 126 करोड़ रुपए ट्रांसफर भी कर दिए हैं।

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Sanjay gupta
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Bhopal gas tragedy
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दुनिया की सबसे बड़ी त्रासदी में से एक भोपाल गैस कांड के लिए जिम्मेदार यूनियन कार्बाइड इंडिया लिमिटेड के जहरीले कचरे को अब 40 साल बाद जलाने की तैयारी हो गई है। यह 337 मीट्रिक टन जहरीले कचरे को इंदौर के पीथमपुर स्थित रामकी कंपनी में जलाया जाएगा। रामकी ने टेंडर प्रक्रिया पूरी कर ली है। 

तारीख तय होना बाकी, केंद्र से राशि आई

कचरे के निपटान की यह प्रक्रिया कब से शुरू करेंगे, इसकी तारीख अभी तय नहीं है। मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अफसरों के मुताबिक केंद्रीय पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने इस जहरीले अपशिष्ट के भोपाल से इंदौर परिवहन और निपटान के लिए 126 करोड़ रुपए ट्रांसफर भी कर दिए हैं।

परिवहन सबसे बड़ा मुद्दा, कैसे लाएंगे भोपाल से

अब विभाग के अफसर और रामकी कंपनी के मैनेजमेंट इसको लेकर चर्चा कर तैयारी कर रहे हैं। इसमें सबसे अहम हिस्सा कचरे के भोपाल स्थित प्लांट से पीथमपुर के रामकी इन्सीनरेटर तक के लगभग 250 किलोमीटर तक के परिवहन का रहेगा। यह किस तरह से किया जाएगा और कब से इसे शुरू करना है इसी को लेकर अभी बातचीत चल रही है।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर 2015 में किया था परीक्षण

सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर 2015 में यूनियन कार्बाइड के वेस्ट के कुछ हिस्से को पीथमपुर के रामकी कंपनी में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अफसरों के निर्देशन में जलाकर टेस्ट करके देखा था। यह प्रयोग सफल रहा था। उसके बाद रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट भेज दी थी। इसके बाद तय किया गया कि पूरे कचरे को रामकी कंपनी में ही जलाया जाएगा, लेकिन खर्च केंद्र सरकार को वहन करना होगा। इसी के चलते पिछले दिनों राशि ट्रांसफर की गई है।

जानकार रामकी को नहीं बता रहे सुरक्षित

पर्यावरण और भूजल संरक्षण को लेकर काम करने वाले राहुल बनर्जी का कहना है कि यूनियन कार्बाइड के कचरे को जलाने के लिए रामकी कंपनी में पर्याप्त संसाधन उपलब्ध नहीं है। इसे लेकर हम लंबे समय से आवाज उठा रहे हैं। इस कंपनी में वर्तमान में जो कचरा जलाया जा रहा है, उसे लेकर आसपास के लोगों द्वारा कई बार शिकायतें की जाती रही हैं और जरूरत पड़ने पर वे आंदोलन भी करते रहे हैं।

sanjay gupta

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