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मध्य प्रदेश में अपराधियों और असामाजिक तत्वों के हौसले इस कदर बुलंद हो गए हैं कि राज्य की शांति व्यवस्था गंभीर खतरे में पड़ती नजर आ रही है। स्थिति इतनी बिगड़ चुकी है कि अब खुद कानून के रखवाले, यानी पुलिसकर्मी भी हिंसा का शिकार बनने लगे हैं।
ताजा मामला मध्य प्रदेश के भोपाल (Bhopal) के रानी कमलापति रेलवे स्टेशन परिसर का है, जहां शनिवार देर रात एक बड़ा घटनाक्रम सामने आया। शराब के नशे में धुत युवकों ने पुलिस के जवान (GRP Constable) पर न सिर्फ हमला किया, बल्कि उनकी वर्दी भी फाड़ दी। यही नहीं, धार्मिक आधार पर आपत्तिजनक टिप्पणियां भी की गईं।
यह घटना उस समय हुई जब जीआरपी (Government Railway Police) के जवान बंसल वन शॉपिंग एरिया के रेस्टोरेंट्स और दुकानों को बंद कराने पहुंचे थे। आरोप है कि पुलिस की कार्रवाई के दौरान कुछ युवक स्टेशन परिसर में कार में बैठकर शराब पी रहे थे। जब पुलिस ने उन्हें हटने को कहा, तो विवाद बढ़ गया और बात हाथापाई तक पहुंच गई।
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कैसे हुई मारपीट की घटना?
शराब के नशे में गालीगलौज और हमला
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जीआरपी के हेड कांस्टेबल नजर दौलत खान ड्यूटी कर रहे थे।
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जब उन्होंने युवकों को हटने को कहा तो युवकों ने उन पर हमला कर दिया।
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साथी कांस्टेबल संदीप और कमल रघुवंशी ने बीच-बचाव की कोशिश की, लेकिन उन्हें भी धमकाया गया।
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एक आरोपी ने धार्मिक आधार पर टिप्पणी करते हुए कहा, "तुम हिंदू भाई हो, हट जाओ।"
जीप का दरवाजा खोलकर की पिटाई
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आरोपियों ने पुलिस जीप का दरवाजा खोलकर दौलत खान को खींचा और मारपीट की।
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यह पूरी घटना मौके पर मौजूद लोगों ने मोबाइल से रिकॉर्ड कर ली, जिसका वीडियो रविवार को सामने आया।
मुख्य आरोपी गिरफ्तार, दो फरार
आरोपी की पहचान और एफआईआर
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एएसआई रामदयाल के अनुसार, पुलिस ने तीन आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है।
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मुख्य आरोपी जितेंद्र यादव को गिरफ्तार कर लिया गया है।
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दो अन्य आरोपी फरार हैं और उनकी तलाश के लिए टीमें लगाई गई हैं।
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घटना से जुड़ी जरूरी बातें
बिंदु | जानकारी |
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घटना स्थल | रानी कमलापति रेलवे स्टेशन, भोपाल |
मुख्य आरोपी | जितेंद्र यादव (गिरफ्तार) |
पुलिसकर्मी | हेड कांस्टेबल नजर दौलत खान |
मुख्य आरोप | शराब पीकर हमला, वर्दी फाड़ना, धार्मिक टिप्पणी |
स्थिति | एक गिरफ्तार, दो फरार |
पहले भी हुए पुलिस पर हमले
मध्य प्रदेश में पुलिस पर हमले की यह पहली घटना नहीं है। इससे पहले भी राज्य में कई स्थानों पर पुलिस टीमों को हमलों का सामना करना पड़ा है। हाल ही में मऊगंज, इंदौर, दमोह और शहडोल जैसे जिलों से पुलिस पर हमले की गंभीर घटनाएं सामने आई हैं, जो प्रदेश की कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े कर रही हैं। गुंडों और बदमाशों के इस बेखौफ रवैये ने आम जनता की चिंता बढ़ा दी है।
आमतौर पर सरहदों की सुरक्षा करने वाले सैनिक और शहरों में कानून व्यवस्था बनाए रखने वाले पुलिसकर्मी ही लोगों को सुरक्षित वातावरण का भरोसा देते हैं, ताकि वे अपने घरों में चैन की नींद सो सकें। लेकिन जब पुलिसकर्मी खुद हमलों का निशाना बनने लगें, तो यह स्थिति न केवल चिंताजनक होती है बल्कि जनता के बीच असुरक्षा की भावना को भी गहरा कर देती है। ऐसी घटनाएं यह साफ दर्शाती हैं कि अपराधियों का मनोबल बढ़ा हुआ है और कानून का डर उनके बीच खत्म होता जा रहा है, जो किसी भी सभ्य समाज के लिए एक गंभीर चेतावनी है।
कब कब हुए पुलिस पर हमले
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15 मार्च - मऊगंज: शाहपुर थाना क्षेत्र के गड़रा गांव में पुलिस टीम पर हमला, एएसआई रामचरण गौतम की मौत।
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15 मार्च - इंदौर: वकीलों और पुलिसकर्मियों के बीच झड़प, पुलिसकर्मियों पर हमला।
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20 मार्च - दमोह: पुलिस पर बदमाशों का हमला, हथियार जब्त करने गई टीम पर हमला, एएसआई घायल।
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23 मार्च - सीहोर: इछावर में कोर्ट मैरिज विवाद सुलझाने गई पुलिस टीम पर हमला, एसआई रामनारायण धुर्वे गंभीर रूप से घायल।
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