भोपाल के हॉस्टल में 8 वर्षीय बालिका के साथ बलात्कार के मामले में लीपापोती करने की कोशिश का फायदा आखिरकार आरोपी को मिल ही गया। जमानत मिलने की एक वजह FIR लिखने में की गई देरी भी है।
अप्रैल महीने में भोपाल के ज्ञान गंगा आर्केड स्कूल के हॉस्टल में रह रही दूसरी कक्षा की 8 वर्षीय बालिका के बलात्कार का मामला सामने आया था। शुरुआत में बलात्कार पीड़िता की रिपोर्ट दर्ज करने में भी पुलिस आनाकानी कर रही थी।
इस मामले में विपक्ष के द्वारा भी सरकार को जमकर घेरा गया था और मध्य प्रदेश के मुखिया मोहन यादव ने मामले में संज्ञान लेते हुए SIT तक गठित की गई थी और एक सब इंस्पेक्टर प्रकाश सिंह राजपूत को निलंबित भी किया गया था। पर शुरुआत से ही इस मामले में की जा रही लीपा पोती की कोशिशें का फायदा आखिरकार आरोपी को मिलता हुआ नजर आ रहा है।
शुरुआत से मामले में हुई है सबूत से छेड़खानी
इस मामले पीडित बच्ची का बयान सामने आने के बाद से यह साफ हो गया था कि इस मामले में आरोपियों को सबूत नष्ट करने का अच्छा खासा समय मिला है। 8 साल की बालिका ने यह भी बताया था कि उसे घटना के बाद हॉस्टल वार्डन ने अच्छी तरह नहला तक दिया था।
बच्ची ने यह दी थी घटना की जानकारी
जब वह मेस में खाना खाकर फ्री हुई तो उसकी होस्टल की वार्डन आंटी उसे नीचे वाले रूम में ले जाकर जबरदस्ती दाल-चावल खिलाये फिर उसे बाकी का कुछ याद नहीं है। जब रात में थोड़ी देर के लिए उसकी नींद खुली तो उसे पता चला कि उसके उपर एक अंकल सो रहे हैं और वह अपने कमरे में न होकर जमीन पर लेटी हुई थी। उक्त अंकल ने उसके हाथ और पैर पकड़े हुए थे जिनके दाढ़ी मूछें हैं और उनके पास में एक मोटे अंकल खड़े थे जिन्होंने उसके उपर वाले अंकल से कहा कि मोदी सर बच्ची होश में आ रही है।
ऐसा उन अंकल ने तीन-चार बाद कहा। फिर उसके उपर वाले अंकल ने उसकी आंखों पर हाथ रखा दिया और उसकी आंख बंद कर दी। उस समय उसके पेट व प्राइवेट पार्ट पर भी दर्द हो रहा था। फिर उसकी नींद लग गई। जब सुबह वह उठी तो उसके पेट में दर्द था और उसके प्राइवेट पार्ट से ब्लड आ रहा था जिसकी वजह से उसकी अंडरवियर भी बिगड़ गई थी। जब बच्ची ने वार्डन को उक्त बात बताई तो वार्डन ने बच्ची के पेट में विक्स लगा दिया, उसकी प्राइवेट पार्ट पर कोई मेडिसिन लगा दी और उसकी अंडरवियर वॉश करके उसे नहलाया और फिर बच्ची ने वार्डन से कहा कि उसे उसकी मां से बात करनी है तो वार्डन ने कहा कि अभी तुम स्कूल चली जाओ और वहां पर किसी को कुछ भी मत बताना, जब वापस आओगी तो मम्मी से बात करवा देंगे।
बच्ची ने उसे यह भी बताया कि वार्डन ने उससे कहा था कि मम्मी से बात केवल रविवार को होगी। जब रविवार को मम्मी का फोन आया तो वार्डन ने कहा कि केवल 02 मिनिट ही बात करना इससे ज्यादा मत करना। जब वह अपनी मम्मी को ब्लीडिंग वाली बात बताने लगी तो वार्डन ने कॉल कट कर दिया था। बच्ची ने उसे यह भी बताया कि उसने उन अंकल को देखा है जिन्हें वह पहचान लेगी। आरोपियों की शिनाख्त परेड में बच्ची ने आरोपी मिनिराज मोदी को पहचाना भी था।
डीएनए रिपोर्ट आई नेगेटिव
बच्ची के बयान के अनुसार हॉस्टल की वार्डन के दबाव के चलते उसे घटना की जानकारी अपनी मां को देने में ही 5 से 6 दिन लगे उसके बाद मामला दर्ज करने में पुलिस के द्वारा हीला हवाली की गई। नतीजतन पीड़िता के शरीर पर आरोपी का डीएनए मिलना तो नामुमकिन ही था और मेडिकल रिपोर्ट में भी यही सामने आया कि पीड़िता के प्राइवेट पार्ट पर रैशेज हैं पर उसका हाइमन इंटैक्ट है और पीड़िता के शरीर पर किसी भी मिल का डीएनए नहीं पाया गया। जमानत आवेदन पर सुनवाई में आरोपी के अधिवक्ता ने यह भी आरोप लगाए कि पीड़िता की मां लगभग 11 आपराधिक मामलों में संलिप्त है जबकि लोअर कोर्ट में जमानत याचिका में इन मामलों की संख्या 8 बताई गई थी।
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मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की जबलपुर बेंच में जस्टिस विशाल धगत की कोर्ट में आरोपी मिनिराज मोदी के जमानत आवेदन पर सुनवाई हुई। दोनों पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने अपने आदेश में लिखा कि क्योंकि घटना की रात पीड़िता नशीले पदार्थ के कारण पूरी तरह सचेत नहीं थी इसलिए की गई आरोपी की पहचान संदिग्ध हो जाती है। मेडिकल रिपोर्ट में पीड़िता के प्राइवेट पार्ट पर रैशेज पाए गए हैं पर डॉक्टर ने रेप की कोई स्पष्ट पुष्टि नहीं की है। बच्ची के शरीर से कोई और इंसानी डीएनए भी नहीं मिला है जिसके चलते डीएनए रिपोर्ट नेगेटिव है और पुलिस के द्वारा एफआईआर दर्ज करने में भी देरी की गई है इन परिस्थितियों को देखते हुए आरोपी मिनिराज मोदी को 1 लाख रुपये के मुचलके पर जमानत दी गई है।
इस संगीन अपराध की जांच खड़े कर गई कई सवाल
- इस मामले में घटना की जानकारी लगते ही पीड़िता की जयप्रकाश अस्पताल में MLC की गई थी। इस MLC के पर्चा क्रमांक 591/59092 में डॉक्टर ने "अटेम्प्ट टू सेक्सुअल असाल्ट इस डन" लिखा था। उसके बाद भी जांच अधिकारी के द्वारा 2 दिन बाद फिर से एमएलसी करवाई गई।
पीड़िता के 164 में दिए गए बयानों में उसने साफ कहा है कि उसे घटना के बाद वार्डन के द्वारा नहला दिया गया था। - पीड़िता ने शिनाख्त परेड में आरोपी की पहचान की थी और घटना की जानकारी में अंधेरे कमरे का कोई जिक्र नहीं था।
- जब पीड़िता के शरीर से कोई मानव डीएनए पाया ही नहीं गया तो कि डीएनए के साथ आरोपी का डीएनए मैच कर नेगेटिव रिपोर्ट आई।
इन सभी तथ्यों को नजरअंदाज करते हुए सरकारी वकील ने जमानत याचिका पर एक भी गंभीर प्रश्न करना उचित नहीं समझा और मामले में SIT गठित होने के बाद भी वह आरोपी के खिलाफ पुख्ता सबूत इक्कठे नहीं कर सकी । जिसके चलते आरोपी जमानत पर रिहा हो गया है।
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