77 साल पहले हुई थी इज्तिमा की शुरुआत... सिर्फ 14 लोगों ने पढ़ी थी दुआ

मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में आयोजित होने वाले इज्तिमा में आज दुनियाभर से लगभग 10 से 12 लाख लोग शामिल होते हैं। 4 दिन तक चलने वाला यह दुनिया का मुस्लिम धर्म का सबसे बड़ा आयोजन होगा। आइए आपको बताते हैं 77 साल पहले शुरू होने वाले इज्तिमा की कहानी...

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Ravi Singh
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Ijtima History
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दुनिया का सबसे बड़ा आलमी तब्लीगी इज्तिमा 29 नवंबर से राजधानी भोपाल में आयोजित किया जाएगा। इसमें देश-दुनिया से 30 हजार से ज्यादा जमातें हिस्सा लेंगी। आयोजन समिति के मुताबिक यह दुनिया का मुस्लिम धर्म का सबसे बड़ा आयोजन होगा। 4 दिन तक चलने वाले आलमी तब्लीगी इज्तिमा में 10 से 12 लाख लोगों के शामिल होने की उम्मीद है। हर साल की तरह इस बार भी इसकी तैयारियां ग्रीन और क्लीन थीम पर की जा रही हैं। लेकिन क्या आप जाने हैं कि इज्तिमा की शुरुआत कहां से हुई थी और पहले आयोजन में कितने लोगों ने नमाज अता की थी.....

क्या है आलमी तब्लीगी इज्तिमा

इज्तिमा एक अरबी शब्द है। आलमी तब्लीगी इज्तिमा का मतलब है विश्व स्तरीय धार्मिक सम्मेलन। एक जगह इकट्ठा होकर प्रार्थना करना। जीवन का रास्ता दिखाना। धर्म और इंसानियत की बात करना। समाज को एकजुट रखना। धर्म के बताए रास्ते पर चलना। सभी धर्मों का सम्मान करना और उनकी अच्छी सलाह पर चलना। समुदाय को शांति का संदेश देना। पैगंबर हजरत मोहम्मद और कुरान के बताए रास्ते पर चलना।

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पहली बार 14 लोग हुए थे शामिल

भारत में Ijtima की शुरुआत 1947 में हुई थी। सबसे पहले इसका आयोजन मस्जिद शकूर खान में हुआ था। उस समय इस कार्यक्रम में सिर्फ 12 से 14 लोग ही शामिल होते थे। बाद में 1971 में ताजुल मस्जिद में इसका बड़े पैमाने पर आयोजन होने लगा। धीरे-धीरे इसमें शामिल होने वालों की संख्या भी बढ़ने लगी। इसकी नींव मौलाना मिस्कीन साहब ने रखी।

घाटी भड़भूजा इलाके में शुरुआत

भोपाल में इज्तिमा की शुरुआत 1947 में हुई थी। तब मुस्लिम समुदाय के चार लोगों ने समुदाय को कुरान और ईमान का संदेश देने का फैसला किया। इन लोगों ने मिलकर भोपाल के घाटी भड़भूजा इलाके में इज्तिमा की शुरुआत की। लेकिन अगले ही साल 1948 में इसे वहां से हटाकर अत्ता शुजा खां की मस्जिद में शिफ्ट कर दिया गया। यहां दो साल तक इसका आयोजन हुआ। मौलाना इमरान खान ने 1901 में शाहजहां बेगम की मौत के बाद से अधूरी पड़ी ताजुल मस्जिद का पुनर्निर्माण शुरू कराया और 1950 से यह जलसा ताजुल मस्जिद में होने लगा। ताजुल मस्जिद की गिनती एशिया की सबसे बड़ी मस्जिदों में होती है। यहां 2001 तक जलसे का आयोजन होता रहा। इज्तिमा में जमातियों की लगातार बढ़ती संख्या को देखते हुए 2002 से यह इज्तिमा भोपाल के ईंटखेड़ी में होने लगा।

3 देशों में होता है इज्तिमा का आयोजन

दुनिया में सिर्फ 3 देश इज्तिमा का आयोजन करते हैं। इनमें पहला भारत, दूसरा पाकिस्तान और तीसरा बांग्लादेश है। कोरोना के कारण पिछले 2 सालों से यह कार्यक्रम आयोजित नहीं हो रहा था। यही वजह है कि इस साल जब इसका आयोजन हुआ तो पहले दिन सिर्फ 1 हजार जमातियों ने ही इस कार्यक्रम में हिस्सा लिया लेकिन आखिरी दिन तक यह संख्या 5 हज़ार तक पहुंच गई।

इस साल 300 एकड़ में होगा पंडाल

इज्तिमा आयोजन समिति की ओर से 250 एकड़ में लगने वाला पंडाल 300 एकड़ में लगाया जा रहा है। इस पंडाल को तैयार करने का काम लगभग पूरा हो चुका है। अन्य सुविधाओं पर भी विशेष ध्यान दिया जा रहा है। पानी की कमी न हो, इसके लिए 20 किलोमीटर लंबी पाइपलाइन बिछाई जा रही है। पाइपलाइन का काम भी लगभग पूरा हो चुका है। वुजू (नमाज से पहले शरीर धोने की विधि) के लिए 35 हजार से ज्यादा नल लगाए जाएंगे। इसके अलावा करीब 8000 शौचालय बनाए जाएंगे। इनमें कुछ स्थायी और कुछ अस्थायी होंगे।

इस खबर से जुड़े सामान्य से सवाल

आलमी तब्लीगी इज्तिमा कब और कहां आयोजित किया जा रहा है?
आलमी तब्लीगी इज्तिमा 29 नवंबर से भोपाल में आयोजित किया जाएगा।
आलमी तब्लीगी इज्तिमा का अर्थ क्या है?
आलमी तब्लीगी इज्तिमा का अर्थ है विश्व स्तरीय धार्मिक सम्मेलन, जिसमें लोग एकत्र होकर प्रार्थना, धर्म की बातें, और समाज में शांति का संदेश फैलाते हैं।
भारत में इज्तिमा की शुरुआत कब हुई थी?
भारत में इज्तिमा की शुरुआत 1947 में हुई थी, जब इसका पहला आयोजन मस्जिद शकूर खान में किया गया था।
इज्तिमा का आयोजन दुनिया के किन-किन देशों में होता है?
दुनिया में इज्तिमा का आयोजन सिर्फ तीन देशों में होता है: भारत, पाकिस्तान, और बांग्लादेश।

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