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MP News : वक्फ संशोधन कानून 2025 पर छिड़े विवाद के बीच मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से एक और गंभीर मामला सामने आया है। यह मामला लैंड जिहाद (Land Jihad) से जुड़ा हुआ है, जिसमें आरोप है कि राजधानी के एक वीवीआईपी इलाके में सरकारी आवासों में अवैध रूप से मजारें बनाई गई हैं। इस मामले ने उस समय तूल पकड़ा जब हिंदू संगठन ने इस मुद्दे को उठाया और स्थानीय प्रशासन से इसकी जांच की मांग की।
तुलसी नगर में बने अवैध मजारें (Illegal Mazars in Tulsi Nagar)
भोपाल के तुलसी नगर इलाके में, जहां सरकारी अफसरों के घरों का प्रमुख जमावड़ा है, यहां एक सरकारी मकान में दो मजारों का निर्माण किया गया है। तुलसी नगर वह इलाका है, जहां मंत्रियों और वरिष्ठ आईएएस अफसरों के सरकारी बंगले स्थित हैं। यहां के लगभग 90 प्रतिशत मकानों में विभिन्न सरकारी अधिकारी निवास करते हैं, जिनमें एडीएम, एसडीएम, डॉक्टर, इंजीनियर और पुलिसकर्मी शामिल हैं।
स्थानीय लोगों के अनुसार, यह मजारें कई सालों से यहां स्थित हैं और आसपास के मुस्लिम समुदाय के लोग इनका ध्यान रखते हैं। हालांकि, जब यह मामला हिंदू वादी संगठनों के ध्यान में आया, तो उन्होंने इसको लैंड जिहाद (Land Jihad) से जोड़ते हुए प्रशासन से इसकी जांच की मांग की है।
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हिंदू संगठन का विरोध (Allegations Raised)
हिंदू वादी संगठनों ने इस मामले को लेकर गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि यह सरकारी संपत्ति पर अवैध रूप से धार्मिक स्थल निर्माण करने का प्रयास है, जो कि लैंड जिहाद का हिस्सा हो सकता है। इन संगठनों का मानना है कि यदि इन मजारों का निर्माण धर्म परिवर्तन या अन्य कारणों से हुआ है, तो यह कानून की अवहेलना है। इस आरोप के बाद, एसडीएम अर्चना शर्मा ने मामले की गंभीरता को समझते हुए जांच के आदेश दिए हैं।
क्या यह मजारें पुरानी हैं या हाल ही में बनाई गई हैं?
हिंदू संगठनों के अनुसार, यह मजारें अब से कुछ ही समय पहले बनाई गई हैं। हालांकि, इस पर प्रशासन ने जांच शुरू कर दी है। जिला प्रशासन को इस मामले की जांच करने के बाद निर्णय लेना है कि ये मजारें पहले से बनी हुई थीं या बाद में बनाई गईं।
लैंड जिहाद सहन नहीं- विश्वास सारंग का बयान
इसी मामले पर राज्य के मंत्री विश्वास सारंग ने मीडिया से बात की। उन्होंने कहा कि "लैंड जिहाद" किसी भी स्तर पर सहन नहीं किया जाएगा। मंत्री ने यह भी कहा कि इस मामले की एसडीएम द्वारा जांच की जा रही है और यदि यह सही पाया गया कि मजारें बाद में बनाई गई हैं, तो संबंधित कार्रवाई की जाएगी।
मंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि अगर मकान के अंदर मजारें मिलती हैं, तो इसका मतलब है कि मजारें बाद में बनाई गईं, जो कि सरकारी इलाके में अस्वीकार्य है। उन्होंने यह भी कहा कि "हमने पहले भी लैंड जिहाद के खिलाफ कार्रवाई की है, और यह किसी भी स्तर पर सहन नहीं किया जाएगा।
लैंड जिहाद पर प्रशासन की प्रतिक्रिया
इस मामले पर जिला प्रशासन ने अपना रुख स्पष्ट किया है और कहा है कि अगर यह मामला लैंड जिहाद से जुड़ा हुआ है, तो कार्रवाई की जाएगी। प्रशासन ने यह भी कहा है कि चूंकि यह सरकारी मकान हैं, इसलिए तथ्यों की जांच में कोई दिक्कत नहीं आएगी और जांच पूरी होने के बाद उचित कदम उठाए जाएंगे।
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एसडीएम की कार्रवाई (Action by SDM)
रिपब्लिक भारत के सवालों का जवाब देते हुए एसडीएम अर्चना शर्मा ने कहा कि सरकारी मकानों में किसी भी प्रकार के धार्मिक स्थल का निर्माण अवैध है। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि मामले की पूरी जांच की जाएगी, और यदि इसे अवैध पाया गया तो इसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। एसडीएम ने स्थानीय पटवारी और तहसीलदार को जांच के आदेश दिए हैं और जांच रिपोर्ट के बाद कार्रवाई की बात कही है।
लैंड जिहाद पर विवाद (Controversy Over Land Jihad)
इस पूरे मामले के बाद, लैंड जिहाद शब्द का इस्तेमाल करते हुए हिंदू वादी संगठनों ने इसकी जांच की मांग की है। उनके अनुसार, यह किसी प्रकार का धर्म परिवर्तन या अवैध धार्मिक स्थल बनाने का प्रयास हो सकता है। इस मामले ने एक नए विवाद को जन्म दिया है, जिसमें प्रशासन और विभिन्न संगठन दोनों पक्षों से अपनी बात रख रहे हैं।
निष्कर्ष (Conclusion)
भोपाल के तुलसी नगर इलाके में हुई इस घटना ने प्रशासन को एक नई चुनौती दी है। जहां एक ओर हिंदू वादी संगठन इसे लैंड जिहाद के रूप में देख रहे हैं, वहीं दूसरी ओर प्रशासन मामले की गंभीरता से जांच कर कार्रवाई करने की बात कर रहा है। यह मामला न केवल भोपाल के स्थानीय प्रशासन के लिए एक परीक्षण बन गया है, बल्कि यह पूरे राज्य में धार्मिक और कानूनी विवादों का एक और उदाहरण है। प्रशासन की त्वरित और निष्पक्ष कार्रवाई पर सभी की निगाहें हैं।
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