/sootr/media/media_files/2025/01/10/nuW9s18fFpV8Wcq8Q8hd.jpg)
भोपाल की सड़कों पर अगले छह महीनों में दो महत्वपूर्ण बदलाव हो सकते हैं। पहला बदलाव जुलाई तक भोपाल मेट्रो की शुरुआत हो सकता है। दूसरा बदलाव शहर की बसों के बेड़े में इलेक्ट्रिक बसों का जुड़ना है। पीएम ई-बस योजना के तहत राज्य के 6 शहरों – भोपाल, इंदौर, जबलपुर, उज्जैन और सागर – में पीपीपी मॉडल पर 552 शहरी ई-बसें चलाई जाएंगी। इसे पिछले साल फरवरी महीने में मंजूरी मिली थी।
इस बारे में शहरी विकास और आवास विभाग के अतिरिक्त आयुक्त डॉ. परीक्षित जाडे ने टीओआई को बताया कि हम उम्मीद करते हैं कि पीएम ई-बस योजना के तहत ये इंट्रासिटी बसें 2025 के मध्य तक या अंत तक शुरू हो जाएंगी। इस बदलाव से छात्रों और अन्य सार्वजनिक परिवहन उपयोगकर्ताओं के लिए सार्वजनिक परिवहन के वित्तीय बोझ को कम करना है। महामारी के खत्म होने के बाद ये लोग सब्सिडी वाले बस पास का लाभ नहीं उठा पा रहे हैं।
BSNL को मिलेंगी 100 ई-बसें
सूत्र के मुताबिक, एमपी यूएडीडी यात्रियों के सफर की लागत को सब्सिडी देने के लिए एक स्थिरता मॉडल पर का कर रहा है। इसके साथ ही बेड़े की व्यवहार्यता को भी बनाए रखा जाएगा। भोपाल नगर निगम की सहायक कंपनी भोपाल सिटी लिंक लिमिटेड आर्थिक रूप से संघर्ष कर रही है। यह राज्य सरकार के समर्थन और वायबिलिटी गैप फंडिंग पर डिपेंड है। बीएसएनएल को इस योजना के तहत 100 ई-बसें प्राप्त होंगी।
एमपी नगर में 5000 से ज्यादा छात्रों का आना-जाना
महामारी से पहले भोपाल में 35,000 से ज्यादा लोग मेयर के बस पास से यात्रा करते थे, जिससे उन्हें यात्रा करने का लाभ मिलता था। लेकिन मिसरोद से एमपी नगर आने-जाने वाले जेईई कोचिंग के छात्र, सार्थक और हर्षित, कभी इस सुविधा का लाभ नहीं उठा पाए। एमपी नगर में करीब 5000 स्टूडेंट हर रोज 5 किलोमीटर की दूरी तय करते हुए कोचिंग क्लासेस में आते-जाते हैं। इन छात्रों द्वारा किए गए यात्रा खर्च का अनुमान करीब 35 लाख रुपए मंथली है। इसका अर्थ है कि हर स्टूडेंट हर रोज करीब 25 रुपये यात्रा पर खर्च करता है। अगर महामारी से पहले मेयर पास की तरह एक स्टूडेंट बस पास की व्यवस्था होती, तो यह यात्रा लागत आधी से भी कम हो सकती थी।
छात्रों के लिए बड़ी राहत
हर्षित ने कहा कि अगर स्टूडेंट पास लागू हो, तो छात्रों को कोचिंग क्लासेस के लिए सफर पर 50 फीसदी से ज्यादा की सेविंग हो सकती है। कई छात्राओं को देर शाम को कोचिंग क्लास से वापस लौटते समय ज्यादा खर्च करना पड़ता है। जल्दी घर पहुंचने के लिए ई-रिक्शा का सहारा लेने से यात्रा खर्च तीन गुना बढ़ जाता है, जिससे उनके आर्थिक बोझ में बढ़ोतरी होती है। भोपाल की मेयर, मालती राय से इस मुद्दे पर संपर्क किया गया, लेकिन कोई प्रतिक्रिया प्राप्त नहीं हुई।
thesootr links
- मध्य प्रदेश की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- छत्तीसगढ़ की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- रोचक वेब स्टोरीज देखने के लिए करें क्लिक