600 करोड़ के खर्च का कोई हिसाब नहीं, भोपाल नगर निगम की तिजोरी अब भी बंद

नगर निगम का बजट पेश हुए 20 दिन बीत चुके हैं लेकिन तिजोरी से फूटी कौड़ी भी बाहर नहीं निकली। भाजपा और कांग्रेस पार्षदों ने 600 करोड़ रुपये के रिवाइज बजट में भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए हैं।

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Rohit Sahu
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MP News: वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए भोपाल नगर निगम का बजट 20 दिन पहले पेश किया जा चुका है, लेकिन हैरानी की बात ये है कि इतने दिन बीतने के बावजूद भी नगर निगम (Bhopal nagar nigam) की तिजोरी अब तक नहीं खुल पाई है। इसका सीधा असर विकास कार्यों और नियमित खर्चों पर पड़ा है। अधिकारियों के पास भुगतान के लिए पैसा नहीं है, जिससे शहर में काम ठप हो गए हैं।

600 करोड़ का हिसाब न मिलने पर घमासान

नगर परिषद की बैठक में सबसे बड़ा मुद्दा यही रहा कि रिवाइज बजट में खर्च किए गए 600 करोड़ रुपये का कोई स्पष्ट हिसाब नहीं दिया गया। भाजपा पार्षद शैलेष साहू और कांग्रेस पार्षद रेहाना सुल्तान ने एमआईसी पर आरोप लगाया कि उसने जानबूझकर खर्च का ब्योरा छिपाया है। दोनों दलों के पार्षदों ने मिलकर यह मुद्दा उठाया, जिससे परिषद में गुटबाजी भी देखने को मिली।

एमआईसी की चुप्पी पर खड़े हो रहे सवाल

भोपाल नगर निगम में घोटाला कथित रूप से 600 करोड़ रुपये का बताया जा रहा है। इस कथित भ्रष्टाचार पर आरोप लगने के बावजूद महापौर परिषद (एमआईसी) की ओर से अब तक कोई ठोस जवाब नहीं आया है। न ही बजट के रिवाइज हिस्से की सार्वजनिक रूप से समीक्षा की गई है। यह चुप्पी अब और भी कई सवाल खड़े कर रही है।

तिजोरी बंद होने से रुके सरकारी वेतन 

तिजोरी बंद होने का सीधा असर अप्रैल महीने की सैलरी पर भी पड़ा है। अधिकारी और कर्मचारियों का वेतन समय पर नहीं मिल पा रहा। वहीं दूसरी ओर, डेवलपमेंट से जुड़े सारे भुगतान भी रुक गए हैं, जिससे ठेकेदारों ने काम बंद करना शुरू कर दिया है।

शिकायत मिली है, जवाब लिया जाएगा–निगम अध्यक्ष

नगर निगम अध्यक्ष किशन सूर्यवंशी ने कहा कि “इस मामले में प्रश्न पूछने वाले पार्षद से लिखित शिकायत प्राप्त हुई है। एमआईसी से जवाब लिया जाएगा और बजट की औपचारिकताएं शीघ्र पूरी करने के निर्देश दिए गए हैं। लेकिन इस वक्तव्य से भी कोई स्पष्ट समाधान निकलता नहीं दिख रहा।

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फंड की कमी से कई जरूरी प्रोजेक्ट अधूरे

जल नेटवर्क का काम ठप, ठेकेदार ब्लैकलिस्ट

शहर में प्रमुख जल स्रोतों से संपवेल और टंकियों तक नेटवर्क तैयार कर रही तापी इंटरप्राइजेज को 3.72 करोड़ रुपये का भुगतान नहीं हुआ। भुगतान न होने पर कंपनी ने काम बंद कर दिया, जिसके बाद नगर निगम ने कंपनी को ब्लैकलिस्ट कर दिया।

पाइपलाइन परियोजना अधर में, टुकड़ों में हो रहा भुगतान

शहर के अंदरूनी इलाकों में पाइपलाइन नेटवर्क बिछा रही सुराणा कंपनी को 1.60 करोड़ रुपये का भुगतान लंबित है। निगम द्वारा टुकड़ों में भुगतान किया जा रहा है जिससे गर्मी के मौसम में पाइपलाइन बिछाने का काम रुक गया है।

स्ट्रीट लाइट का अंधेरा, 4 करोड़ का बकाया

नगर निगम के पास शहर की स्ट्रीट लाइट, वार्डों की लाइटिंग और सार्वजनिक स्थलों की रोशनी का दायित्व है। लेकिन ठेकेदार के 4 करोड़ रुपये निगम के पास बकाया हैं, जिससे प्रकाश व्यवस्था चरमरा गई है।

हाउसिंग फॉर ऑल के लिए 100 करोड़ की जरूरत

नगर निगम को हाउसिंग फॉर ऑल प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए 100 करोड़ रुपये की तत्काल जरूरत है। लेकिन अभी तक 50 करोड़ से ज्यादा की राशि ठेकेदारों को नहीं मिली, जिससे निर्माण में लगातार देरी हो रही है।

ग्रीन बिल्डिंग की लागत बढ़ी, भुगतान में देरी

नगर निगम मुख्यालय में बन रही ग्रीन बिल्डिंग की लागत 22 करोड़ से बढ़कर अब 39 करोड़ रुपये हो चुकी है। भुगतान नहीं होने से यह प्रोजेक्ट भी देरी का शिकार हो गया है।

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