मंत्री के बंगले पर प्रकृति का अजूबा...नीम के पेड़ पर लटक रहे आम के रसीले फल

भोपाल में एक पेड़ आजकल काफी सुर्खियां बटोर रहा है। नीम का यह पेड़ है तो करीब 20 से 25 साल पुराना, लेकिन इन दिनों आम दे रहा है। सोशल मीडिया पर पोस्ट आने के बाद हर तरफ इस पेड़ की चर्चाएं हो रही हैं...

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Aparajita Priyadarshini
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मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में एक पेड़ आजकल काफी सुर्खियां बटोर रहा है। यह पेड़ तब सुर्खियों में आया, जब पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री प्रहलाद पटेल ने सोशल मीडिया पर इस पेड़ का फोटो और वीडियो शेयर किया। यहां पर एक नीम का पेड़ है, लेकिन उसमें फल आम के लगते हैं ( viral news mango in neem tree )। शनिवार को जब इस पेड़ पर मंत्री की नजर पड़ी तो वह भी अचंभित हो गए। सोशल मीडिया पर पोस्ट आने के बाद हर तरफ इस पेड़ की चर्चाएं होने लगीं।

क्या ऐसा संभव है...

हां ये ग्राफ्टिंग ( grafting ) से संभव है।  ग्राफ्टिंग में एक पौधे के फूलने या फलने के गुणों को दूसरे पौधे की जड़ों के साथ मिलाया जाता है। ग्राफ्टिंग एक ऐसी तकनीक है जिसमें दो अलग-अलग पौधों के हिस्सों को काटकर, जोड़कर और जमीन में जड़ लगाकर अभ्यास किया जाता है। कुछ दिनों के बाद, ग्राफ्ट के ऊतक (Cells) जड़ वाले पौधे के ऊतकों के साथ मिलकर समय के साथ एक ही पौधे के रूप में विकसित होते हैं। यहाँ, इस बागवानी तकनीक में, पौधों के विभिन्न भागों का उपयोग नए पौधे बनाने के लिए किया जाता है। 

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कई बार ऐसा भी देखने को मिलता है कि नीम के पेड़ में आम का पेड़ उग आया होगा। कई बार बड़े पेड़ों में आम की गुठली गिर जाती है तो पौधे उग आते हैं और बड़े होकर वे फल भी देने लगते हैं।

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मंत्री का बंगला काफी पुराना है 

अनुमान लगाया जा रहा है कि यह पेड़ करीब 20 से 25 साल पुराना है। प्रहलाद पटेल को यह बंगला इसी साल आवंटित हुआ है। इससे पहले यहां पर ओमप्रकाश सकलेचा रहते थे। वे शिवराज सरकार में सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्री थे। मुख्यमंत्री आवास के बाद यह राजधानी के सभी बंगलों में सबसे बड़ा है। इस बंगले में कभी मुख्यमंत्री कार्यालय हुआ करता था। जब पीसी सेठी मुख्यमंत्री थे तो वे यहीं रहते थे। पूर्व उपमुख्यमंत्री शिवभानु सिंह सोलंकी और सुभाष यादव का भी आवास था। उसके बाद यह बंगला लंबे समय तक खाली रहा। 2018 में मप्र में जब कांग्रेस की सरकार बनी तो यह बंगला पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को आवंटित किया गया था। हालांकि वे यहां शिफ्ट नहीं हुए थे।

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