NGT और हाई कोर्ट के नोटिस के बाद भी भोपाल में नहीं तोड़े गए 1100 से अधिक अवैध निर्माण

भोपाल में कलियासोत नदी और तालाबों के किनारे बने 1100 निर्माण को हटाने के लिए हाई कोर्ट और NGT कई बार नोटिस दे चुके हैं लेकिन प्रशासन की और से अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है।

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Abhilasha Saksena Chakraborty
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Illegal construction in Bhopal
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MP News: महाराष्ट्र के पिंपरी चिंचवड़ में सुप्रीम कोर्ट  के निर्देशों का पालन करते हुए प्रशासन ने 17 मई को नदी के जलभराव क्षेत्र में बने 36 बंगलों को गिरा दिया। यह कार्रवाई नेशनल ग्रीन ट्राइब्यूनल (NGT) और शीर्ष अदालत के आदेशों के अनुसार की गई। हालांकि, भोपाल में ऐसा कोई सख्त कदम अब तक नहीं उठाया गया है। हालात यहां कहीं अधिक गंभीर हैं।

कलियासोत और बड़े तालाब के किनारे अवैध निर्माण

भोपाल की कलियासोत नदी (Kaliyasot River) और इसके कैचमेंट एरिया में बीते 12 वर्षों में 1100 से अधिक अवैध निर्माण (Illegal Constructions) हो चुके हैं। जिला प्रशासन सिर्फ नोटिस भेजने की बात कहता है, लेकिन धरातल पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।

कुछ प्रमुख निर्माण जो जल क्षेत्र में बने

कलियासोत रिजर्वायर: 11 बड़े बंगले, फार्म हाउस और रेस्टोरेंट।
33 मीटर क्षेत्र में: 58 बड़े प्रोजेक्ट्स जिनमें लाखों की लागत वाले फ्लैट।
बड़ा तालाब: FTL से 50 मीटर के भीतर 12 होटल समेत 300 पक्के निर्माण।
अन्य जलस्त्रोत: मोतिया तालाब, नवाब सिद्दीक हसन तालाब, बाग मुंशी हुसैन तालाब में जमीन की फिलिंग।
केरवा डैम: लगभग 2000 डंपर की फिलिंग कर निर्माण की जमीन तैयार की गई।

केवल औपचारिकताएं

भोपाल कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह ने कहा कि कोर्ट के निर्देशों के अनुसार जांच और नोटिस की प्रक्रिया जारी है। लेकिन बीते 12 वर्षों में नतीजा शून्य रहा है। प्रशासन का कहना है कि "जल्द कार्रवाई करेंगे"- यह वाक्य अब भोपालवासियों के लिए एक मज़ाक बन गया है।

पर्यावरणीय खतरा

एनजीटी (NGT) और हाईकोर्ट ने कई बार निर्देश दिए हैं कि जलस्त्रोतों के कैचमेंट एरिया से अवैध निर्माण हटाए जाएं। लेकिन भोपाल में राजनीतिक प्रभाव और प्रशासनिक शिथिलता के चलते प्रकृति और कानून दोनों की अनदेखी हो रही है।

महाराष्ट्र में सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बाद पांच साल में कार्रवाई हो गई, लेकिन भोपाल में 12 साल बाद भी नोटिस की प्रक्रिया ही पूरी नहीं हुई।

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