मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने भोपाल के यूनियन कार्बाइड से जहरीला कचरा एक महीने में हटाने के आदेश जारी किए हैं। बुधवार को एक याचिका पर सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने बताया कि एक साल पहले मप्र सरकार को कचरे को हटाने के लिए 126 करोड़ रुपए दिए गए थे। इसके बावजूद, कचरे को हटाने का काम शुरू नहीं हुआ है। राज्य सरकार ने कोर्ट को सूचित किया कि ठेकेदार को 20% एडवांस राशि का भुगतान किया जा चुका है, लेकिन काम शुरू नहीं हुआ।
'एक महीने के अंदर कचरे को हटाने का काम हो शुरू'
इस पर चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस विवेक जैन की बेंच ने कड़ा रुख अपनाया और कहा कि एक माह के भीतर कचरे को हटाने का काम शुरू किया जाए। अगर अधिकारी इस आदेश का पालन करने में विफल रहे, तो अवमानना की कार्रवाई की जाएगी। इसके साथ ही गैस राहत विभाग के प्रमुख सचिव को कोर्ट में पेश होने का आदेश दिया गया है। अगली सुनवाई 6 जनवरी को होगी। बता दें कि भोपाल के यूनियन कार्बाइड से जहरीला कचरा न हटाए जाने को लेकर द सूत्र ने सवाल भी उठाए थे, जिसके बाद अब कोर्ट ने भी सख्त निर्देश दिए हैं और एक महीने के अंदर कचरा हटाने को कहा है।
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350 मीट्रिक टन जहरीला कचरा जस का तस
यह याचिका 2004 में आलोक प्रताप सिंह ने दायर की थी, जिनकी अब मौत हो चुकी है। इस मामले में कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया और सुनवाई की। याचिकाकर्ता के वकील नमन नागरथ ने कोर्ट को बताया कि 20 साल में कई बार राज्य सरकार को निर्देश दिए गए, फिर भी यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री परिसर में लगभग 350 मीट्रिक टन जहरीला कचरा जस का तस पड़ा है।
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'कचरे को इन्सीनरेटर में जलाकर किया जाएगा नष्ट'
मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के रीजनल ऑफिसर बृजेश शर्मा ने कोर्ट को बताया कि इस कचरे को इन्सीनरेटर में जलाकर नष्ट किया जाएगा, और इसके लिए कचरे को भोपाल से इंदौर के पास पीथमपुर ले जाया जाएगा। प्रदूषण बोर्ड ने इस प्रक्रिया को लेकर पूरी तैयारी कर ली है। इससे पहले 2015 में पीथमपुर के रामकी एनवायरो इंजीनियर्स लिमिटेड के इन्सीनरेटर में 10 टन रासायनिक कचरे को जलाकर नष्ट करने का प्रयोग सफल रहा था।
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