अफसरों और माननीयों की जमीन के कारण अटक गया भोपाल पश्चिमी बाइपास प्रोजेक्ट, जानें किस- किसकी है जमीन

भोपाल पश्चिमी बाइपास प्रोजेक्ट भूमि अधिग्रहण में अड़चनों के कारण रुका हुआ है। 40.90 किमी लंबे इस बाइपास के लिए 250 हेक्टेयर निजी जमीन का अधिग्रहण नहीं हो सका है, जिसमें कई रसूखदार लोगों की जमीनें शामिल हैं।

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Raj Singh
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भोपाल का पश्चिमी बाइपास (Western Bypass) प्रोजेक्ट भूमि अधिग्रहण में आई रुकावटों के कारण अटका हुआ है। इस 40.90 किमी लंबे बाइपास (Western Bypass 40.90 km) के लिए 250 हेक्टेयर निजी जमीन अधिग्रहण करनी है, जिसमें पूर्व मंत्री, आईएएस अफसर, और बिल्डर्स जैसे रसूखदार लोगों की जमीनें शामिल हैं। यह प्रोजेक्ट राजधानी के विकास के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण माना जा रहा है, लेकिन जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया में कई दिक्कतें आ रही हैं।

ये है भूमि अधिग्रहण की चुनौती

सरकारी नियमों के अनुसार, मार्च 2025 तक 80% निजी जमीन का पजेशन सरकार को लेना था, लेकिन अभी तक जमीन अधिग्रहण नहीं हो पाया है। कुल 3200 लोगों की निजी जमीन इस प्रोजेक्ट में अधिग्रहण के दायरे में आती है। इनमें पूर्व मंत्री विजयलक्ष्मी साधौ (Vijaylaxmi Sadho), पूर्व आईएएस अफसर मनोज श्रीवास्तव (Manoj Srivastava), और अन्य कई प्रभावशाली लोगों की जमीनें शामिल हैं।

इनकी हैं जमीनें

  1. पूर्व मंत्री विजय लक्ष्मी साधौ
  2. पूर्व आईएएस मनोज श्रीवास्तव 
  3. सीए प्रमोद शर्मा
  4. नीलेश मारन
  5. आशा वर्मा
  6. मोती बिल्डर्स 
  7. विंग कमांडर एसी वाजपेयी
  8. आयुष्मान डेवलपर्स (राजेश सर्राफ)
  9. धनविद्या रियलटर्स प्रा.लि. (नवीन कुमार जैन, अजय संतोष नागर)
  10. विवेकानंद विचारधाम शिक्षा और समाज कल्याण समिति (राजेश कुमार साहू)
    इसके अलावा और भी कई बड़े नाम हैं, जिन्होंने यहां जमीन खरीद रखी है। 

प्रोजेक्ट से पड़ सकता है भोपाल के पर्यावरण पर असर

इस बाइपास के निर्माण से भोपाल के कई महत्वपूर्ण जल स्रोतों जैसे कोलार (Kolar), कलियासोत (Kaliyasot), और बड़ा तालाब (Bada Talab) पर भी असर पड़ने की आशंका जताई जा रही है। हालांकि, सड़क विकास निगम (RDC) के अनुसार बाइपास इन जल स्रोतों से पर्याप्त दूरी पर है और उनका कैचमेंट क्षेत्र प्रभावित नहीं होगा। बाइपास के निर्माण के दौरान 3248 पेड़ काटे जाएंगे, लेकिन इसकी एवज में 90 हजार नए पेड़ लगाए जाएंगे, जिसमें 13 करोड़ रुपए का प्रावधान है।

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क्यों पड़ रही बाइपास की जरूरत

भोपाल के रिंग रोड (Ring Road) को पूरा करने और एयरपोर्ट (Airport) तक सीधी कनेक्टिविटी के लिए यह बाइपास बेहद आवश्यक है। यह बाइपास भोपाल-जबलपुर एनएच 45 (Bhopal-Jabalpur NH 45) से होते हुए मंडीदीप और कोलार से होकर गुजरेगा, जिससे भोपाल-देवास मार्ग की दूरी 20 किमी तक कम हो जाएगी। बाइपास के तहत चार ग्रेड सेपरेटर (Grade Separator), एक आरओबी (ROB), 62 पुलिया, और अन्य संरचनाएं बनाई जाएंगी।

क्या बोले सांसद आलोक शर्मा

भोपाल के सांसद आलोक शर्मा (Alok Sharma) ने कहा कि वे इस प्रोजेक्ट को रुकने नहीं देंगे, चाहे इसके लिए किसी की भी जमीन अधिग्रहित करनी पड़े। यह बाइपास भोपाल की जरूरत है, और इसके बिना शहर का विकास रुक सकता है।

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