मप्र कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी दस माह की उठापटक के बाद 177 सदस्यीय कार्यकारिणा घोषित करने में सफल हुए हैं, लेकिन जैसा तय था सूची के बाद कई अंदरूनी बगावत का दौर शुरू हो चुका है। कई बड़े नामों के कद छोटे हो गए हैं और कई छोटे नाम को बड़े कद मिल गए हैं। इस अंदरूनी बगावत का पहला नजारा पूर्व शहर कांग्रेस अध्यक्ष प्रमोद टंडन ने दिखाया और कांग्रेस से ही इस्तीफा दे डाला।
इंदौर क्षेत्र के बड़े नेताओं को क्या मिला है सूची में
- एक्जीक्यूटिव कमेटी मेंबर- सत्यनारायण पटेल
- परमानेंट इनवाइटीज- सज्जनसिंह वर्मा, शोभा ओझा
- स्पेशल इनवाइटीज- अश्विन जोशी, अर्चना जायसवाल, प्रमोद टंडन
- जनरल सेक्रेटरी- विनय बाकलीवाल, अभय दुबे, विपिन वानखेड़े, रघु परमार, अभय तिवारी और संजय कामले, मृणाल पंत
कौन किसका समर्थक
जनरल सेक्रेटरी बने विनय बाकलीवाल पूर्व शहराध्यक्ष हैं और कमलनाथ समर्थक हैं, अभय दुबे राष्ट्रीय मीडिया समन्वय हैं ऑल इंडिया कांग्रेस में, अभय तिवारी आईटी सेल के पूर्व अध्यक्ष हैं, कामले जीतू पटवारी के करीबी हैं, विपिन वानखेड़े पूर्व विधायक हैं, रघु परमार दिग्विजय सिंह के करीबी हैं।
सत्तू को मिला करीबी होने का फायदा
प्रियंका गांधी के करीबी होने का फायदा फिर पूर्व विधायक सत्तू पटेल को मिला और उन्हें पॉवरफुल एक्जीक्यूटिव कमेटी में मेंबर बनाया गया है। वो इंदौर से इसमें जगह पाने वाले इकलौते सदस्य हैं।
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सज्जन तो पटवारी की तारीफ करते रहे
इसमें सबसे चौंकाने वाली बात पूर्व मंत्री सज्जन सिंह वर्मा के नाम को लेकर आ रही है। उन्हें सबसे पावरफुल बॉडी एक्जीक्यूटिव कमेटी में नहीं लेते हुए परमानेंट इनवाइटीज में लिया गया है। जबकि जब लोकसभा चुनाव में जीतू अक्षय बम के बीजेपी में जाने से निशाने पर आए थे तब सज्जन ने जीतू का बचाव किया और उनका जमकर समर्थन किया था।
यही हाल शोभा ओझा का हुआ है उन्हें भी कमेटी में नहीं लेते हुए परमानेंट इनवाइटीज में लिया गया है। पूर्व विधायक अश्विन जोशी भी केवल स्पेशल इनवाइटीज में ही जगह पा सके, उनके कद के हिसाब से उन्हें भी मौका नहीं मिला है। इंदौर में ही रहने वाले पूर्व मंत्री बाला बच्चन को भी एक्जीक्यूटिव कमेटी में जगह नहीं मिली और परमानेंट इनवाइटीज में ही रखा गया है।
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इंदौर में अल्पसंख्यक से मौका नहीं
उधर इस कमेटी में इंदौर से किसी अल्पसंख्यक नेता को मौका नहीं मिलना भी सभी को खटक रहा है। इसमें बड़े नामों में शेख अलीम का नाम था। लेकिन उन्हें किसी भी कमेटी में जगह नहीं दी गई है और ना ही कोई पद दिया गया है।
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