BHOPAL. जिलाध्यक्षों के चयन के अध्यक्ष को लेकर मध्य प्रदेश बीजेपी में हलचल बढ़ गई है। प्रदेश बीजेपी के छत्रपों में अपने खेमे से जिलाध्यक्ष की ताजपोशी की कोशिशों के घमासान को देखते हुए शुक्रवार को भी सूची जारी नहीं हो सकी। भोपाल में गुरुवार देर रात तक चली रायशुमारी और लिस्ट दिल्ली पहुंचने के बाद शुक्रवार शाम तक पहली सूची आने की संभावना जताई जा रही थी। लेकिन सहमति के बावजूद भी कई जिलों के लिए भी घोषणा फिलहाल टाल दी गई है। अब शनिवार को प्रदेश के आधे जिलों के अध्यक्षों की पहली सूची आने की उम्मीद है। हालांकि पांच से आठ जिलों पर निर्णय में अभी भी पेंच फंसने की चर्चा है। जिससे इन जिलों में अध्यक्षों के नाम की घोषणा में दो दिन लग सकते हैं।
दिल्ली दरबार में दिनभर जुटते रहे नेता
प्रदेश बीजेपी संगठन की चुनावी प्रक्रिया लगातार लंबी होती जा रही है। जिला अध्यक्षों के चयन को लेकर दिग्गज नेताओं में सहमति न बनने से घोषणा टल रही है। जिला स्तर पर रायशुमारी के बाद भोपाल पहुंचे तीन-तीन नामों के पैनल पर बुधवार को दिनभर रायशुमारी जारी रही थी। प्रदेश कार्यालय में संगठन चुनाव प्रभारी सरोज पांडे, राष्ट्रीय सहसंगठन महामंत्री शिवप्रकाश और प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा की मौजूदगी में करीब 11.30 घंटे तक बंद कमरे में चर्चा हुई थी। प्रमुख नेताओं के बीच सहमति बनाने के प्रयासों के बाद देर रात सूची दिल्ली पहुंच गई थी। इसी वजह से निर्विवाद जिलों की घोषणा शुक्रवार शाम तक होना तय माना जा रहा था, हालांकि ऐसा नहीं हो सका। शुक्रवार को भी दिनभर प्रदेश कार्यालय में नेताओं की आवाजाही बनी रही। वहीं इंदौर, भोपाल, ग्वालियर, जबलपुर, उज्जैन, सागर सहित कुछ अन्य जिलों के दिग्गज नेताओं ने अपने गुट से जिलाध्यक्ष बनाने दिल्ली में भी लाबिंग करते रहे।
चंबल, बुंदेलखंड, मालवा में भी खींचतान
शुक्रवार को केंद्रीय संगठन के कई पदाधिकारियों से भी प्रदेश के बड़े नेताओं के मेल-मुलाकात का दौर जारी रहा। भोपाल में रायशुमारी के बाद दिल्ली पहुंची सूची के आधार पर ज्यादातर जिलों के नए अध्यक्षों की ताजपोशी लगभग तय मानी जा रही है। लेकिन कुछ जिलों में प्रदेश स्तर पर हुई रायशुमारी के बाद भी नेताओं में सहमति नहीं बनी है। बताया जा रहा है ग्वालियर सहित अंचल के जिलों में अपने खेमे के व्यक्ति को अध्यक्ष बनाने के लिए केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, विधानसभा अध्यक्ष नरेन्द्र सिंह तोमर के अलावा अन्य नेताओं में एक राय नहीं बनी है। इंदौर में भी नेता दूसरे गुट द्वारा प्रस्तावित नाम पर असहमत हैं। इस बीच सक्रिय कार्यकर्ता दिव्या गुप्ता का नाम शुक्रवार को इंदौर जिला अध्यक्ष के रूप में चर्चा में रहा। वहीं भोपाल के लिए वंदना जाचक के नाम पर भी चर्चा होती रही।
महिलाओं की सक्रियता से दिग्गज पिछड़े
प्रदेश की शहरी आबादी वाले 12 से 15 जिलों में महिलाओं को जिला अध्यक्ष बनाकर नया संदेश देने की तैयारी में है। महिला कार्यकर्ताओं की सक्रियता वाले जिलों में धाकड़ नेताओं की दावेदारी कमजोर पड़ती नजर आ रही है। इसके चलते सागर में पूर्व और वर्तमान मंत्रियों के अलावा नगर विधायक के दखल ने जिलाध्यक्ष के चयन को कठिन बना दिया है। इंदौर में मंत्री कैलाश विजयवर्गीय, पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन और सांसद शंकर लालवानी के खेमे भी भोपाल के बाद अब दिल्ली में लामबंदी कर रहे हैं। टीकमगढ़ में केंद्रीय मंत्री के दखल की वजह से जिलों के अध्यक्ष के चयन में देरी हो रही है और स्थानीय नेता खेमों के बंट गए हैं। महाकौशल अंचल में जबलपुर में मंत्री राकेश सिंह के खेमे की दावेदारी के सामने पूर्व मंत्री अजय बिश्नोई और कुछ विधायकों का विरोध है।
शनिवार को खत्म हो सकता है इंतजार
गुरुवार को प्रदेश में रायशुमारी के बाद शुक्रवार को दिल्ली में केंद्रीय पदाधिकारियों के सामने भी नेताओं की खेमेबाजी का दौर चलता रहा। इसके कारण प्रदेश के ज्यादातर जिलों के लिए नाम तय होने के बावजूद घोषणा टाल दी गई है। हालांकि अभी भी देर रात तक पहली सूची जारी होने की उम्मीद नेता लगा रहे हैं। वहीं शनिवार को निर्विवाद 25 से 35 जिलों की सूची जारी होना तय माना जा रहा है। दिग्गज और प्रभावशाली नेताओं के विरोध को कम करने के लिए केंद्रीय नेतृत्व द्वारा दो से तीन सूची के जरिए जिला अध्यक्षों के नाम की घोषणा करने की भी चर्चा है।
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