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BHOPAL. बीजेपी संगठन ने जिलों में नई टीम तैयार करने की शुरुआत तो कर दी है। लेकिन, 62 में से 24 जिलों की कार्यकारिणी अभी तक घोषित नहीं हो सकी है। स्थानीय मतभेद, नामों पर असहमति और पुराने समीकरणों की टकराहट इस देरी की बड़ी वजह है।
तालमेल नहीं होने से उलझा मामला
सूत्र बताते हैं कि कई जिलों में सांसदों और विधायकों के बीच तालमेल नहीं बैठ पा रहा है। इसके कारण जिला अध्यक्ष कार्यकारिणी को अंतिम रूप नहीं दे पा रहे हैं। ग्वालियर और चंबल में भी यही स्थिति रही है। पूर्व प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा, ज्योतिरादित्य सिंधिया और नरेंद्र सिंह तोमर को सुलह कराने में मशक्कत करनी पड़ी थी।
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पुराने विवादों की छाया अभी भी बरकरार
बीते कार्यकाल में जिलाध्यक्षों की घोषणा में देरी और विवादों ने पार्टी की काफी किरकिरी कराई थी। कई छोटे-बड़े जिलों में गुटबाजी इतनी गहरी थी कि नाम तय करने में लगातार अड़चनें आती रहीं हैं। नतीजतन, जिलाध्यक्षों की घोषणा कई बार टलती रही। संगठनात्मक ढांचा मजबूत करने का प्लान अधूरा रह गया।
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तीन महीने की कवायद, फिर भी अधूरी लिस्ट
वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल ने तीन महीने पहले जिला कार्यकारिणी गठन की प्रक्रिया शुरू की थी। लेकिन इतने लंबे समय के बाद भी 62 में से केवल 38 जिलों की टीम बन पाई है। बाकी 24 जिले राजनीतिक दबाव, कार्यकर्ताओं के विरोध और स्थानीय समीकरणों के कारण अटके हुए हैं।
ऑब्जर्वर की रिपोर्ट भी समाधान नहीं बन सकी
जिला कार्यकारिणी से पहले सभी जिलों में ऑब्जर्वर भेजे गए थे। 15 अगस्त तक रिपोर्ट सौंप दी गई थी। सांसद, विधायक और जिला अध्यक्षों से चर्चा की गई। इसके बावजूद कई जिलों में अंतिम सहमति नहीं बन सकी। सूची आज भी अधूरी है।
ग्वालियर, भोपाल, इंदौर, सागर और जबलपुर में गतिरोध
प्रदेश के दस संभागों में कुल 62 जिला इकाइयां हैं। कुछ प्रमुख जिलों में स्थिति अभी भी अटकी है। भोपाल शहर की कार्यकारिणी पर सहमति नहीं बनी है।
इंदौर ग्रामीण की टीम लंबित
इंदौर ग्रामीण, जबलपुर शहर और सागर शहर की टीम भी रुकी हुई। इन शहरों में क्षेत्रीय नेताओं का संतुलन बैठाना सबसे चुनौतीपूर्ण माना जा रहा है।
जमीनी कार्यकर्ताओं को प्राथमिकता, पर विवाद भी बढ़ा
संगठन इस बार ऐसे कार्यकर्ताओं को आगे लाना चाहता है जिनकी जमीनी पकड़ मजबूत हो। वे पूर्णकालिक रूप से पार्टी के काम में सक्रिय हों। इस वजह से नए और कम चर्चित चेहरे जगह पा रहे हैं। नई चयन प्रक्रिया के बाद कई जिलों में विवाद बढ़े। कार्यकर्ताओं का विरोध सामने आया। कुछ पदाधिकारियों से इस्तीफे लिए गए हैं।
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परिवारवाद के आरोपों ने बढ़ाई मुश्किलें
मंडला में फग्गन सिंह कुलस्ते की बहन प्रिया धुर्वे और मंत्री संपतिया उइके की बेटी श्रद्धा उइके के चयन पर विरोध हुआ। मऊगंज में पूर्व विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम के बेटे राहुल गौतम को लेकर सवाल उठे। इन विवादों ने प्रदेश अध्यक्ष के लिए कार्यकारिणी घोषित करना कठिन बना दिया।
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इन जिलों की कार्यकारिणी अब तक घोषित
बीजेपी कार्यकारिणी गठन: अब तक 38 जिलों की टीम घोषित हो चुकी है। इनमें आगर-मालवा, बालाघाट, बैतूल, भोपाल ग्रामीण, छिंदवाड़ा, दमोह, देवास, डिंडोरी, हरदा, मंडला, मऊगंज, पांढुर्णा, सागर ग्रामीण, शाजापुर, शहडोल, सीधी, सिंगरौली, उज्जैन नगर, उज्जैन ग्रामीण, खंडवा, अलीराजपुर, निवाड़ी, दतिया, रतलाम, अशोकनगर, मंदसौर, अनूपपुर, नीमच, बड़वानी, झाबुआ, मैहर, रीवा, श्योपुर, जबलपुर ग्रामीण, नर्मदापुरम, रायसेन, इंदौर नगर और गुना।
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