MP में सबसे बड़े OBC वोट बैंक को साधने बीजेपी ने 9 उम्मीदवार मैदान में उतारे, कांग्रेस ने 7 को ही दिया मौका

देश में होने वाले आम चुनाव में ओबीसी वोटर्स अहम भूमिका निभाने वाले हैं। मध्यप्रदेश में बीजेपी ने 9 और कांग्रेस ने 7 ओबीसी प्रत्याशियों को टिकट दिया है। अब देखना होगा कि बाजी किसके हाथ लगती है।

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Rahul Garhwal
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BJP gave tickets to 9 OBC candidates and Congress to 7 OBC candidates In Lok Sabha elections
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Lok Sabha Elections OBC Vote Bank In MP

संजय शर्मा, BHOPAL. ओबीसी वोटर्स के सहारे मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव जीतने वाली बीजेपी लोकसभा में भी इसे अपना बनाने का प्रयास कर रही है। पार्टी ने प्रदेश में सबसे ज्यादा संख्या वाली इस कम्युनिटी को देखते हुए चुनाव में 33 फीसदी यानी 9 उम्मीदवार मैदान में उतारे हैं। इनमें ग्वालियर, छिंदवाड़ा, सतना और सागर जैसी बड़ी लोकसभा सीटें भी शामिल हैं। बीजेपी इससे साफ सन्देश देने की कोशिश कर रही है कि ओबीसी वोटर अब भी उसके लिए खास है। वहीं कांग्रेस ओबीसी कम्युनिटी के प्रत्याशी उतारने में बीजेपी से जरा पीछे रह गई है। कांग्रेस ने इंडिया गठबंधन में प्रदेश में अपने हिस्से की 28 सीटों में से 7 ओबीसी कैंडिडेट्स को टिकट दिया है। 

OBC वोटर्स पर फोकस क्यों ?

आखिर ऐसा क्या है ओबीसी वोटर्स में कि केंद्र और प्रदेश की सत्ता में बैठी बीजेपी ही नहीं बल्कि बिखराव का सामना कर रही कांग्रेस भी इन पर इतना फोकस कर रही है। चलिए अब प्रदेश के वोटर्स की बात करते हैं। प्रदेश की साढ़े 7 करोड़ आबादी और पौने 6 करोड़ वोटर इस बार लोकसभा चुनाव में मतदान करेंगे। इनमें अन्य पिछड़ा वर्ग यानी ओबीसी वोटर्स की संख्या करीब 52 फीसदी है। मतलब प्रदेश की आधी आबादी से ज्यादा ओबीसी कम्युनिटी के वोटर हैं। यानी ये वोट बैंक जिस दल की और झुकाव दिखाएगा उसकी जीत तय हो जाएगी। यही वजह है कि कांग्रेस भी इस कम्युनिटी को अनदेखा नहीं करना चाहती। जबकि बीजेपी तो पहले से ही इस कम्युनिटी को अपना तुरुप का इक्का मानती आ रही है। 

यहां हार-जीत तय करते आ रहे OBC वोटर्स

अब उन लोकसभा सीटों का गणित भी समझते हैं जहां जीत-हार ओबीसी वोटर तय करते आ रहे हैं। ग्वालियर लोकसभा की चार विधानसभा सीटों पर ओबीसी वर्ग के मतदाताओं की संख्या प्रभावी है। पिछले विधानसभा चुनाव में इनमें से तीन पर ओबीसी उम्मीदवार को जीत मिली थी जिनमें एक कांग्रेस का भी है। सतना सीट पर ओबीसी वर्ग का प्रमुख घटक कुशवाहा-पटेल, कुर्मी वोट बैंक सबसे ज्यादा है। इसी वजह से यहां पिछली लोकसभा में गणेश सिंह सांसद निर्वाचित हुए थे और इसी सीट से विधानसभा में कांग्रेस के सिदार्थ कुशवाहा चुनाव में जीत दर्ज कराने में कामयाब रहे। नर्मदापुरम और जबलपुर लोकसभा सीट भी ओबीसी बाहुल्य वाली सीटें हैं। जबलपुर से इसी वोट बैंक के सहारे बीजेपी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह चुनाव जीतते रहे हैं। हालांकि इस बार इस सीट पर कांग्रेस ने बीजेपी के आशीष दुबे के सामने पूर्व महापौर दिनेश यादव को टिकट देकर इस वोट बैंक को साधने की कोशिश की है। 

दिनेश के अलावा कांग्रेस ने प्रदेश की गुना सीट पर भी यादव समाज से उम्मीदवार उतारा है। यहां कांग्रेस के राव यादवेंद्र सिंह बीजेपी के दिग्गज नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया को चुनौती दे रहे हैं। गुना सीट पर पर न केवल ओबीसी बल्कि यादव समाज के वोटर निर्णायक संख्या में हैं और कांग्रेस इसी का फायदा उठाने की कोशिश कर रही है। मंदसौर से दिलीप सिंह गुर्जर और खंडवा से नरेंद्र पटेल (गुर्जर) को उतारकर गुर्जर समाज को साधने का प्रयास किया है। वहीं बीजेपी ने लोकसभा चुनाव में यादव और गुर्जर समाज से एक भी टिकट नहीं दिया है और कांग्रेस दो-दो उम्मीदवार बनाने से इस समाज से फायदा मिलने की आस लगा रही है। बीजेपी ने किसान मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष दर्शन सिंह चौधरी को नर्मदापुरम से टिकट देकर ओबीसी मतदाता और अंचल के किसानों को भी साधने का प्रयास किया है। विदिशा-रायसेन संसदीय क्षेत्र से पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान एक बार फिर बीजेपी के टिकट पर मैदान में हैं। यहां भी लोधी, दांगी ठाकुर और किरार समाज के मतदाता सबसे ज्यादा हैं। हालांकि कांग्रेस ने ओबीसी वर्ग के सात प्रत्याशी मैदान में उतारे हैं। जबकि सीढ़ी और सतना में कुशवाहा-पटेल समाज को साधने कमलेश्वर पटेल और सिद्धार्थ कुशवाहा को टिकट दिया हैं। जबकि लोधी बाहुल्य दमोह सीट से पूर्व विधायक तरवर लोधी को चुनाव लड़ा रही है।  

किसका साथ देंगे OBC वोटर्स ?

ओबीसी कार्ड को लेकर विधानसभा चुनाव जीतने वाली बीजेपी लोकसभा में सबसे ज्यादा ओबीसी उम्मीदवारों को मौका देने का सन्देश इस वर्ग के मतदाताओं तक पहुंचा रही है। इसके लिए बीजेपी का पिछड़ा वर्ग प्रकोष्ठ और बड़े नेता लगातार समाजों के सम्मेलनों में भी पहुंच रहे हैं। बीजेपी ओबीसी मतदाताओं को ये भी बता रही है कि उसने उमा भारती से लेकर डॉ. मोहन यादव तक लगातार 4 ओबीसी वर्ग के सीएम दिए हैं। इस दावे के सामने कांग्रेस पिछड़ जाती है। अब तो लोकसभा चुनाव के नतीजे बताएंगे कि ओबीसी मतदाता बीजेपी के पक्ष में जाते हैं या कांग्रेस की और झुकते हैं। लेकिन ये तय है कि राजनीतिक दल वोट और जीत के लिए समाज को न केवल जातियों बल्कि वर्गों में बांटने से भी परहेज नहीं कर रहे हैं।

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बीजेपी के OBC कैंडिडेट्स

  • ग्वालियर - भारत सिंह कुशवाह
  • सागर - डॉ. लता वानखेड़े
  • दमोह - राहुल लोधी
  • सतना - गणेश सिंह
  • होशंगाबाद - दर्शन सिंह चौधरी
  • विदिशा - शिवराज सिंह चौहान
  • राजगढ़ - रोडमल नागर
  • खरगोन - गजेंद्र पटेल
  • छिंदवाड़ा - बंटी कुमार साहू

कांग्रेस के OBC कैंडिडेट्स

  • मंदसौर - दिलीप सिंह गुर्जर
  • खंडवा - नरेंद्र पटेल 
  • गुना - राव यादवेंद्र सिंह यादव     
  • जबलपुर - दिनेश यादव  
  • सीधी - कमलेश्वर पटेल      
  • सतना - सिद्धार्थ कुशवाहा      
  • दमोह - तरबर सिंह लोधी

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