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मध्यप्रदेश भारतीय जनता पार्टी (MP BJP) को आखिरकार जुलाई के पहले सप्ताह में नया प्रदेश अध्यक्ष मिलने जा रहा है। पार्टी नेतृत्व ने 1 जुलाई से प्रक्रिया शुरू करने का निर्णय लिया है और 2 जुलाई को नाम का ऐलान किया जाएगा। सूत्रों के मुताबिक, केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान इस प्रक्रिया के चुनाव अधिकारी होंगे और 1 जुलाई को शाम 4 बजे भोपाल पहुंचेंगे। अगले दिन यानी 2 जुलाई को वे नए प्रदेश अध्यक्ष के नाम की घोषणा करेंगे। द सूत्र ने सबसे पहले केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के भोपाल आने की खबर को बताया था।
भोपाल में बड़ी बैठक
चुनाव प्रभारी और केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के आने के बाद प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए नामांकन और स्क्रूटनी की प्रक्रिया शुरू होगी। 2 जुलाई को भोपाल में बड़ी बैठक आयोजित की जाएगी, जिसमें मंत्री, सांसद, विधायक, पदाधिकारी और राष्ट्रीय परिषद सदस्य शामिल होंगे और इसी बैठक में नए प्रदेश अध्यक्ष के नाम की घोषणा की जाएगी। इससे पहले 30 जून को राष्ट्रीय परिषद के लगभग 50 सदस्यों का चुनाव किया जाएगा। अब तक मंडल, जिला और प्रदेश परिषद के चुनाव पूरे हो चुके हैं और राष्ट्रीय परिषद के गठन के बाद प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव अंतिम चरण में पहुंच गया है।
नाम तय करने को लेकर पार्टी नेतृत्व सक्रिय
बीजेपी नेतृत्व इस बार आदिवासी या आरक्षित वर्ग से किसी नेता को प्रदेश अध्यक्ष बनाने पर गंभीरता से विचार कर रहा है। यह निर्णय सामाजिक संतुलन और आगामी चुनावों की रणनीति को देखते हुए लिया जा सकता है। इस बार अध्यक्ष चयन के लिए पार्टी राष्ट्रीय अध्यक्ष की नियुक्ति का इंतजार नहीं कर रही, बल्कि प्रदेश स्तर पर खुद ही संघटनात्मक बदलाव की दिशा में आगे बढ़ रही है।
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अप्रैल में शाह ने दो बार नब्ज टटोली
एमपी बीजेपी के नए प्रदेश अध्यक्ष के चयन की कवायद अप्रैल से ही चल रही थी। गृह मंत्री अमित शाह ने इसी विषय में 13 और 16 अप्रैल को मध्यप्रदेश का दौरा किया था। पहली बार वे 13 अप्रैल को भोपाल आए और सीएम सहित वरिष्ठ नेताओं से चर्चा की।
दूसरी बार 16 अप्रैल की रात वे नीमच पहुंचे और 17 अप्रैल तक प्रदेश में ही रहे। इन बैठकों में प्रदेश अध्यक्ष पद को लेकर गंभीर विचार-विमर्श हुआ। इस दौरान राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष ने भी मुख्यमंत्री से फीडबैक लिया था। अब एक बार फिर से केंद्रीय नेतृत्व प्रदेश नेताओं से रायशुमारी कर सकता है।
वीडी शर्मा का कार्यकाल समाप्त, अब नए नाम की तैयारी
वीडी शर्मा का कार्यकाल विधानसभा चुनाव 2023 के समय ही समाप्त हो गया था। पार्टी ने उनके कार्यकाल को चुनाव तक बढ़ाया था। इसके बाद उन्हें लोकसभा चुनाव तक एक्शटेंशन मिला और अभी तक वे ही अध्यक्ष पद संभाल रहे हैं। हालांकि उन्हें दोबारा मौका मिलने की संभावनाएं भी बनी हुई हैं। वहीं संगठन में बदलाव की मांग के चलते नई नियुक्ति को लेकर भी चर्चा है।
कौन बन सकता है बीजेपी का नया प्रदेश अध्यक्ष?
मध्यप्रदेश भाजपा में नए प्रदेश अध्यक्ष को लेकर कई नाम चर्चा में हैं। इनमें मौजूदा अध्यक्ष वीडी शर्मा को दोबारा मौका मिलना संभावित है, क्योंकि उनके कार्यकाल में पार्टी ने अच्छा प्रदर्शन किया है। अन्य संभावित नामों में हेमंत खंडेलवाल (बैतूल विधायक), पूर्व गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा, राज्यसभा सांसद सुमेर सिंह सोलंकी, मंडला सांसद फग्गन सिंह कुलस्ते, और एससी वर्ग से लाल सिंह आर्य शामिल हैं।
प्रबल दावेदारों ये लोग शामिल
1. वीडी शर्मा
वर्तमान प्रदेशाध्यक्ष और खजुराहो से सांसद हैं। उनके कार्यकाल में पार्टी ने 2023 विधानसभा और 2024 लोकसभा चुनावों में शानदार जीत दर्ज की। वे संगठनात्मक दृष्टि से मजबूत माने जाते हैं और बीएल संतोष व जेपी नड्डा तक उनके नेतृत्व की सराहना कर चुके हैं।
2. नरोत्तम मिश्रा
पूर्व गृहमंत्री और ब्राह्मण वर्ग का प्रभावशाली चेहरा हैं। विधानसभा चुनाव हारने के बावजूद पार्टी संगठन में सक्रिय हैं। लोकसभा चुनाव में उन्होंने ‘न्यू ज्वाइनिंग टोली’ के संयोजक के रूप में कांग्रेस नेताओं को भाजपा में शामिल कराने में अहम भूमिका निभाई।
3. हेमंत खंडेलवाल
बैतूल से विधायक हैं और कुशाभाऊ ठाकरे ट्रस्ट के अध्यक्ष भी हैं। उनका नाम अपेक्षाकृत चौंकाने वाला माना जा रहा है, लेकिन संगठन में पकड़ और प्रशासनिक अनुभव को देखते हुए उनकी दावेदारी मजबूत मानी जा रही है।
4. फग्गन सिंह कुलस्ते
मंडला से सांसद और आदिवासी समुदाय के वरिष्ठ नेता हैं। वे अनुसूचित जनजाति मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रह चुके हैं। अनुभव और सामाजिक संतुलन के लिहाज़ से उनकी दावेदारी को गंभीरता से देखा जा रहा है।
5. लाल सिंह आर्य
अनुसूचित जाति वर्ग से आते हैं और लगातार दो विधानसभा चुनाव हार चुके हैं, लेकिन संगठन में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थन से उनका नाम और भी मजबूत हो गया है।
6. सुमेर सिंह सोलंकी
राज्यसभा सांसद हैं और एक युवा आदिवासी चेहरा हैं। उनका आरएसएस (संघ) से जुड़ाव है, जिससे संगठन में उनकी स्वीकार्यता और मजबूत हो जाती है। वे संतुलित और भावनात्मक नेतृत्व के विकल्प माने जा रहे हैं।
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