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ग्वालियर की एक घटना ने पुलिस की मेहनत और ईमानदारी पर सवालिया निशान खड़ा कर दिया, और यह भी सिद्ध कर दिया कि कभी-कभी अपराधी अपने ही घर में छिपे होते हैं। यह घटना एक चोरी के मामले से जुड़ी है, जिसमें पुलिस का ही एक कांस्टेबल शामिल पाया गया। चौंकाने वाली बात यह थी कि चोरी करने वाला सिर्फ एक आम चोर नहीं था, बल्कि पुलिस विभाग का हिस्सा था। ग्वालियर के डबरा शहर में घटित इस घटना ने पुलिस महकमे में हड़कंप मचाया।
काली स्कॉर्पियो का रहस्य और वो कांस्टेबल
दरअसल 10 जुलाई की रात ग्वालियर के डबरा क्षेत्र में एक स्कॉर्पियो गाड़ी चोरी हो गई। गाड़ी के मालिक अवतार रावत ने तुरंत पुलिस को सूचित किया। जांच में पता चला कि यह चोरी एक सुनियोजित साजिश का हिस्सा थी, लेकिन जो बात सबसे ज्यादा चौंकाने वाली थी, वह यह थी कि इस चोरी में एक पुलिस कांस्टेबल भी शामिल था। कांस्टेबल का नाम है रवि जाटव, जो ग्वालियर के कालीपीठ थाना में तैनात था।
हालांकि चोरी का मुख्य आरोपी बॉबी बाथम है, और जब पुलिस ने उसे गिरफ्तार किया, तो यह राज खुला कि पुलिस कांस्टेबल रवि जाटव भी उसके साथ मिलकर वारदातों को अंजाम देता था। यह खुलासा पुलिस के लिए एक बड़ा झटका था, क्योंकि जाटव की भूमिका अपराधी की तरह सामने आ चुकी थी।
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पुलिस टीम का नजदीकी सामना
जैसे ही पुलिस ने रवि जाटव और उसके साथी बॉबी बाथम को गिरफ्तार किया, डबरा पुलिस ने मामले की तह तक जाने के लिए कड़ी पूछताछ शुरू की। यह मामला किसी फिल्मी सस्पेंस से कम नहीं था। यह पता चला कि रवि जाटव और बॉबी दोनों मिलकर चोरी की वारदातों को अंजाम देते थे। स्कॉर्पियो की चोरी के दिन भी रवि जाटव उस गाड़ी को लेकर फरार हो गया था।
काली स्कॉर्पियो के रहस्य को एक नजर में समझें...
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चोरों के गिरोह का हिस्सा थे रवि और बॉबी
ग्वालियर के पुलिस अधीक्षक यशवंत गोयल ने बताया कि डबरा सिटी पुलिस ने पहले ही 4 अन्य आरोपियों को गिरफ्तार किया था, जिनसे चोरी किए गए माल का पता चला था। पुलिस ने 6 तोला सोने और स्कॉर्पियो को बरामद किया। वहीं इनसे पूछताछ में यह राज सामने आया कि रवि जाटव और बॉबी बाथम चोरों के गिरोह का हिस्सा थे।
पुलिस ने बरामद किया चोरी का माल
जांच में यह भी सामने आया कि स्कॉर्पियो और चोरी के सोने के धंधे में एक और नाम जुड़ा था। डबरा के एक सराफा व्यापारी राजेंद्र सोनी ने यह चोरी का सोना खरीदा था, जिसे पुलिस ने पकड़ लिया। हालांकि, व्यापारी ने दावा किया कि उसने सोना बिना जानकारी के खरीदा था। पुलिस ने सोनी से पूछताछ के बाद चोरी का माल बरामद किया और उसे नोटिस देकर छोड़ दिया।
पुलिस के लिए एक बड़ा सवाल
यह पूरी घटना न सिर्फ ग्वालियर बल्कि पूरे राज्य में चर्चा का विषय बन गई। पुलिस कांस्टेबल का अपराध में शामिल होना अपने आप में एक गंभीर मामला था, और पुलिस महकमे में आंतरिक जांच के आदेश दिए गए। डबरा पुलिस स्टेशन के टीआई यशवंत गोयल का कहना था, यह घटना हमारी टीम के लिए एक बड़ा धक्का है, लेकिन हम इस मामले की पूरी तरह से जांच कर रहे हैं और जो भी दोषी होगा, उसे सख्त सजा दी जाएगी।
इस मामले ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि अपराधी कहीं से भी आ सकते हैं, और कभी-कभी वो उन्हीं लोगों के रूप में होते हैं जिन्हें हम अपने रक्षक मानते हैं। यह कहानी एक चेतावनी के रूप में सामने आई है कि पुलिस को भी अपने ही विभाग में जागरूकता बनाए रखनी चाहिए और किसी भी असामान्य गतिविधि पर कड़ी नजर रखनी चाहिए।
जानें क्या सच में न्याय मिलेगा?
अब जब इस मामले का पर्दाफाश हो चुका है, पुलिस यह सुनिश्चित करने के लिए अपने प्रयासों में जुटी है कि सभी आरोपियों को सजा मिले। लेकिन सवाल यह है कि क्या हम सच्चे न्याय की उम्मीद कर सकते हैं, जब हमारे बीच ही एक पुलिस कांस्टेबल अपराधी बन बैठा हो? यह घटना तब तक दिलचस्प बनी रहेगी, जब तक यह पूरी तरह से हल नहीं हो जाती।
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