किसानों पर पराली जलाने का ठीकरा फोड़ना सही नहीं : भारतीय किसान संघ

भारतीय किसान संघ ने पराली जलाने वाले किसानों का समर्थन किया है। दरअसल मध्य प्रदेश स्टेट बार कॉउंसिल ने पराली जलाने के मामलों में किसानों की पैरवी ना करने का ऐलान किया है... 

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Neel Tiwari
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Bharatiya Kisan Sangh
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भारतीय किसान संघ ने पराली जलाने वाले किसानों का समर्थन किया है। दरअसल भारतीय किसान संघ जबलपुर ने एक प्रेसवार्ता करते हुए पराली जलाने के मामले में किसानों को दोषी ठहराने और उनके खिलाफ प्रशासनिक कार्रवाई को गलत बताया है। संघ ने सरकार और प्रशासन पर आरोप लगाया है कि वे खाद, बीज, बिजली और पानी जैसी बुनियादी जरूरतों को पूरा करने में विफल हैं। इसलिए किसानों को प्रदूषण के लिए जिम्मेदार ठहराकर ध्यान भटकाने की कोशिश कर रहे हैं।

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किसानों की कई समस्याएं

भारतीय किसान संघ ने प्रेसवार्ता में कहा कि भारत एक कृषि प्रधान देश है।  जहां कृषि क्षेत्र देश की आधी आबादी को रोजगार देता है और 20.2% जीडीपी में योगदान करता है। बावजूद इसके, देश का किसान अपनी आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए संघर्ष कर रहा है। गुणवत्तायुक्त खाद और बीज का ना मिल पाना, कालाबाजारी और समय पर बिजली न मिलने के कारण किसानों की फसलें प्रभावित हो रही हैं।

पराली जलाने पर FIR, उद्योगों को छूट !

भारतीय किसान संघ का कहना है कि सरकार सिर्फ पराली जलाने पर किसानों के खिलाफ कार्रवाई कर रही है। जबकि थर्मल पावर प्लांट्स और उद्योग प्रदूषण के बड़े स्रोत हैं। सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर (CREA) की रिपोर्ट का हवाला देते हुए संघ ने बताया कि थर्मल पावर प्लांट्स पराली जलाने की तुलना में 240 गुना अधिक प्रदूषण करते हैं। बावजूद इसके, इन संयंत्रों को अक्सर पर्यावरण के मानदंडों से छूट दी जाती है।

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थर्मल पावर प्लांट से बढ़ते प्रदूषण पर साधा निशाना

मध्य प्रदेश के सिंगरौली जिले में स्थित विंध्याचल थर्मल पावर प्लांट का उदाहरण देते हुए संघ ने कहा कि यह देश का सबसे बड़ा थर्मल पावर प्लांट है। किसानों को इससे बिजली मिलने की बजाय कोल डस्ट मिल रही है। कटनी का माइनिंग क्षेत्र, घंसौर और सिंगरौली पावर प्लांट से निकलने वाला कोल डस्ट किसानों की जमीन को बंजर बना रहा है।

किसानों के लिए बिजली की कमी

किसान संघ ने बताया कि केंद्रीय सांख्यिकी और कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार, देश के कुल बिजली उत्पादन का 41% उद्योगों को और सिर्फ 18% किसानों को दिया जाता है। किसान 10 घंटे बिजली के लिए भी तरस रहे हैं, जबकि उद्योगों को 24 घंटे बिजली दी जाती है।

दोषी ठहराने के पहले दें किसानों को सुविधाएं

भारतीय किसान संघ ने सरकार से मांग की है कि किसानों को दोषी ठहराने से पहले उन्हें खाद, बीज, और बिजली जैसी मूलभूत सुविधाएं दी जाएं। प्रदूषण को रोकने के लिए किसानों को उचित प्रशिक्षण और संसाधन उपलब्ध कराए जाएं। साथ ही, थर्मल पावर प्लांट और उद्योगों को सख्त पर्यावरणीय मानकों का पालन करने के लिए बाध्य किया जाए।

किसानों को लक्ष्य बनाना अन्यायपूर्ण 

भारतीय किसान संघ के महानगर प्रचार प्रमुख मनोज मिश्रा ने कहा कि किसानों को लक्ष्य बनाना न केवल अन्यायपूर्ण है, बल्कि इससे कृषि क्षेत्र पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। अगर कृषि क्षेत्र को बचाना है, तो किसानों के प्रति इस तरह के दमनकारी रवैये को रोकना होगा।

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