राजधानी भोपाल एयरपोर्ट ने मंगलवार ( 25 मार्च ) को एक ऐतिहासिक सफलता हासिल की। मध्य प्रदेश में पहली बार एयरफोर्स के कोड-ई बोइंग 777-300ER विमान की ट्रायल लैंडिंग हुई। यह लैंडिंग राज्य के किसी भी एयरपोर्ट पर पहली बार की गई। यह विमान आमतौर पर लंबी दूरी की उड़ानों के लिए इस्तेमाल किया जाता है। बता दें कि बोइंग 777-300ER का विंगस्पैन 64.8 मीटर और लंबाई 74 मीटर है, और यह विमान आमतौर पर लंबी दूरी की उड़ानों के लिए उपयोग किया जाता है। भोपाल एयरपोर्ट के अधिकारियों के मुताबिक, इससे पहले मध्यप्रदेश के किसी भी एयरपोर्ट पर इस तरह के बड़े विमानों की लैंडिंग नहीं हुई है।
जानकारी के लिए बता दें कि, यह विमान एयर इंडिया का है, लेकिन इसका संचालन भारतीय वायु सेना द्वारा किया जाता है, और इसके पायलट भी एयरफोर्स के ही होते हैं। इसी तरह का एक विमान एयर इंडिया वन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा लंबी विदेश यात्राओं के लिए उपयोग किया जाता है।
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बोइंग 777-300ER का आकार और क्षमता
बोइंग 777-300ER विमान का विंगस्पैन 64.8 मीटर और लंबाई 74 मीटर है, जो इसे लंबी दूरी की उड़ानों के लिए उपयुक्त बनाता है। यह विमान एक बार में 325 से 400 यात्रियों को ले जाने की क्षमता रखता है, जो भोपाल एयरपोर्ट पर अब तक आने वाले विमानों की तुलना में कहीं अधिक है। एयरपोर्ट अधिकारियों का कहना है कि बोइंग 777-300ER की लैंडिंग के लिए रनवे और सुरक्षा सुविधाओं को सुधारने के लिए कई बदलाव किए गए हैं।
लंबी दूरी की उड़ानें संभव
भोपाल एयरपोर्ट से अब लंबी दूरी की उड़ानें शुरू की जा सकती हैं। विशेष रूप से, बोइंग 777-300ER विमान 17 घंटे तक की लगातार उड़ान भर सकता है। इससे न केवल राष्ट्रीय बल्कि अंतर्राष्ट्रीय उड़ानें भी संभव हो सकती हैं, जैसे भारत से अमेरिका की लंबी उड़ानें। यह विमान अपने बेहतरीन ईंधन क्षमता के कारण बिना रीफ्यूलिंग के इतनी लंबी दूरी तय कर सकता है।
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बोइंग 777-300ईआर की सुरक्षा विशेषताएं
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मिसाइल एप्रोच वॉर्निंग सिस्टम: यह सिस्टम सेंसर की मदद से पायलट को मिसाइलों के हमले के बारे में चेतावनी देता है।
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इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर जैमर: यह दुश्मन के GPS और ड्रोन सिग्नल को ब्लॉक करता है, जिससे विमान की सुरक्षा बढ़ती है।
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डायरेक्शनल इन्फ्रारेड काउंटरमेजर सिस्टम: यह मिसाइल रोधी प्रणाली इन्फ्रारेड मिसाइलों से विमान को बचाती है।
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चाफ एंड फ्लेयर्स सिस्टम: रडार ट्रैकिंग मिसाइल से खतरे की स्थिति में चाफ छोड़े जाते हैं, जिससे विमान छिपकर निकल जाता है।
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मिरर बॉल सिस्टम: यह तकनीक विमान को इन्फ्रारेड मिसाइलों से बचाने के लिए डैनों में लगी होती है।
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