बोल हरि बोल: हजरात! मैडम की दलाली में रेंज रोवर ले ली और महाराज के मंत्री सौतेले हुए

मध्य प्रदेश में मैडम की दलाली में एक कलाकार को एक करोड़ रुपए कीमत वाली रेंज रोवर वेलार मिल गई है। उधर, महाराज के मंत्री अब 'बेचारे' हो गए हैं। आप तो सीधे नीचे उतर आईए और बोल हरि बोल के रोचक किस्सों का आनंद लीजिए… 

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CHAKRESH
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BOL HARI BOL 17 MARCH

हरीश दिवेकर @ भोपाल

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥
प्रथम पूज्य भगवान श्री गणेश के इस मंत्र के साथ आज के 'बोल हरि बोल' की शुरुआत। मौका, दस्तूर सब खास है, क्योंकि लोकतंत्र का उत्सव जो पास है… इसलिए भगवान से प्रार्थना है कि यह महापर्व निर्विघ्न संपन्न हो जाए। 
...तो हजरात! लोकसभा चुनाव की रणभेरी बज गई ​है। अब वोटर ही राजा है। देश की 543 सीटों पर 19 अप्रैल से 1 जून तक मतदान चलेगा। 4 जून को आपके और हमारे 'मन की बात' सामने आएगी। 
ये तो हुई चुनाव की बात। अब आपको आज के दो सियासी डायलॉग भी बताते हैं। बीजेपी की फिल्म के लीड हीरो पंत प्रधान का कहना है कि कांग्रेस कितने भी कपड़े बदले, करतूतें नहीं बदलतीं। वहीं, कांग्रेस के लीड हीरो युवराज का दावा है कि देश में हफ्ता वसूली चल रही है। 
चलिए, छोड़िए जनाब! ऐसे कई- कई डायलॉग तो अब 80 दिन हमें और आपको रोज सुनने, पढ़ने मिलेंगे। 4 जून को फिल्म रिलीज होगी तो सब सामने आ ही जाएगा। कौन हिट, कौन ​फ्लॉप हुआ। 
ताजी खबर तो यह है कि मैडम की दलाली में एक कलाकार को एक करोड़ रुपए कीमत वाली रेंज रोवर वेलार मिल गई है। पानी में भीगी फाइलों के बुलबुले बाहर आन पड़े हैं। उधर, महाराज के मंत्री अब 'बेचारे' हो गए हैं। देश, प्रदेश में खबरें तो और भी हैं, पर आप तो सीधे नीचे उतर आईए और बोल हरि बोल के रोचक किस्सों का आनंद लीजिए…

नए किरदार आते जा रहे हैं, मगर नाटक पुराना चल रहा है

जी हां, सही पढ़ा आपने। मंत्रालय में दलाली का नाटक पुराना ही चल रहा है। इन दिनों अविनाश दलाल चर्चा में है। मैडम की दलाली में इसने एक करोड़ रुपए कीमत वाली रेंज रोवर वेलार खरीद ली है। अभी यह नाटक चालू है, क्योंकि दलाल ने मैडम का पल्लू पकड़कर दूसरे आईएएस अफसरों से सेटिंग जमाना शुरू कर दिया है। इसमें उसकी मदद शहरों की प्लानिंग करने वाले महकमे के एक साहब भी कर रहे हैं। अविनाश की बढ़ती रफ्तार से इंदौर के कुछ दलाल तो टेंशन में आ गए हैं। दरअसल अब उनके ग्राहक अविनाश के पास जाने लगे हैं। गजब बात ये है कि हर छोटी- बड़ी बात की रिपोर्ट करने वाली जांच एजेंसी भी इस मामले में मूक दर्शक बनी हैं। हम चुप नहीं बैठेंगे, जल्द ही दलाल और उनके सहयोगी आईएएस की पहचान तथ्यों के साथ उजागर की जाएगी। 

बता दो पानी ​में ​भीग गई फाईलें

आपदा को अवसर में बदलना तो कोई अफसरों से सीखे। हालांकि इसमें पॉजिटिव और नेगेटिव दोनों एप्रोच देखने को मिलती हैं, लेकिन हम यहां नेगेटिव की बात कर रहे हैं। अब देखिए न मंत्रालय में लगी आग कुछ आईएएस अधिकारियों के लिए बड़ा अवसर लेकर आई है। सियासी धुएं के बीच दागी अफसर अपने 'दाग' मिटाने की जुगत भिड़ा रहे हैं। अंदरखानों से आ रहीं खबरों से पता चला है कि ये लोग बाबू से सेटिंग कर अपनी जांच की फाइल को खत्म कराने में जुटे हैं। दरअसल, जहां आग लगी है, वहीं आईएएस का सर्विस रिकॉर्ड का सेक्शन भी है। आग बुझाने के लिए सैकड़ों टैंकर पानी डाला गया था, अभी भी उन कमरों में पानी टपक रहा है। लिहाजा, अफसर अपने अधीनस्थों से कह रहे हैं कि बता दो फाइलें पानी में भीग गई हैं। हालांकि कुछ आईएएस अफसरों की चिंता है, कहीं उनकी सर्विस बुक न भीग गई हो।  

महाराज के मंत्री सौतेले हो गए क्या?

महाराज की जय हो… करने वाले मंत्री महोदय इन दिनों सौतेले हो गए हैं। आपको पढ़ने में अजीब लग सकता है कि क्या वाकई सिंधिया के मंत्रियों के साथ सौतेला व्यवहार हो रहा है, लेकिन ये हम नहीं कह रहे, ​बल्कि सिंधिया समर्थक मंत्री का स्टाफ ही गीत गाता फिर रहा है कि हमारे मंत्री जी की तो चल ही नहीं रही। दरअसल, हाल ही में निगम मंडलों से अध्यक्ष की नियुक्तियां रद्द होने के बाद मंत्रियों को उनके विभाग के निगम, मंडलों का प्रभार दिया गया है, लेकिन सिंधिया समर्थक मंत्रियों के साथ ऐसा नहीं हुआ। उनके अधीन आने वाले निगम, मंडलों का प्रभार विभाग के प्रमुख सचिवों को दिया गया है। धुआं उठने लगा है, मतलब कहीं न कहीं आग लग ही रही होगी… बाकी आप समझदार हैं।

मंत्री का भाईजान प्रेम 

डॉक्टर साहब की कैबिनेट में एक मंत्री हैं। एकदम मस्तमौला। आप यूं भी कह सकते हैं कि 'आग लगे बस्ती में, मस्तराम मस्ती में...' जी हां, उन पर ये फिट बैठता है। देखिए न इंदौरी भाईजान का मंत्री पर इतना गहरा प्रभाव है कि वे जहां बोलेंगे, वहां उठ- बैठ जाते हैं। सारा हिसाब- किताब भी भाईजान संभालने लगे हैं। अंदर की बात क्या है, वो ही जानें..। अब आप सोच रहे होंगे कि ये मंत्री जी कौन हैं, तो ये वही हैं, जो जंगलों में जश्न करने के मामले में पिछले दिनों चर्चा में आए थे। समझ गए न गुरु..। 

पंडित जी का रिटायरमेंट बिगड़ेगा

जीएडी में सचिव के पद पर रहते हुए पंडितजी ने फर्जी अनुकंपा नियुक्ति दे दी। बताया जाता है कि नमस्ते मोटी हुई थी, इसलिए पंडितजी ने फर्जी दस्तावेजों को भी सही मान लिया। शिकायत के बाद वर्तमान सचिव ने उनकी फाइल खोल दी है। अंदरखाने से पता चला है कि पं​डितजी को फर्जी अनुकंपा नियुक्ति के लिए दोषी मान लिया गया है। अब मामला उच्च स्तर पर भेजा जा रहा है। ऐसे में पक्का है कि पंडितजी का रिटायरमेंट बिगड़ना तय है। वैसे बता दें कि पंडितजी प्रमोटी आईएएस हैं तो वर्तमान सचिव भी प्रमोटी आईएएस ही हैं। मामला मंत्रालय में नियम कायदे बनाने वाले विभाग का है।

युवा आईएएस नाराज

प्रदेश के युवा आईएएस नाराज हैं। दरअसल, उनकी नाराजगी इसलिए है कि उन्हें उनके जूनियर के सामने छोटे कद का बना दिया है। इस मामले में वे अपनी नाराजगी उच्च स्तर पर जाहिर कर चुके हैं। इसके बाद से कार्मिक के अफसरों पर सवाल उठने लगे हैं कि वे तबादले की सूची बनाते समय उच्च स्तर पर ठीक से बताते भी नहीं है कि जिस जगह पर अफसरों को पदस्थ किया जा रहा है, वहां उनसे ऊपर कोई जूनियर अफसर पदस्थ तो नहीं है। हो सकता है, आपको मामला छोटा लगे, लेकिन अफसरों के लिए ये बड़ी बात होती है कि वे अपने जूनियर साथी के सामने कैसे झुकें।

होली है भाई होली है!

भाजपा ने अपनी टीम का ऐलान कर दिया तो कांग्रेस अभी मंथन ही कर रही है। बीजेपी में जिस अंदाज में तैयारियां चल रही हैं, उससे कांग्रेस चिंतित है। इस बार के लोकसभा चुनाव का रंग भी गाढ़ा होगा। होली के बीच प्रचार- प्रसार का कलेवर नया होगा। मिलन समारोहों के जरिए एजेंडा सेट किए जाएंगे। पीछे के दरवाजे से आयोजक भले ही प्रत्याशी होगा, लेकिन खर्च का हिसाब- किताब तो सोसायटियों और संस्थाओं के नाम पर दर्ज होगा। विधानसभा चुनाव से प्रत्याशियों ने ये नया तरीका खोज लिया था। तब दिवाली मिलन समारोह के बहाने चुनाव प्रचार हुआ था। 

एमपी अजब भी है और गजब भी

अपना एमपी अजब भी है और गजब भी है। यह बात तो मोदी जी भी कहते हैं। यह तंज विपक्ष के एक नेताजी का था, जो बड़ी मैडम की बात कर रहे थे। मैडम 31 मार्च को रिटायर्ड होने वाली थीं, लेकिन डॉक्टर साहब की सिफारिश के बाद उन्हें एक्सटेंशन मिल गया। इसी के साथ अपने रिकॉर्डधारी मध्यप्रदेश के नाम एक और 'उपलब्धि' जुड़ गई। दरअसल, एमपी में लगातार दो मुख्य सचिव को एक्सटेंशन मिला है। इस तरह यह पहली बार है। इससे पहले इकबाल सिंह बैंस को विधानसभा चुनाव से पहले एक्सटेंशन दिया गया था। 

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