बोल हरि बोल : WHEN I WAS… बैल से दूध निकाल लेते हैं भिया, दीदी की रैली में भैया की झांकी और कलेक्टर की रेट लिस्ट

मंत्रालय में एक बार फिर 'असरदार' सक्रिय हो गए हैं। अफसरों को महंगे विदेशी गिफ्ट और शराब देकर अपना बनाने वाले असरदार जी की गतिविधियां तेज हो गई हैं। क्या है कि असरदार जी के खास अफसर हॉट सीट पर बैठने वाले हैं...

Advertisment
author-image
CHAKRESH
एडिट
New Update
bol hari bol 21 april 2024
Listen to this article
0.75x 1x 1.5x
00:00 / 00:00

हरीश दिवेकर @ भोपाल 

गुरु चुनाव में चिंता ता ता चिता चल रिया है। कोई चिंता में तो कोई ता ता थैया कर रहे हैं। इंदौर वाले भिया की खूब चर्चा हो रही है। अरे भई, हो भी क्यों न...वे तो बैल से भी दूध निकालने में उस्ताद हैं और यह उन्होंने करके भी दिखाया है। 

उधर, दीदी की रैली में एक भैया ने ऐसी झांकी जमाई कि भोपाल तक चर्चे हो रहे हैं। मंत्रालय में बांसुरियां बज रही हैं। एक कलेक्टर साहब ने वेयर हाउस भरवाने की रेट लिस्ट निकाल दी है तो कुछ फोन नहीं उठाते हैं। खैर, देश प्रदेश में खबरें तो और भी हैं पर आप तो सीधे नीचे उतर आईए और बोल हरि बोल के रोचक किस्सों का आनंद ​लीजिए।

हबीब जालिब कहते हैं...

तुम से पहले वो जो इक शख्स यहां तख्त- नशीं था,

उस को भी अपने खुदा होने पे इतना ही यकीं था। 

पॉवर के नशे में आदमी सब भूल जाता है। अ​ब देखिए ना...आईएएस और आईपीएस अधिकारी जब कुर्सी पर होते हैं तो वे समाज और दोस्तों से कट जाते हैं। फिर रिटायर्ड होते ही समाज और दोस्त उनसे दूरी बना लेते हैं। रिटायर्ड ब्यूरोक्रेट्स को कोई बात करने वाला तक नहीं मिलता। फिर यदि कोई मिल भी जाए तो ये अपनी बात की शुरुआत WHEN I WAS… से करते हैं। वे अब भी पुराने पॉवर गेम को याद करके जी रहे होते हैं। यह बात हम ​इसलिए कह रहे हैं कि क्योंकि हाल ही में जब एक आईएएस अफसर का देहांत हुआ तो उन्हें कोई कांधा देने वाला तक नहीं मिला। बेटे विदेश में थे। ऐसे में साहब का क्रियाकर्म करने वाला कोई नहीं था। ले देकर हर बार की तरह जिला प्रशासन ने व्यवस्था की। इस पर एक अन्य रिटायर आईएएस अधिकारी ने सोशल मीडिया ग्रुप पर भोपाल कलेक्टर, एसडीएम, नायाब तहसीलदार और पटवारी का आभार व्य​क्त किया, जिन्होंने सारी व्यवस्था करवाई। हमारी सलाह है कि मंत्रालय और पीएचक्यू में ऊंचे ओहदे पर बैठे जो लोग 'अहं ब्रह्मास्मि...' के भाव में जी रहे हैं, वे तत्काल बाहर आ जाएं। क्योंकि वक्त बदलने में वक्त नहीं लगता। 

मंत्रालय में फिर सक्रिय हुए असरदार

मंत्रालय में एक बार फिर 'असरदार' सक्रिय हो गए हैं। अफसरों को महंगे विदेशी गिफ्ट और शराब देकर अपना बनाने वाले असरदार जी की गतिविधियां तेज हो गई हैं। क्या है कि असरदार जी के खास अफसर हॉट सीट पर बैठने वाले हैं। लिहाजा, साहब के नाम से ये अपनी दुकान जमाने में जुट गए हैं। इसके उलट साहब के विरोधी असरदार की दलाली का मुद्दा उछाल रहे हैं। मामले की भनक मिलते ही साहब ने भी असरदार जी से दूरी बनाना शुरू कर दी है। पर अब असरदार तो असरदार हैं। वे मान ही नहीं रहे। जलने वाले तो कह रहे हैं कि असरदार जी अपनी दुकान जमाने के चक्कर में साहब की दुकान बंद कराना चाहते हैं। आपको बता दें असरदार एक पूर्व मुख्य सचिव के बड़े खास माने जाते थे। उनके जलबे के फेर में असरदार जी ने कई ब्यूरोक्रेट्स को अपना क्लाइंट बना लिया था, इन्हीं में हॉट कुर्सी के दावेदार साहब का नाम भी शामिल है।  

दिमाग की बत्ती जलाइए और फंड जुटाइए! 

इस जहां में जो भी तरकीब भिड़ाना जानता है, वह सफलता से दूर नहीं रह सकता। फील्ड और सेक्टर कोई भी हो, आप बस दिमाग की बत्ती जलाइए और फिर रिजल्ट देखिए। अब छिंदवाड़ा के इसी मामले को ले लीजिए। पार्टी को फंड चाहिए था, तमाम गुणा- गणित बैठाए गए पर ज्यादा बात नहीं बनी। फिर इंदौर वाले भिया को पता चला। उन्होंने तरकीब लगाई और फंड जुटा लिया। हुआ यूं कि जब पार्टी फंड के लिए दिग्गजों ने हाथ खड़े कर दिए तो भिया ने मोर्चा संभाला। उन्होंने पिछले छह महीने में छिंदवाड़ा में हुईं बड़ी रजिस्ट्री की फाइल निकलवाई। इसमें रसूखदारों के नाम सामने आ गए। बस फिर क्या था, भिया ने बैल से भी दूध निकाल लिया। अब जलने वाले कह रहे हैं कि ​इंदौर के पानी में ही पैसा उगाने की कला है। 

चुनाव के बाद थैंक्यू कह देंगे साहब 

प्रमुख सचिव स्तर के एक सा​हब इन दिनों दु:खी हैं। वैसे कहने को तो साहब का रुतबा वाला महकमा है। वे देशभर में कहीं भी भौकाल कर सकते हैं, पर दूसरी ओर खाली डिब्बा, खाली बोतल वाला किस्सा है। कुल मिलाकर साहब का महकमा थैंक्यू सर्विस वाला है। साहब ने शुरू में अपने अधीन आने वाले साहब लोगों के काम का ऑडिट कर माहौल बनाने की कोशिश की थी, लेकिन नीचे वालों ने टांग अड़ा दी। बस फिर क्या था, काम रुक गया। अब साहब भी ठहरे धाकड़ बल्लेबाज, लेकिन यहां बात उलटी पड़ गई है। चौका- छक्का तो दूर एक- एक रन भी नहीं बन पा रहा है। बताया जा रहा है कि साहब ने चुनाव के बाद महकमे को थैंक्यू बोलने का मन बना लिया है, बस डॉक्टर साहब के यहां सेटिंग जमाने की तैयारी चल रही है।   

रैली मैडम की, झांकी भैया जी की

कहते हैं बैगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाना… नहीं समझे। चलिए हम बताते हैं। मामला बुंदेलखंड के एक जिले का है। यूं तो यहां लोकसभा प्रत्याशी के समर्थन में रैली आयोजित की गई थी, लेकिन झांकी मंत्री जी ने जमा ली। डॉक्टर साहब भी रैली में थे। इसमें मंत्री जी ने अपने कर्मठ कार्यकर्ताओं के हाथों में अपने फोटो वाले पोस्टर पकड़ा दिए। पूरी रैली में मंत्री जी ही मंत्री जी चमक रहे थे। नारे लग रहे थे। यह देखकर उनके प्रतिद्वंदी जल गए। बड्डे! जलने वाले तो जलते रहेंगे, आप तो भौकाल बरकरार रखिए।

खाकी वाले साहब का मीडिया प्रेम

विंध्य में एक पुलिस अफसर का मीडिया प्रेम अब दूसरे अफसरों का सिर दर्द बनता जा रहा है। ये साहब काम- धाम छोड़कर पूरे दिन कैमरा मैन को लेकर घूमते हैं। साहब की वीडियो या फोटो ठीक नहीं आने पर री- टेक भी होता है। अभी इलेक्शन कैंपेन के नाम पर मूवमेंट चला रखा है। साहब की इस हरकत से कलेक्टर- एसपी से लेकर दूसरे अफसर हैरान हैं। दरअसल इन खाकी वाले इन साहब ने सारा मीडिया अपनी उठापटक से कैप्चर कर रखा है, इसलिए किसी दूसरे को जगह ही नहीं मिल पा रही। बढ़िया है बॉस, लगे रहो। अच्छे काम करो, आज कल तो फिल्में भी बन जाती हैं। 

दो लाख लाओ और वेयर हाउस भरवाओ

भोपाल जिले से सटे एक जिले में कलेक्टर साहब ने कमाई के लिए नवाचार कर लिया है। सरकारी गेहूं को वेयरहाउस में रखवाने के लिए वे रेट लिस्ट ले आए हैं। खुला खेल चल रहा है। कलेक्टर साहब के दलाल वेयरहाउस के संचालकों से संपर्क साधकर 2 लाख रुपए में वेयर हाउस भरने की गारंटी दे रहे हैं। दरअसल, पहले साहब ने नेताओं के वेयर हाउस भरवा दिए। अब बचे बिना सिफारिश वाले लोग, इसलिए उनसे सुविधा शुल्क मांगा जा रहा है। साहब इस मामले में सीधी बात नहीं कर रहे हैं, उनके नुमाइंदे ही पूरी डील करते हैं। बताया जा रहा है कि कलेक्टर साहब के इस नवाचार की खबर मंत्रालय की पांचवीं मंजिल तक पहुंच गई है।

माननीय! हमारा कोई रोल नहीं है!

कृपया बीजेपी के दलालों के साथ थाने में प्रवेश न करें… ऐसे पोस्टरों की तस्वीरें सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुईं। दरअसल, इस मामले के तार सियासत से जुड़े हैं। क्या है कि सागर​ जिले में एक नेता जी हैं। वे मंत्री तो नहीं बन पाए, लेकिन धमक जोरदार है। उनके क्षेत्र में थाना प्रभारी के नाम से किसी ने दीवारों पर पर्चे चिपका दिए। अब जिसकी लाठी होती है, भैंस भी उसी की रहेगी न। सो बीजेपी नेताओं को जब यह पता चला तो उन्होंने थानेदार साहब से जवाब- तलब किया। थाना प्रभारी क्या करें, समझ नहीं आ रहा। वे कहते फिर रहे हैं कि इसमें हमारा कोई रोल नहीं है। कोई दुश्मनी निकाल रहा है। अब भैया, कानून के हाथ तो बड़े और लंबे होते हैं। पता कीजिए, कौन है ये दुश्मन। 

कलेक्टर साहब फोन तो उठा लीजिए! 

चुनाव की इस बेला में चुनाव आयोग नाराज है। इसकी वजह भी बड़ी रोचक है। क्या है कि चुनाव में कलेक्टर जिला निर्वाचन अधिकारी होते हैं। ऐसे में अधीनस्थ कर्मचारियों को कई बार उनसे बात करनी पड़ती है, लेकिन वे फोन ही नहीं उठाते। अब इसी मामले को ले लीजिए। कलेक्टर की कुर्सी पर बैठे कई आईएएस फोन नहीं उठा रहे हैं। यह प्रकरण चुनाव आयोग तक जा पहुंचा है। पता चला है कि कलेक्टर साहब अपना नंबर सार्वजनिक करने में आनाकानी करते हैं। इसके उलट सरकार की ओर से दिए गए सीयूजी (कॉमन यूजर ग्रुप) नंबर अधीनस्थ कर्मचारियों के हवाले करके रखते हैं। कई कलेक्टरों के तो सीयूजी नंबर बंद भी हैं।

यूनिवर्सिटी की मीटिंग में चलने लगी पॉर्न फिल्म

हरीश दिवेकर बोल हरि बोल