हरीश दिवेकर @ Bhopal
आज तनिक त्रेता युग की याद आ रही है। वो प्रसंग भी याद आ रहा है, जब भगवान विष्णु के छठवें अवतार परशुराम जी ने 21 बार इस धरा को क्षत्रिय विहीन कर दिया था। आप सोच रहे होंगे कि यह अचानक धर्मनीति की बात कहां से आ गई? दरअसल, वजह बड़ी मौजू है। कांग्रेस के एक नेताजी ने मौजूदा सियासी घटनाक्रम को लेकर धर्मनीति और राजनीति को जोड़ते हुए कुछ ऐसा ही प्रसंग उठाया था। थोड़ी देर बात करके उन्होंने 'जय श्रीराम' कहते हुए कॉल कट कर दिया। नेताजी ने अपनी पीड़ा जाहिर कर कहा कि भगवान परशुराम ने तो अपना प्रतिशोध लेने के लिए संहार किया था, लेकिन ये बीजेपी वाले तो हर दिन 'संहार' कर रहे हैं। क्या राजनीति में अब बीजेपी वाले कांग्रेस को नेताविहीन करके ही छोड़ेंगे?
नेताजी का सवाल बड़ा वाजिब था। दरअसल, बीजेपी एक पूरी फिल्म खत्म नहीं कर रही। ओटीटी की तरह सीरीज चला रही है। एक एपिसोड खत्म होते- होते अगले के लिए सस्पेंस छोड़ जाता है। इसलिए अब नेताजी के लिए चिंता की बात यह है कि अभी कांग्रेस का एक और बड़ा चेहरा बीजेपी में जा सकता है। जल्द ही नाम का खुलासा हो जाएगा।
उधर, 'दीदी' की प्रेस कॉन्फ्रेंस की खूब चर्चा है। मालवा के एक जिले के कलेक्टर साहब अब अपनी पियक्कड़ बीवी से परेशान हो चुके हैं। एक तहसीलदार साहब ने तो कलेक्टर साहब की मां- बहन एक कर दी है। खैर, देश प्रदेश में खबरें तो और भी हैं। आप तो सीधे नीचे उतर आइए और बोल हरि बोल के रोचक किस्सों का आनंद लीजिए।
क्या खाली हो जाएगी कांग्रेस!
कभी गांधी परिवार के करीबी रहे वरिष्ठ कांग्रेस नेता सुरेश पचौरी बीजेपी में चले गए। संजय शुक्ला ने भगवा चोला ओढ़ लिया। गजेंद्र सिंह राजूखेड़ी भी अब भाईसाहब बन गए हैं। पिछले तीन महीने में ऐसे अनगिनत नाम हैं, जो भाजपा के 'जनहितैषी' कार्यों से प्रभावित होकर पाला बदल चुके हैं। कांग्रेस में जैसी भगदड़ मची है, उसे देखकर अब हर कोई सवाल करता है कि क्या वाकई बीजेपी, कांग्रेस को नेताविहीन कर देगी? क्योंकि जिस तरह दिग्गज नेताओं की आस्था बदल रही है, उसके बाद अब कहा जा रहा है कि आने वाले दिनों में और भी साहब भाईसाहब बनने जा रहे हैं। इधर, बीजेपी नेताओं में बेचैनी बढ़ रही है, क्योंकि जितने प्रवासी बढ़ेंगे, उतनी ही बेचैनी रहवासियों की बढ़ेगी। आज नहीं तो 2028 में टिकट का संघर्ष तो बढ़ेगा ही ना। बताइए, आप इस दल- बदल की फिल्म को कैसे देखते हैं।
दिल्ली दरबार ने नहीं सुनी, दीदी ने बुला ली प्रेस
उमा भारती को लोकसभा का टिकट नहीं मिला तो मीडिया में तरह- तरह की खबरें बनीं। इन खबरों से बेचैन 'दीदी' ने दिल्ली दरबार में सत्ता से लेकर संगठन के मुखिया को गुहार लगाकर कहा कि वे खबरों का खंडन कर बता दें कि मैंने ही टिकट के लिए ना बोला था। मैं गंगा की सेवा में समय देना चाहती हूं, लेकिन संगठन और सत्ता के शीर्ष नेताओं से इस तरह का कोई बयान नहीं दिया। इसके बाद अपनी मान मर्यादा बचाने दीदी ने खुद प्रेस बुलाकर सफाई दी। अब उमा की इस सफाई पर भी बातें होने लगीं, लेकिन दीदी बेचारी किस्मत की मारी, करें तो क्या करें। अब तो गंगा माई ही उनका कल्याण करेंगी।
कलेक्टर साहब की पियक्कड़ बीवी
मालवा के एक जिले में पदस्थ कलेक्टर साहब बड़े परेशान हैं। जी हां! अमूमन देखने में आता है कि कलेक्टर साहब अपने अधीनस्थों या फिर काम के दबाव में टेंशन में रहते हैं, लेकिन कलेक्टर साहब की टेंशन की वजह उनकी पियक्कड़ बीवी है। हालात यह हैं कि साहब बंगले में घुसने से पहले मैडम का मूड जान लेते हैं। स्थिति ऐसी हो चुकी है कि बंगले पर काम करने वाले कर्मचारी भी अब… चार पैग वोदका, काम मेरा रोज का… वाला गाना गुनगुनाते नजर आते हैं। आखिर ये कलेक्टर साहब हैं कौन… तो भाई हम इस मामले में चुप ही रहने वाले हैं, आपको हिंट दे दिया है, थोड़ी सी मेहनत करेंगे तो परेशान साहब का अता- पता चल ही जाएगा।
तहसीलदार ने की कलेक्टर की मां- बहन!
इज्जत बनाने में एक उम्र गुजर जाती है और पलीता लगने में एक लम्हा ही काफी होता है। सूबे के एक कलेक्टर साहब के लिए वह लम्हा आ ही गया और उनकी 'इज्ज्त लुट गई'। दरअसल, प्रशासनिक अधिकारियों की भरी मीटिंग में एक तहसीलदार ने कलेक्टर साहब की मां- बहन एक कर दी। हालांकि इसमें गलती कलेक्टर साहब की भी है, उन्होंने पहले तहसीलदार की मां- बहन की तो तहसीलदार साहब ने भी तैश में आकर उसी अंदाज में पलटवार कर दिया। शायद कलेक्टर साहब को ऐसी उम्मीद नहीं थी कि तहसीलदार उन्हें इस तरह का जवाब देगा। मामला बिगड़ने पर कलेक्टर ने तहसीलदार के दफ्तर में छापेमारी कर जांच बैठा दी है। संभव है तहसीलदार पर कड़ा एक्शन हो जाए, लेकिन भरे बाजार जो आबरू लुट गई, उसका क्या?
प्रमुख सचिव की झकझक से परेशान
मंत्रालय के एक अहम विभाग के अधिकारी इन दिनों खासे परेशान हैं। पहले वाले अपर मुख्य सचिव साहब थे तो वे बात- बात पर हाईपर होकर अधीनस्थों का बीपी बढ़ाते थे, उन्हें जैसे- तैसे झेला… अब अपर मुख्य सचिव के तबादले की खबर से विभाग के अधिकारी खुश होते कि उससे पहले उन्हें जोर का झटका धीरे से लग गया। दरअसल, हुआ यह है कि अपर मुख्य सचिव से खतरनाक तो नए प्रमुख सचिव हैं। जो ऊपर वालों से तो गुड़ से मीठा बोलते हैं, लेकिन अधीनस्थ अधिकारियों के साथ करेले से भी ज्यादा कड़वे हैं। प्रमुख सचिव की झक- झक बढ़ती देख विभाग की तीनों महिला डिप्टी सेक्रेटरी तबादला मांग रही हैं। बताते हैं कि कार्मिक की प्रमुख सचिव से तीनों अधिकारियों ने यहां से हटाने की गुहार लगाई है।
भैया, ये किस काम के मंत्री हैं!
कुछ नेता राज्य मंत्री तो बन गए, लेकिन उन्हें अब तक कोई काम नहीं मिला। दूसरों का स्वास्थ्य ठीक करने वाले महकमे के राज्यमंत्री अब तो अपने मातहतों से कहने लगे हैं कि कामकाज के बंटवारे का इंतजार करते- करते कहीं हम ही बीमार न हो जाएं। हालांकि राज्य मंत्रियों से कहा गया है कि लोकसभा चुनाव के बाद उनके और मंत्रियों के बीच काम का बंटवारा किया जाएगा। तो नेता जी इंतजार कीजिए, क्योंकि उम्मीद पर तो आसमान टिका है। जब तक मंत्री पद की सुविधाओं का आनंद लीजिए।
सारा काम मैं करूंगा तो तुम क्या करोगे?
ट्रेनिंग वाली संस्था से मंत्रालय में वापसी करने वाले एक प्रमुख सचिव साहब अपने पुराने अंदाज में आ गए हैं। हाल ही में जब उनका प्यून फाइलें लेकर कैबिन में गया तो उन्होंने फाइलों का ढेर देखकर कहा कि ये मेरे पास क्यों लेकर आए हो? प्यून कुछ कहता, उससे पहले ही पीएस ने डिप्टी सेक्रेटरी को फोन लगाकर हड़का दिया कि कुछ कामकाज किया करो। सारा काम मैं ही करूंगा तो तुम क्या करोगे? मेरे पास जरूरी फाइलें ही आएं, ये हर फाइल मैं नहीं देखूंगा।
क्या मैडम का समय बुरा चल रहा है?
लो प्रोफाइल में रहने वालीं एक महिला आईएएस का टाइम इन दिनों ठीक नहीं चल रहा। दरअसल, इन मैडम की प्रमुख सचिव को रिटायरमेंट से दो दिन पहले हाईकोर्ट जज की खासी नाराजगी झेलना पड़ी। प्रमुख सचिव महोदया ने इसकी वजह मैडम की ढीली- ढाली कार्यशैली को बताया और रिटायर होते- होते लंबा- चौड़ा नोट मैडम के खिलाफ लिखकर गईं। मैडम ठीक से सांस ले पातीं कि तभी उनके विभाग में पुराने वाले साहब प्रमुख सचिव बनकर आ गए। अब मैडम का इनसे पुराना पंगा है। ट्रेनिंग वाली संस्थान में इन्हीं साहब ने मैडम के खिलाफ वसूली निकाली थी। अब मैडम राम- राम जप रही हैं कि किसी तरह से उनका यहां से तबादला हो जाए, नहीं तो ये साहब पता नहीं कब और कौन सी गाज उन पर गिरा दें।