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panchyat vibhag Photograph: (The Sootr)
BHOPAL. मध्यप्रदेश सरकार की पकड़ भ्रष्टाचारियों पर लगातार ढीली पड़ती जा रही है। विभागों में सेंध लगाकर अपनी जेबें भरने वालों पर सरकार की सख्ती न होने का नतीजा है कि केंद्र और प्रदेश की योजनाओं के नाम पर करोड़ों की हेराफेरी हो रही है।
पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग में भी योजनाओं की आड़ में गड़बड़झालों की बाढ़ आई है। विभाग का दायरा प्रदेश के छोटे गांवों से लेकर मजरे- टोलों तक फैला है। विभाग के माध्यम से संचालित प्रदेश और केंद्र सरकार की योजनाएं सबसे ज्यादा आबादी तक पहुंचती है।
इन योजनाओं में बीते सालों में जमकर घोटाले हुए हैं जिनके कारण जनता सबसे ज्यादा प्रभावित है। वहीं योजनाओं में सेंध लगाकर करोड़ों डकारने वाले अपनी पहुंच के सहारे कार्रवाई से बचे हुए हैं।
कहीं सुस्त जांच तो कहीं रसूख का कवच
द सूत्र ने पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग में चंद माह से लेकर कुछ साल पहले तक हुए घोटालों की पड़ताल की है। इन मामलों में केवल दिखावे की कार्रवाई हुई है। हर मामले में सरकारी खजाने से प्रदेश और केंद्र की योजनाओं के नाम पर जमकर बंदरबाट हुई है। जिन अधिकारियों ने करोड़ों की हेराफेरी की वे जांच की रस्मअदायगी के बाद मौज में हैं। ईओडब्ल्यू-लोकायुक्त पुलिस की जांच किसी मामले में विभाग की अनुमति के चक्कर में अटकी है तो किसी मामले में जांच अधिकारी ही दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं।
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ठेकेदार ब्लैक लिस्ट, घपलेबाजों पर रहम
सबसे पहले पंचायतों में जल जीवन मिशन यानी नल- जल योजना के गड़बड़झाले की बात करते हैं। वैसे तो इस योजना को लेकर प्रदेश में उथल- पुथल मची हुई है। केवल पीएचई विभाग के अधिकारी ही नहीं मंत्री संपतिया उइके भी हजारों करोड़ की गड़बड़ी के आरोपों में घिरी हुई हैं।
मुरैना में नल जल योजना में भारी गड़बड़ी सामने आई है। इसमें पांच ठेकेदार फर्मों को ब्लैक लिस्टेड कर दिया है जबकि हेराफेरी मे शामिल अधिकारी बेफिक्र हैं। जबकि इनकी भूमिका हर मामले में थी। ठेकेदारों को सीपेट के फर्जी सर्टिफिकेट पर भुगतान करने वाले अधिकारियों पर जिम्मेदारी ही तय नहीं की गई।
विधानसभा में भी जल- जीवन मिशन घोटाले पर पक्ष-विपक्ष के विधायकों ने खूब सवाल उठाए लेकिन विभाग की जांच भगवानभरोसे चल रही है। जबकि पीएचई के तीन कार्यपालन यंत्री, तीन डिवीजनल एकाउंटेंट और सब इंजीनियरों पर कृपा बरसाई जा रही है। राजधानी से सटे रायसेन जिले की भोजपुर, सांची, उदयपुरा और सिलवानी जनपदों के दर्जनों गांवों में नलजल योजना अधूरी पड़ी है। हजारों ग्रामीण पानी के लिए परेशान हैं।
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किसान- मजदूरों के हक के करोड़ों हजम
पंचायत विभाग की योजनाएं मुख्यालय से लेकर मैदानी अमले के भ्रष्टाचार में कैसे उलझकर दम तोड़ रही है इसका दूसरा उदाहरण किसान और मजदूरों से जुड़ा है। कहीं रोजगार गारंटी योजना के तहत खोदे गए तालाब गायब हो गए हैं तो कहीं किसानों का पता ही नहीं चला और अधिकारियों ने फाइलों में उनके खेत पर तालाब बनवाकर लाखों रुपए डकार लिए।
डिंडौरी, मंडला, सागर, टीकमगढ़, छतरपुर, श्योपुर, विदिशा जिलों से तालाब चोरी होने की सैकड़ों शिकायतें सरकार तक पहुंची हैं लेकिन विभाग इन शिकायतों पर भी जांच ही करा रहा है। डिंडौरी जिले के किसान लखन बंजारा, लच्छूराम यादव के गांव गारकामट्टा में तालाब के नाम पर 6 लाख रुपए निकाल लिए गए।
सागर के गांव बिहारीखेड़ा में तालाबों के नाम पर खंतियां खोदकर लाखों रुपए जनपद और पंचायत के अधिकारी- कर्मचारी हड़प गए। मजदूर परिवारों ने जनपद से लेकर जिला पंचायत और सीएम हेल्पलाइन पर भी शिकायत की लेकिन जांच के आश्वासन के अलावा कुछ हाथ नहीं आया।
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कन्या विवाह योजना में भी हेराफेरी
मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना को भी घोटालेबाज बट्टा लगाने से नहीं चूके। प्रदेश की दो दर्जन से ज्यादा जनपद पंचायतें इस योजना में भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरी हैं। प्रदेश में विदिशा जिले की सिरोंज जनपद में इस योजना के तहत सबसे बड़ा घोटाला हो चुका है। जिसमें 5 हजार 900 से ज्यादा शादियां कराने की आड़ में सीईओ शोभित त्रिपाठी, जनपद के कर्मचारी और ऑपरेटरों ने 30 करोड़ से ज्यादा का फर्जीवाड़ा किया था।
कई युवक- युवतियाें को अपनी ही शादी की भनक तक नहीं लग पाई और उनका रजिस्ट्रेशन कर करोड़ों रुपए डकार लिए गए। तीन साल तक जनपद में कन्या विवाह योजना के नाम पर फर्जीवाड़ा ऑडीटरों से छिपा रहा। धार की मनावर और डही जनपदों में योजना के तहत होने वाले निकाह और विवाह में उपहार सामग्री खरीदी में भी जमकर धांधली की गई।
इसके भंडाफोड़ के बाद हुए हंगामे के चलते प्रशासन को आयोजन ही रद्द करने पड़े थे। सरकार के स्तर पर इन मामलों में कार्रवाई का भरोसा दिलाया गया लेकिन ये सिर्फ आश्वासन तक ही सिमट कर रह गया।
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जांच बहाने फाइलों में बंद शिकायत
सीएम हेल्पलाइन से लेकर विभाग के मुख्यालय, संभाग और जिला स्तर पर घोटालों की 4 हजार से ज्यादा शिकायतें आई हैं। ये शिकायतें चंद महीनों में हुए फर्जीवाड़े से जुड़ी शिकायतें हैं, लेकिन एक- दो को छोड़कर इनमें कार्रवाई नहीं हुई है। वहीं भिंड के बड़पुरी में जिस सीसी सड़क का निर्माण दिखाकर लाखों रुपए निकाले गए वो दो साल बाद भी नहीं।
पन्ना जिले के बधवारा कलां, आगर मालवा के नंदोरा गांव से शिकायतें पंचायत विभाग के साथ ही सीएम हेल्पलाइन पर दर्ज कराई गई हैं। पांच साल में गबन, फर्जीवाड़े सहित अन्य शिकायतों पर पंचायत एक्ट के तहत सरपंच- सचिवों पर 4300 से ज्यादा केस दर्ज कराए गए थे। इनमें ग्रामीण आवास, खेत तालाब, रोजगार गारंटी, शौचालय और पंचायत विभाग की कई योजनाओं से जुड़ी शिकायतें हैं। करोड़ों के घोटाले उजागर होने के बाद भी 4300 में से केवल 222 प्रकरणों में ही वसूली हो सकी है बाकी के कर्मचारी और जनप्रतिनिधि अब भी मौज में हैं।
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