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इंदौर में पुलिस की ड्रिंक एंड ड्राइव पर सख्ती अब लोगों को शराबी बना रही है। यह हम नहीं कह रहे हैं, यह खुद पुलिस की ब्रेथ एनालाइजर की मशीन के आंकड़े कह रहे हैं। चेकिंग के दौरान मशीन में बिना पिए वाला व्यक्ति भी मशीन में गड़बड़ी के कारण सरेआम शर्मसार हो रहा है। इसको लेकर अब पुलिस अफसर कह रहे हैं कि इस मशीन की तकनीकी रूप से जांच कराई जाएगी।
केस बनाए तब खुली पोल
इंदौर में हाल ही में चौराहों पर चेकिंग के दौरान अलग-अलग मामलों ने शहर की ट्रैफिक पुलिस की चेकिंग प्रक्रिया पर सवाल खड़े कर दिए हैं। ब्रेथ एनालाइजर टेस्ट मशीनों के गलत रीडिंग देने के कारण ऐसे लोगों को भी "शराबी" करार दिया गया, जिन्होंने शराब को छुआ तक नहीं। इसके पूर्व में भी हालही में जब कोरोना बड़ रहा था तो लोगों ने ब्रेथ एनालाइजर में फूंक मरवाने को लेकर सवाल खड़े किए थे। लोगों का कहना था कि ब्रेथ एनालाइजर की नली को साफ किए बिना ही दूसरे व्यक्ति के मुंह में लगा दिया जाता है। ऐसे में कोरोना संक्रमण का खतरा भी रहता है।
वे घटनाएं जिनसे पता चली गड़बड़ी
1. तिलक नगर क्षेत्र के कारोबारी की कार पुलिस ने रोकी। मशीन ने उन्हें शराब पीने वाला बताया। विरोध करने और मेडिकल जांच की पेशकश के बाद दोबारा टेस्ट लिया गया। इस बार एल्कोहल प्रतिशत जीरो आया।
2. पलासिया पर एक असिस्टेंट मैनेजर को पुलिस ने रोककर जांच की। पहली बार मशीन ने 41 प्रतिशत एल्कोहल दिखाया। उन्होंने विरोध किया और मेडिकल टेस्ट की मांग की। दोबारा फूंक लगाने पर एल्कोहल स्तर शून्य मिला।
3. आजाद नगर में एक व्यापारी जो कि ड्रिंक नहीं करते हैं। उन्हें भी मशीन ने शराब पीने वाला दिखाया। पुलिस ने 10000 रुपये चालान की बात कही। इसके विरोध पर दोबारा जांच की गई और इस बार एल्कोहल जीरो निकला।
पूर्व में हो चुका है विवाद
पुलिस की ड्रिंक एंड ड्राइव की चेकिंग को लेकर कुछ समय पूर्व एक परिवार का चेकिंग कर रहे जवानों से विवाद भी हो गया था। जिसमें पीड़ित पक्ष ने पुलिस जवानों को ब्रेथ एनालाइजर की नली बदलने की बात कही थी। इस पर ड्यूटी कर रहे पुलिस जवान भड़क गए थे और परिवार के साथ झूमाझटकी तक कर डाली थी। अगले दिन इसकी शिकायत पुलिस के वरिष्ठ अफसरों से भी की गई थी।
तकनीकी खामी: मशीन की सफाई नहीं होती
पुलिस की ड्रिंक एंड ड्राइव को लेकर तकनीकी रूप से जो खामियां देखने को मिलती हैं उसमें विशेषज्ञों के अनुसार:
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पुलिस एक के बाद एक लोगों से फूंक लगवाती है।
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नशे में लोगों का एल्कोहल मशीन में रह जाता है।
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पाइप बदलने और सेंसर क्लीन करने की प्रक्रिया हर टेस्ट के बाद होनी चाहिए।
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ऐसा नहीं करने पर मशीन अगले व्यक्ति के टेस्ट में भी एल्कोहल डिटेक्ट कर देती है।
यह कहते हैं नियम
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100 ग्राम खून में 30 एमएल एल्कोहल मिलने पर ही चालान बन सकता है।
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30 एमएल से ऊपर होने पर वाहन चलाना प्रतिबंधित है।
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भारी शराब पीने पर एल्कोहल प्रतिशत 200 तक पहुंच सकता है।
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पुष्टि होने पर 10000 का चालान।
तकनीकी रूप से कराएंगे जांच
एडिशनल पुलिस कमिश्नर लॉ एंड ऑर्डर अमित सिंह का कहना है कि यह गंभीर मामला है। सभी ब्रीथ एनालाइजर मशीनों की कंपनी के टेक्निकल एक्सपर्ट से जांच कराई जाएगी। गलत रीडिंग रोकने के लिए सुधारात्मक कदम उठाए जाएंगे। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि हर जांच के बाद नली को बदलने को लेकर निर्देश पहले ही दिए जा चुके हैं। वहीं, यह भी कहा गया है कि अगर कोई व्यक्ति जांच से संतुष्ट नहीं होता है तो उसकी जांच उसी समय दोबारा की जाए।