व्यापमं PMT घोटाले के नम्रता डामोर हत्याकांड में CBI की क्लोजर रिपोर्ट, लेकिन सवाल रह गए अनसुलझे

नम्रता डामोर हत्याकांड में सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट आई है, लेकिन इस रिपोर्ट में कई अनसुलझे सवाल बने हुए हैं, जिससे यह मामला अभी भी रहस्यमय बना हुआ है।

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Sanjay Gupta
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मप्र को हिला देने वाले व्यापमं के पीएमटी घोटाले के सबसे चर्चित नम्रता डामोर हत्याकांड पर आखिरकार सीबीआई की लगाई क्लोजर रिपोर्ट जिला कोर्ट से मंजूर हो गई। अब यह केस औपचारिक तौर पर सीबीआई ने बंद कर दिया है।

यह वही कांड है, जिसके कवरेज के लिए जुलाई 2015 में नेशनल चैनल के टीवी पत्रकार अक्षय सिंह झाबुआ आए थे और उनकी संदिग्ध परिस्थितियों में मौत ने बवाल मचा दिया था। लेकिन सीबीआई की इस रिपोर्ट में भी कई झोल दिख रहे हैं और कड़ियां मिसिंग हैं और सवाल अनसुलझे हैं।

क्या है नम्रता डामोर केस

नम्रता, पिता मेहताब सिंह डामोर, मेघनगर झाबुआ की रहने वाली थी। उसने साल 2010 की पीएमटी पास की और उसे ग्वालियर मेडिकल कॉलेज में एडमिशन मिला, बाद में वह इंदौर एमजीएम मेडिकल कॉलेज ट्रांसफर हो गई। उसका नाम मई 2014 में व्यापमं द्वारा फर्जी तरीके से पीएमटी पास करने वाले 90 उम्मीदवारों के एडमिशन रद्द करने वालों की सूची में था। हालांकि उसकी मौत 7 जनवरी 2012 को हो गई। उसकी बॉडी उज्जैन जिले के कायथा थाने के राम सागर स्टेशन मास्टर तराना रोड की सूचना पर मिली। बाद में बॉडी चिन्हित हुई और इसमें पुलिस ने धारा 302 के तहत 8/2012 केस 30 जनवरी को दर्ज किया।

सीबीआई को यह केस सुप्रीम कोर्ट की अपील 372/2015 के जरिए 9 अप्रैल 2015 को पारित आदेश व 417/2015 दिग्विजय सिंह विरुद्ध मप्र सरकार याचिका में निर्देश के तहत दिया गया। कारण था मृतक नम्रता डामोर का व्यापमं केस में संबंध है। सीबीआई ने 16 जुलाई 2015 को केस पंजीबद्ध कर जांच शुरू की।

नम्रता डामोर हत्याकांड पर एक नजर...

  • नम्रता डामोर की संदिग्ध मौत के मामले की सीबीआई ने क्लोजर रिपोर्ट दी, जिसे इंदौर जिला कोर्ट ने मंजूर किया। मामला व्यापमं घोटाले से जुड़ा था, जिसमें 90 छात्रों का एडमिशन फर्जी पाया गया था।

  • जुलाई 2015 में इस केस की रिपोर्टिंग कर रहे पत्रकार अक्षय सिंह की संदिग्ध मौत ने इस मामले को और उछाला था, लेकिन अब सीबीआई ने इस पर क्लोजर रिपोर्ट पेश की है।

  • सीबीआई ने 72 गवाहों के बयान लिए और मेडिकल एक्सपर्ट्स से राय ली, लेकिन नम्रता की हत्या के कोई स्पष्ट कारण या सबूत नहीं मिले।

  • उज्जैन पुलिस ने नम्रता के आत्महत्या के मामले में परिवारिक विवाद और दोस्तों के बीच सगाई को कारण बताया था, लेकिन सीबीआई ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट को संदिग्ध माना।

  • नम्रता की मौत के कारणों पर पुलिस और सीबीआई की रिपोर्ट में भिन्नताएँ हैं। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में उसके शरीर पर हिंसक रूप से दम घुटने के लक्षण मिले, जो हत्या का संकेत करते हैं, लेकिन कोई ठोस निष्कर्ष नहीं निकल पाया।

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सीबीआई ने यह कहते हुए क्लोजर रिपोर्ट लगाई

सीबीआई ने नम्रता के साथ ही व्यापमं केस में संदिग्ध कुल 23 मौतों को जांच में लिया था, इनमें से किसी में भी जांच एजेंसी को संदिग्ध नहीं मिला। सीबीआई ने इसके पहले दिसंबर 2017 में भी रिपोर्ट लगाई जो मान्य नहीं हुई। इसमें पिता ने आपत्ति लगाई थी कि सीबीआई ने रेवले गेटमैन तक के बयान नहीं लिए।

फिर 8 जुलाई 2019 को भी क्लोजर रिपोर्ट पेश की थी लेकिन फिर से केस की पारदर्शी तरीके से जांच हो सके, यह कहते हुए इसे फिर जांच में ले लिया। इसके बाद 13 फरवरी 2020 को यानी सात माह बाद ही फिर कोर्ट में क्लोजर रिपोर्ट लगा दी, जो अब सुनवाई के बाद इंदौर जिला कोर्ट ने मंजूर की है।

सीबीआई ने क्लोजर रिपोर्ट में कहा कि 72 गवाहों के कथन लिए गए, हर एंगल से जांच की, दिल्ली के मेडिकल एक्सपर्ट डॉक्टर से अभिमत लिया, विविध कॉल रिकार्ड, मैसेज भी देखे लेकिन हत्या के संबंध में कोई कारण नहीं दिखा।

घटना के दिन भी नम्रता मित्रों से फोन पर बात कर रही थी, इनकी भी लोकेशन घटनास्थल के आसपास नहीं दिखी। पीएम रिपोर्ट जो उज्जैन जिला अस्पताल में बनी, वह विश्वसनीय नहीं थी, विसरा व नाखून संरक्षित नहीं थे, एक्सरे भी नहीं लिया। मारपीट के कोई सबूत नहीं मिले, न ही इसके कि गला दबाया गया।

ट्रेन में भी इस घटना संबंध में कोई गवाह नहीं मिले। नम्रता को व्यापमं ने मई 2014 में संदेही घोषित कर एडमिशन निरस्त किया लेकिन उसकी मौत जनवरी 2012 में ही हो गई थी, ऐसे में व्यापमं केस के कारण यह हुआ यह लिंक नहीं होता।

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इसके पहले उज्जैन पुलिस की जांच में क्या आया था

उज्जैन पुलिस ने भी इसकी जांच की थी। पुलिस ने बताया कि कॉलेज में उसकी दोस्ती विशाल वर्मा (यह व्यापमं केस में रैकेटियर माना गया और जेल में बंद भी रहा) से हुई, स्कूली शिक्षा के समय झाबुआ के देव सिसोदिया से हुई। नम्रता और देव के अंतरंग संबंध थे।

पांच जनवरी को नम्रता के भाई ओमप्रकाश ने देव व नम्रता को साथ में देखा, परिवार नाराज हुआ और नम्रता से मोबाइल स्कूटी वापस ले ली, इससे नाराज होकर नम्रता बिना सामान लिए जबलपुर निकल गई। नम्रता विशाल की सगाई होने की बातों से परेशान थी, इसी बात से अवसाद में आकर उसने ट्रेन से कूदकर आत्महत्या की।

परिजनों ने देव सिसोदिया, विशाल वर्मा, यश दिसावल व आलेख दवे पर संदेह जताया। लेकिन मोबाइल लोकेशन से यह मेघनगर, झाबुआ, राजपुर- बड़वानी, होशंगाबाद, इंदौर में पाए गए।

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अब सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट में यह अनसुलझे सवाल

पुलिस जांच है कि परिजनों ने नम्रता की दोस्ती के चलते नाराज होकर उसके मोबाइल व स्कूटी वापस ले लिए। वहीं सीबीआई रिपोर्ट में है कि ट्रेन में भी नम्रता मोबाइल पर दोस्तों से बात कर रही थी। इस केस में अहम साक्षी नेहा का पता नहीं लगा, सीबीआई जब मौके पर गई तो उसके घर पर दो-तीन साल से ताला मिला, वह सामने नहीं आई। सीबीआई ने भी नम्रता की पीएम रिपोर्ट को संदिग्ध माना, इसमें विसरा, नाखून नहीं मिले, न ही एक्सरे लिया गया था। अधूरी पीएम रिपोर्ट थी। यह भी अनसुलझा किस्सा रहा।

पुलिस कह रही है कि विशाल की सगाई की घटना और परिवार से नाराज होकर नम्रता ने अवसाद यानी डिप्रेशन में आकर आत्महत्या की। विशाल व्यापमं केस में रैकेटियर माना गया और वह जेल में भी बंद रहा। विशाल और नम्रता के नजदीकी संबंध रहे, यह भी जांच में आया था।

वहीं पुलिस जांच में है कि नम्रता देव की सगाई की खबर से परेशान थी, वहीं उसके भाई ओमप्रकाश ने नम्रता व देव को साथ में देखा था, इसी से परिवार में विवाद हुआ। नम्रता ने देव के कारण सुसाइड किया या विशाल के कारण, इसका जवाब नहीं है।

पोस्टमार्टम रिपोर्ट (9 जनवरी 2012) में मौत का कारण हिंसक रूप से दम घुटना बताया गया जिसे रिपोर्ट में मानव वध के रूप में अंकित किया गया। नम्रता के शरीर पर नाखून के निशान मिले थे। इसके साथ ही एक्सफेसिया (एक साथ मुंह, नाक व गला दबाना) के लक्षण भी उसके शरीर पर मिले।CBI closure report | व्यापमं घोटाला | एमपी व्यापमं घोटाला | व्यापमं घोटाला केस | पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट

FAQ

नम्रता डामोर कौन थी?
नम्रता डामोर झाबुआ जिले के मेघनगर की रहने वाली एक होशियार और महत्वाकांक्षी छात्रा थी, जो इंदौर के सरकारी मेडिकल कॉलेज में पढ़ाई कर रही थी। वह एक साधारण परिवार से थी, लेकिन डॉक्टर बनने का सपना लेकर उसने कठिन मेहनत की थी। उसकी मौत ने न सिर्फ उसके परिवार को झकझोर दिया, बल्कि पूरे मध्यप्रदेश और देश में व्यापमं घोटाले के काले अध्याय को उजागर किया। नम्रता की मौत की गुत्थी व्यापमं घोटाले से जुड़ी हुई मानी जाती है, और यह मामला आज भी अनसुलझा है।
व्यापमं घोटाले से नम्रता डामोर का क्या कनेक्शन था।
नम्रता डामोर का नाम व्यापमं (व्यावसायिक परीक्षा मंडल) घोटाले में इसलिए आया क्योंकि वह उन 90 उम्मीदवारों में शामिल थी, जिनके पीएमटी (प्री-मेडिकल टेस्ट) 2010 में फर्जी तरीके से पास करने के आरोप में एडमिशन रद्द किए गए थे। वहीं उसकी रहस्यमयी मौत के कारण मामला सीबीआई को सौंपा गया था।

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