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जबलपुर। नेताजी सुभाष चंद्र बोस मेडिकल कॉलेज से बीएससी नर्सिंग कोर्स पूरा कर चुकी छात्राओं का भविष्य पिछले दो सालों से अधर में लटका हुआ है। ट्रेनिंग पूरी करने के बावजूद अब तक उन्हें न तो अस्पताल में नियुक्ति दी गई और न ही किसी प्रकार के स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी किए गए। इससे आक्रोशित छात्राओं के साथ जबलपुर युवा कांग्रेस ने बुधवार को मेडिकल कॉलेज में प्रदर्शन किया। उन्होंने डीन डॉ. नवनीत सक्सेना से जल्द नियुक्ति की मांग की।
ट्रेनिंग पूरी लेकिन नियम, बॉन्ड बने बेरोजगारी का कारण
साल 2018-19 में व्यापमं से चयनित हुई इन छात्राओं ने चार साल के BSC नर्सिंग कोर्स में प्रवेश लिया था। नियमानुसार, ट्रेनिंग पूरी होने के बाद उन्हें एक वर्ष की नियुक्ति अस्पताल में मिलनी थी। कॉलेज प्रबंधन ने हर छात्रा से 2 लाख रुपए का बॉन्ड भरवाया था।
इस बॉन्ड में शर्त थी कि यदि वे मेडिकल कॉलेज में सेवा नहीं देतीं, तो उन्हें जुर्माने के रूप में पूरी राशि अदा करनी होगी। लेकिन अब, छात्राओं का कहना है कि उन्होंने कोर्स, इंटर्नशिप और ट्रेनिंग 2022-23 में ही पूरी कर ली थी, फिर भी 2 साल से उन्हें कोई नियुक्ति नहीं दी गई। न ही अस्पताल प्रबंधन साफ कर पा रहा है कि उनका भविष्य क्या होगा।
नौकरी कहीं और तो भरना होगा जुर्माना!
छात्राओं का कहना है कि वे अब कहीं और नौकरी के लिए आवेदन करें तो मेडिकल कॉलेज का बॉन्ड उन्हें रोकता है। नौकरी न होने पर भी बॉन्ड के मुताबिक वे मेडिकल कॉलेज में सेवा देने के लिए बाध्य हैं, लेकिन अस्पताल उन्हें नियुक्ति ही नहीं दे रहा। इससे न केवल उनका करियर रुका हुआ है बल्कि मानसिक तनाव भी गहराता जा रहा है।
युवा कांग्रेस ने दी भूख हड़ताल की चेतावनी
युवा कांग्रेस नगर अध्यक्ष विजय रजक ने बताया कि यदि जल्द ही सभी योग्य छात्राओं को नियुक्ति नहीं दी गई तो पार्टी अस्पताल प्रबंधन और सरकार के खिलाफ भूख हड़ताल पर बैठेगी। उन्होंने कहा, “जब इन छात्राओं को ट्रेनिंग के समय बॉन्ड पर हस्ताक्षर कराए गए थे, तो प्रबंधन की भी यह नैतिक जिम्मेदारी बनती है कि उन्हें सरकारी सेवा का अवसर दिया जाए। वरना यह सिर्फ आर्थिक शोषण और धोखाधड़ी कहलाएगा।”
बॉन्ड के जाल में फंसा नर्सिंग करियर
इस पूरे मामले ने स्वास्थ्य शिक्षा नीति पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। जिस उद्देश्य से छात्राओं से बॉन्ड भरवाया गया, अगर वह उद्देश्य ही पूरा नहीं हो पा रहा है, तो यह शिक्षा के नाम पर बंधन जैसा बन गया है। बिना नौकरी के छात्राएं न तो आगे बढ़ पा रही हैं, न ही कहीं और विकल्प चुन पा रही हैं। मेडिकल कॉलेज और राज्य सरकार की अनदेखी के चलते इन छात्राओं का करियर केवल बॉन्ड पेपर पर सीमित रह गया है।
5 पॉइंट्स में समझें पूरी स्टोरी👉 2018-19 में व्यापम से चयनित छात्राओं ने चार साल के बीएससी नर्सिंग कोर्स में प्रवेश लिया था। कॉलेज प्रबंधन ने उन्हें एक साल के लिए अस्पताल में नियुक्ति का वादा किया था। इसके लिए हर छात्रा से 2 लाख रुपये का बॉन्ड भरवाया गया। 👉 छात्राओं ने 2022-23 में अपना कोर्स, इंटर्नशिप और ट्रेनिंग पूरी की थी। हालांकि, उन्हें दो साल से कोई नियुक्ति नहीं मिली है। अस्पताल प्रबंधन उन्हें नियुक्ति देने में असमर्थ है, और छात्राओं का करियर रुक गया है। 👉 युवा कांग्रेस ने अस्पताल प्रबंधन और सरकार के खिलाफ भूख हड़ताल की चेतावनी दी है। विजय रजक ने कहा कि यदि छात्राओं को शीघ्र नियुक्ति नहीं दी जाती, तो इसे धोखाधड़ी और आर्थिक शोषण माना जाएगा। प्रबंधन ने इनसे ट्रेनिंग के दौरान बॉन्ड पर हस्ताक्षर कराए थे। |
मेडिकल प्रशासन से जवाब की मांग
युवा कांग्रेस और छात्राओं ने कॉलेज प्रशासन से यह साफ करने की मांग की है कि आखिर किन कारणों से अभी तक नियुक्ति प्रक्रिया शुरू नहीं हुई और यदि बॉन्ड के अनुसार छात्राएं हॉस्पिटल में सेवा देंगी, तो उनकी नियुक्ति में देरी क्यों हो रही है। छात्राओं का यह भी सवाल है कि यदि नियुक्ति संभव नहीं है, तो क्या बॉन्ड स्वतः अमान्य माना जाएगा?
अब जवाबदेही तय होनी चाहिए
यह मामला केवल जबलपुर तक सीमित नहीं है। पूरे प्रदेश से ऐसे मामले हाईकोर्ट भी पहुंचाते रहे हैं जिनमे नियमों और बॉन्ड के आधार पर चिकित्सा छात्रों की मार्कशीट रोकने और बॉन्ड की रकम वसूली के नोटिस जारी करने जैसे मामले शामिल हैं।
इन मामलों ने स्वास्थ्य शिक्षा व्यवस्था और सरकारी प्रशिक्षण संस्थानों की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़ा किया है। यह तो साफ है कि बॉन्ड के नाम पर छात्राओं को नौकरी के अन्य अवसरों से भी वंचित किया जा रहा है, जो सरासर अन्याय है।
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