BHOPAL. देश में महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा चुनाव के ऐलान के बीच मध्यप्रदेश की उपचुनाव वाली सीहोर जिले की बुदनी और श्योपुर विधानसभा सीट की भी चर्चा है। सत्तारूढ़ दल बीजेपी से तो तय ही है कि मोहन सरकार में वन मंत्री रामनिवास रावत ही श्योपुर से प्रत्याशी होंगे।
बुदनी का अगला विधायक कौन होगा
सवाल तो बुदनी का है। बुदनी का अगला विधायक कौन होगा? शिवराज की विरासत को कौन आगे बढ़ाएगा? फिलहाल बीजेपी और कांग्रेस दोनों तरफ इसी पर मंथन चल रहा है। बीजेपी से चार नाम सामने आए हैं। इनमें भी अप्रत्याशित कोई नहीं है, लेकिन जिस नाम की सबसे ज्यादा चर्चा है, वह है मौजूदा केंद्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान के बेटे कार्तिकेय सिंह चौहान का।
चौहान के समर्थक उन्हें टिकट दिलाने की भरसक कोशिश कर रहे हैं, पर क्या वे बीजेपी के पैरामीटर्स में फिट बैठते हैं? क्या बीजेपी अपनी परिवारवाद की लाइन क्रॉस करके टिकट देगी? क्या सूबे में अंदरूनी तौर पर शिवराज का विरोध करने वाले दिग्गज नेता कार्तिकेय का नाम आगे बढ़ाएंगे? मौजूदा परिदृश्य को देखकर इस बात की संभावना शून्य है। यदि हम नेता पुत्रों को टिकट देने के मामले में पुराने पन्ने पलटेंगे तो कार्तिकेय का नाम बाहर हो जाता है। जानिए कैसे...?
1. विधानसभा चुनाव 2023 में बीजेपी ने कैलाश विजयवर्गीय को जब टिकट दिया तो आकाश का टिकट काट दिया था, जबकि बीजेपी ऐसा न भी करती तो भी इस बात की प्रबल संभावना थी कि आकाश अपनी सीट आराम से निकाल लेते।
2. बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष रहे नंदकुमार सिंह चौहान के बेटे हर्षवर्धन और उनके समर्थकों को उम्मीद थी कि बीजेपी उन्हें टिकट दे देगी, पर ऐसा नहीं हुआ। नतीजतन हर्षवर्धन बगावत पर उतर आए और निर्दलीय चुनाव लड़ा।
3. बालाघाट में बीजेपी ने परिवारवाद की लाइन के अंदर ही गौरीशंकर बिसेन की बेटी मौसम बिसेन को टिकट तो दिया, पर फिर मौसम का टिकट काटकर दोबारा गौरीशंकर बिसेन को ही प्रत्याशी बनाया गया।
4. पांच दशक से बीजेपी की राजनीति कर रहे गोपाल भार्गव अपने बेटे अभिषेक के लिए जोड़ तोड़ कर रहे थे, लेकिन पार्टी ने अभिषेक को टिकट नहीं दिया। लोकसभा चुनाव में अभिषेक का नाम प्रमुखता के साथ सामने आया था।
5. विधानसभा चुनाव के वक्त नरेंद्र सिंह तोमर केंद्रीय कृषि मंत्री थे। उनके बेटे देवेंद्र सिंह तोमर ने ग्वालियर पूर्व विधानसभा सीट से टिकट की दावेदारी की थी, लेकिन बाद में बीजेपी ने नरेंद्र सिंह तोमर से सांसदी लेकर उन्हें विधायक बना दिया था।
लाइन क्रॉस नहीं करेगी बीजेपी
नेता पुत्रों की फेहरिस्त में ये पांच नाम इसलिए मौजूं हैं, क्योंकि शिवराज और कार्तिकेय के साथ भी इसी तरह के समीकरण हैं। लिहाजा, इन मामलों को देखकर यह कहना गलत नहीं होगा कि बीजेपी अपनी परिवारवाद वाली लाइन क्रॉस नहीं करेगी। ऐसे में कार्तिकेय की उम्मीदवार लगभग खत्म सी ही है।
आसान सीट है बुदनी
लाइन क्रॉस न करने के पीछे एक बड़ी वजह यह भी है कि बीजेपी हमेशा से कांग्रेस को परिवारवाद के नाम पर घेरती रही है। शिवराज खुद परिवारवाद की खिलाफत करते रहे हैं। दूसरा, अहम फैक्टर यह है कि बुदनी ऐसी कोई फंसी हुई सीट नहीं है, जिसे जीतने के लिए बीजेपी को कोई भारी भरकम उम्मीदवार उतारना पड़े। सियासी तौर पर यह तय है कि बुदनी और श्योपुर उपचुनाव में बीजेपी को ही जीत मिलेगी। इस तरह बीजेपी अपने सिर परिवारवाद का आरोप नहीं लेना चाहेगी।
शिवराज का हस्तक्षेप नहीं चाहती लीडरशिप
अब सियासी समीकरण भी कार्तिकेय के पक्ष में नजर नहीं आते। एक दिन पहले प्रदेश चुनाव समिति की बैठक में नामों की औपचारिकता हो चुकी है। बुदनी सीट पर मुहर दिल्ली से ही लगेगी। सूत्रों के अनुसार, मौजूदा लीडरशिप किसी भी तरह से नहीं चाहती कि प्रदेश की सियासत में सीधे तौर पर शिवराज का किसी तरह से हस्तक्षेप हो।
चार नामों का पैनल आया सामने
आपको बता दें कि बुदनी से चार नामों का पैनल केंद्रीय नेतृत्व को भेजा गया है। इनमें वन विकास निगम के पूर्व अध्यक्ष गुरुप्रसाद शर्मा, कार्तिकेय सिंह, विदिशा के पूर्व सांसद रमाकांत भार्गव और पूर्व विधायक राजेंद्र चौहान का नाम शामिल है। शिवराज के केंद्रीय मंत्री बनने के बाद से बुदनी सीट खाली है। शिवराज को विदिशा लोकसभा सीट पर पूर्व सांसद रमाकांत भार्गव की जगह टिकट मिला था।
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