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INDORE : बिल्डर मुकेश झवेरी और उनके पुत्र अभिषके झवेरी के खिलाफ जिला उपभोक्ता आयोग ने अहम आदेश जारी किया है। इस आदेश से इंदौर की बड़ी आवासीय टाउनशिप में से एक सिल्वर स्प्रिंग के रहवासियों को राहत मिली है।
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यह थी शिकायत
सिल्वर स्प्रिंग संघर्ष व समन्वय समिति की ओर से आलोक जैन ने आयोग में सिल्वर रियलिटीज एंड इंफ्रा प्रा लि, अभिषेक पिता मुकेश झंवेरी, मुकेश पिता रसिकलाल झवेरी, निगम आयुक्त व संचालक टीएंडसीपी के खिलाफ केस लगाया था। समिति का कहना था कि इन्होंने जो टाउनशिप बनाई, इसमें नक्शे के अनुसार ओवरहेड वाटर टैंक बनाने थे लेकिन उन्होंने भूमिगत टैंक बना दिए। इससे वाटर सप्लाय में लाखों रुपए की बिजली लगती है और साथ ही वाटर सप्लाय भी पूरी तरह से नहीं हो पाता है। यहां करीब 1200 परिवार अभी रह रहे हैं और आगे विस्तार होने पर दो हजार परिवार रहेंगे, ऐसे में टाउनशिप के रहवासी जल समस्या से परेशान है। जबकि यह जिम्मेदार पूरी तरह से बिल्डर व डेवलपर्स झवेरी पिता-पुत्र और उनकी कंपनी की थी। टाउनशिप नायता मुंडला में 139 एकड़ में हैं।
बिल्डर ने यह दिए बहाने
इस मामले में बिल्डर की ओर से आयोग में बहाने दिए गए कि भूमिगत टैंक बनाए गए हैं और जल की कोई समस्या नहीं है। वैसे भी टाउनशिप का काम 2010 में पूरा हो चुका है और कार्य पूर्णता भी जारी हो चुकी है, अब 13 साल बाद इस केस का कोई मतलब नहीं होता है।
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जिला उपभोक्ता आयोग ने यह दिया आदेश
वहीं उपभोक्ता आयोग के अध्यक्ष बीके पलोदा व सदस्य निधि बारंगे ने इस मामले में बिल्डर और उनकी कंपनी को गलत बताया। कहा कि यह उनकी जिम्मेदारी थी और नक्शे में ही था कि ओवरहेड वाटर टैंक बनाने थे लेकिन छोटे-मोटे गड्ढों को भूमिगत टैंक का नाम देकर यह बना दिए गए। इसके कारण रहवासियों को हर माह वाटर सप्लाय में काफी खर्चा आ रहा है। बिल्डर 6 माह के भीतर यह ओवरहेड वाटर टैंक बनाकर दें। साथ ही परिवादी को एक लाख रुपए दिए जाने का आदेश दिया जाता है और 20 हजार परिवाद का व्यय भी दें। मुकेश व अभिषेक झवेरी छह माह में कार्य पूर्ण कर इसकी जानकारी भी आयोग को दें।