इंदौर नगर निगम में बिल्डिंग ऑफिसर व इंस्पेक्टर का खेल, बेवजह शिकायत में आए IAS सिद्धार्थ जैन

बिल्डिंग ऑफिसर ने भवन स्वामी को 17 मई को तीन दिन में अवैध निर्माण हटाने का नोटिस तो दिया लेकिन फिर सांठगांठ कर इस मामले को निचले स्तर पर दबा दिया। अब मामला लोकायुक्त चला गया।

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Sanjay gupta
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INDORE.  इंदौर के नगर निगम में बिल्डिंग ऑफिसर ( बीओ ), बिल्डिंग इंस्पेक्टर ( बीआई ) किस तरह से नोटिस-नोटिस का खेल कर मामले दबाते हैं, इसका बड़ा उदाहरण है लोकायुक्त इंदौर में गया मेंधानी की बिल्डिंग का केस। इस नोटिस-नोटिस के खेल के कारण शिकायत में आईएएस व पूर्व अपर आयुक्त ( वर्तमान में भोपाल में पदस्थ ) सिद्दार्थ जैन का नाम भी उल्लेखित कर दिया गया। कारण यह है कि जैन ने ही मामला संज्ञान में आने पर बिल्डिंग ऑफीसर का कार्रवाई के आदेश दिए थे। दबाव में बिल्डिंग ऑफीसर ने भवन स्वामी को 17 मई को तीन दिन में अवैध निर्माण हटाने का नोटिस तो दिया लेकिन फिर सांठगांठ कर इस मामले को निचले स्तर पर दबा दिया। अब मामला लोकायुक्त चला गया।

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यह है मामला

पूर्व पार्षद दिलीप कौशल ने जोन 13, वार्ड 78 में आईडीए की स्कीम 59 के प्लॉट नंबर 4 पर मेंधानी की बिल्डिंग को लेकर सवाल उठाया। उन्होंने लोकायुक्त में तत्कालीन अपर-आयुक्त आईएएस ऑफिसर सिद्दार्थ जैन, भवन अधिकारी सुनील जादौन, भवन निरीक्षक जोन 13 विशाल राठौर आर्किटेक्ट राहुल शाक्य सहित पूर्व भवन अधिकारियों और जवाबदार अधिकारियों एवं भवन स्वामी मेंघानी, लोकचंद मेंघनी, ज्योति मेंघनी, राजकुमार मेंघनी एवं अन्य के विरुद्ध शिकायत की। इसमें कहा गया कि आईडी के आवासीय उपयोग के इस आवासीय सह व्यावसायिक प्लॉट पर पूरी तरह व्यावसायिक निर्माण कर बेचा दिया गया। इसके लिए मंजूरियां नहीं ली गईं। शिकायतों को अनदेखा किया गया और सूचना के अधिकार में जानकारी भी नहीं दी। 

जैन के आने के पहले जारी हुई मंजूरी

प्लॉट नंबर चार जिसका एरिया 743 वर्गमीटर है, इस पर 24 सितंबर 2020 में भूतल पर व्यावसायिक व बाकी तल पर आवासीय का नक्शा पास हुआ। अपर आयुक्त जैन तब पदस्थ ही नहीं थे। इसलिए वह केस में लिंक नहीं थे। बाद में मौके पर भवन में नक्शे के अनुरूप काम हो रहा है या नहीं, यह देखना बीओ, बीआई व निगम की बिल्डिंग शाखा के जिम्मेदारों को देखना था। लेकिन इस ओर किसी ने देखा तक नहीं, जैसा कि शहर की हजार से ज्यादा बिल्डिंग में हुआ है। उधर जैन ने इस बिल्डिंग पर सख्ती करते हुए कम्पलीशन सर्टिफिकेट व ऑक्यूपेशन सर्टिफिकेट जारी नहीं किया, यानी निगम के कागजों के हिसाब से यह अभी बिल्डिंग पूरी बनी नहीं है और यह अभी भी निर्माणाधीन है। 

अब हुआ नोटिस-नोटिस, सांठगांठ का खेल

इस मामले में जब शिकायत हुई तो जैन के संज्ञान में यह मामला आया कि मल्टी का कमर्शियल यूज किया जा रहा है। उन्होंने अधिकारियों से इसमें कार्रवाई के लिए कहा। इसके बाद बिल्डिंग ऑफीसर जोन 13 ने इसमें मेरा पति लोकचंद मेंधानी, लोकचंद पिता हुकुमचंद मेंधानी, ज्योति पति राजकुमार मेंधानी, राजकुमार पिता लोकचंद मेंधानी व अन्य को नोटिस जारी किया। यह नोटिस 17 मई 2024 को जारी हुआ। इस नोटिस में तीन दिन में नक्शे के विपरीत बने निर्माण को हटाने का आदेश दिया गया, ऐसा नहीं करने पर निगम द्वारा कार्रवाई करने की बात कही गई, लेकिन इसके बाद कुछ नहीं हुआ। वही हुआ जो हमेशा होता है सांठगांठ हो गई और फिर निचले स्तर पर मामले को दबाते हुए कार्रवाई को रोक लिया गया। इस पर शिकायतकर्ता ने मामले को लोकायुक्त को दे दिया और सभी की शिकायत कर दी। 

लोकायुक्त ने बिल्डिंग शाखा के अधिकारियों को नोटिस भेजा

लोकायुक्त इंदौर ने शिकायत के बाद बिल्डिंग शाखा के अधिकारियों को नोटिस जारी कर बयान के लिए बुलाया है। शिकायत में भले ही आईएएस सिद्धार्थ जैन का नाम दिया गया है लेकिन प्रथम दृष्टया उनका मामला नहीं बनता है, इसलिए उन्हें नोटिस नहीं दिया गया है। जांच के बाद लोकायुक्त आगे कार्रवाई करेगा।

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