मी लॉर्ड! बुलडोजर संस्कृति क्या रुकेगी? क्योंकि सरकार घर तो अतिक्रमण के लिए तोड़ती है!

सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर कार्रवाई पर सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि आरोपी होने मात्र से मकान गिराना गलत है। 17 सितंबर को इस मामले की अगली सुनवाई होगी।

Advertisment
author-image
Ravi Kant Dixit
एडिट
New Update
 बुलडोजर संस्कृति
Listen to this article
0.75x 1x 1.5x
00:00 / 00:00

देश में बुलडोजर कार्रवाई पर बवाल मचा हुआ है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में दो दिन पहले ही सरकार को कड़ी फटकार लगाई है। शीर्ष अदालत का कहना है कि 'कोई आरोपी है, सिर्फ इसलिए मकान को कैसे गिराया जा सकता है? अगर वह दोषी है तो भी मकान नहीं गिराया जा सकता।' आरोपियों के घर तोड़े जाने के खिलाफ दायर याचिकाओं पर जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने इस मामले में केंद्र सरकार से विस्तृत जवाब मांगा है। अगली सुनवाई 17 सितंबर को होगी।

ये तो हुई एक बात...। अब बड़ा सवाल यही है कि क्या बुलडोजर प्रथा पर रोक लगेगी? सरकारें सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का शब्दश: पालन करेंगी? बुलडोजर वाला न्याय क्या बंद होगा? इस सब सवालों के जवाब फिलहाल तो न ही हैं। इसके पीछे वजह यह है कि घटना होने पर सरकार आरोपी का घर तोड़ती है, लेकिन उसके पीछे प्रशासन अथवा सरकार के नुमाइंदों के कई तर्क होते हैं। कहा जाता है कि घर अतिक्रमण में था। स्थानीय निकाय से अनुमति नहीं ली गई थी। पहले नोटिस देकर चेताया था... बगैरह...बगैरह। 

अब ऐसे में शीर्ष अदालत के फैसले का कितना पालन होगा, यह सब जानते हैं। द सूत्र ने मध्यप्रदेश में पिछले दिनों हुईं घटनाओं और फिर आरोपियों के घर गिराए जाने का स्कैन किया। इसमें पता चला कि स्थानीय निकायों ने अपने तर्क दिए। कहा गया है कि जिस घटना के बाद आरोपी चर्चित हुआ है, उसका मामला तो अलग है। 

इन चार मामलों से समझिए पूरी कहानी...

केस 01: पुलिस पर पथराव, आरोपी की हवेली मिट्टी में मिलाई 

22 अगस्त 2024: छतरपुर में सिटी कोतवाली पर पथराव के मामले में पुलिस ने मुख्य आरोपी कांग्रेस के पूर्व जिला उपा हाजी शहजाद अली की हवेली पर बुलडोजर चलवा दिया। हवेली का निर्माण 20 हजार वर्ग फीट में किया गया था। इसकी कीमत करीब 20 करोड़ रुपए आंकी गई। अधिकारियों ने कहा कि उसने नगर पालिका से अनुमति नहीं ली थी। प्रशासन ने शहजाद के भाई पार्षद आजाद अली का घर भी जमींदोज किया है। 

केस 02: बीजेपी नेता की हथेली काटी, कब्जे वाला घर जमींदोज 

4 दिसंबर 2023: इसी दिन विधानसभा चुनाव के नतीजे आए। अगले दिन यानी 5 दिसंबर को भोपाल की जनता कॉलोनी निवासी फारुख राइन उर्फ मिन्नी, असलम, समीर उर्फ बिल्लू, शाहरुख और बिलाल ने साईं बोर्ड के पास बीजेपी कार्यकर्ता देवेंद्र सिंह पर हमला कर दिया। इसमें देवेंद्र की हथेली कट गई। हफ्तेभर पुलिस-प्रशासन ने जांच की और 13 दिसंबर को मोहन यादव सूबे के मुखिया बनाए गए। 14 दिसंबर को आरोपियों के घर गिरा दिए गए। भोपाल नगर निगम के अतिक्रमण अधिकारी प्रतीक गर्ग और हबीबगंज थाना प्रभारी मनीष राज सिंह भदौरिया ने कहा, मकानों के अवैध हिस्से और कब्जे को गिराया गया, क्योंकि बिल्डिंग परमिशन समेत अन्य अनुमतियां नहीं थीं।

केस 03: एएसआई की हत्या, दो आरोपियों के घर तोड़े 

5 मई 2024: शहडोल जिले के ब्यौहारी में अवैध रेत खनन पर कार्रवाई करने पहुंचे एएसआई महेंद्र बागरी की हत्या के बाद प्रशासन ने विजय रावत और उसके साथी सुरेंद्र सिंह का घर जमींदोज कर दिया था। यह मामला देशभर में सुर्खियों में रहा। प्रशासन ने कहा, करीब 15100 वर्ग फीट जमीन से अतिक्रमण मुक्त कराया। इसमें वाहन चालक विजय रावत का 4200 वर्ग फीट का अतिक्रमण खाली कराया। सुरेन्द्र सिंह के दो अलग-अलग स्थानों पर किए गए कब्जे से 10900 वर्ग फीट जमीन कब्जा मुक्त कराई गई। 

केस 04: पशु तस्करी में 11 आरोपियों के घर जमींदोज किए गए 

15 जून 2024: मंडला में पशु तस्करी एवं गोमांस मिलने के मामले में 11 आरोपियों के घर जमींदोज किए गए। पुलिस ने इस मामले में आरोपी वाहिद कुरैशी पर केस दर्ज किया था। बाकी 10 आरोपियों के घरों को भी जमींदोज कर दिया गया था। प्रशासन ने कहा, आरोपियों ने सरकारी जमीन पर अवैध रूप से घर बना रखे थे। यहीं गोवंश की खेप रातों रात जबलपुर भेजी जाती थी। कुल मिलाकर भैंसदेही में 30 वर्ष से अवैध बूचड़खाना चल रहा था। 

क्या कहता है घर तोड़ने का लेखा जोखा 

ये चंद उदाहरण हैं। मोहन सरकार में 8 महीने में 50 से ज्यादा स्थानों पर घर तोड़े गए हैं। उधर, दावा है कि वर्ष 2022 में शिवराज सरकार ने 23 हजार एकड़ जमीन को गुंडों और माफियों के कब्जों से मुक्त कराया था। चाहे खरगोन में रामनवमीं के जुलूस पर पथराव का मामला हो या उज्जैन सवारी पर थूकने का मामला...शिवराज सरकार में एक्शन हुआ था। 

12 हजार से ज्यादा अवैध निर्माण तोड़े गए 

शिवराज सरकार में मुक्त कराई गई सरकारी जमीन की कीमत 18 हजार 146 करोड़ रुपए से अधिक है। भू-माफिया, गुंडों और आदतन अपराधियों के 12 हजार 640 अवैध निर्माण तोड़े गए थे। इनमें मकान, दुकान, गोदाम, मैरिज गार्डन, फैक्ट्री आदि शामिल हैं। थोड़े और पीछे चलें तो 18 महीने की कमलनाथ सरकार में सबसे चर्चित कार्रवाई इंदौर में हुई थी। यहां सरकार ने जीतू सोनी के अवैध कब्जों को जमींदोज किया था।

याचिकाकर्ताओं ने बताई बदले की भावना 

ये तो हुई बुलडोजर कार्रवाई की बात। अब आते हैं शीर्ष कोर्ट के मामले पर। दरअसल, 
जमीयत उलेमा-ए-हिंद, राजस्थान के उदयपुर के राशिद खान और मध्यप्रदेश के मोहम्मद हुसैन ने याचिकाएं दायर कर बुलडोजर कार्रवाई पर सवाल खड़े किए हैं। याचिकाओं में आरोप है कि बदले की कार्रवाई के तहत अल्पसंख्यकों के मकान बिना नोटिस गिराए जा रहे हैं। 

इन दो मामलों से समझिए 

मध्यप्रदेश के मोहम्मद हुसैन ने याचिका में कहा है कि प्रशासन ने उसके मकान और दुकान पर अवैध तरीके से बुलडोजर चलाया। उदयपुर के रशिद खान की याचिका में कहा गया है कि उसका मकान जिला प्रशासन ने 17 अगस्त 2024 को ढहा दिया। यह कार्रवाई उदयपुर में भड़की सांप्रदायिक हिंसा के बाद हुई। हिंसा एक मुस्लिम छात्र के कथित तौर पर हिंदू सहपाठी को चाकू मारने के बाद भड़की थी। आरोपी छात्र राशिद खान के मकान में किराए पर रहता था।

क्या सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का असर होगा? 

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव कह चुके हैं कि वे बुलडोजर संस्कृति के पक्ष में नहीं हैं। इस नीति पर और विचार किए जाने की जरूरत है। अब सवाल यही है कि इस मामले में होगा क्या? इसे लेकर मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के अधिवक्ता रवि सिन्हा कहते हैं, वे कहते हैं सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का बहुत ज्यादा असर होगा, मुझे नहीं लगता। उनका आरोप है कि सिर्फ एक वर्ग के लोगों को ही टारगेट कर बुलडोजर चलवाया गया। वे सवाल उठाते हैं कि कई ऐसे बड़े बड़े मामले सामने आए, लेकिन वहां तो बुलडोजर का अता- पता ही नहीं। सरकार कोर्ट को कुछ समझती ही नहीं हैं।

ravikant dixit

thesootr links


 द सूत्र की खबरें आपको कैसी लगती हैं? Google my Business पर हमें कमेंट के साथ रिव्यू दें। कमेंट करने के लिए इसी लिंक पर क्लिक करें

 



 

 

Supreme Court bulldozer action in Madhya Pradesh बुलडोजर कार्रवाई bulldozer action एमपी में बुलडोजर कार्रवाई bulldozer action in mp बुलडोजर संस्कृति Madhya Pradesh Bulldozer Practice