कृषि विभाग का गजब कारनामा, 6 साल से बंद लैब में भेजा 87 लाख का केमिकल

मध्‍य प्रदेश के 5 जिलों में 28 मिट्टी परीक्षण लैब में स्टॉफ की आज तक नियुक्ति नहीं होने से ये लैब छह साल से बंद पड़ी हैं। इसके बाद भी कृषि विभाग ने इन बंद लैबों के लिए 87 लाख रुपए का केमिकल भेज दिया है। जानें हैरान करने वाला मामला

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Vikram Jain
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BHOPAL. अजब गजब मध्य प्रदेश में कृषि विभाग का गजब का कारनामा सामने आया है। प्रदेश के बुंदेलखंड के 5 जिलों में सालों से बंद पड़ी मिट्टी जांच की मिनी लैब (soil testing lab) में 87 लाख रुपए से ज्यादा का केमिकल (Soil Testing Chemicals) भेज दिया गया। तकनीशियन नहीं होने की वजह से 16.24 करोड़ से तैयार की गई ये प्रयोगशालाएं आज तक बंद पड़ी है। हैरानी की बात यह है कि इन बंद पड़ी प्रयोगशालाओं में लाखों का केमिकल 4 महीने से ऐसा ही पड़ा हुआ, जिसकी एक्सपायरी डेट अप्रैल 2025 में है। इन लैबों के चालू होने की कोई उम्मीद भी न के बराबर है, क्योंकि इन लैबों में तकनीशियन नियुक्त नहीं किए गए हैं। अब इस तरह पैसों की बर्बादी का मामला सामने आने के बाद कृषि मंत्री एंदल सिंह कंसाना ने जांच की बात कही है।

लैब बंद फिर भेज दिया लाखों का केमिकल

बुंदेलखंड के सागर, दमोह, छतरपुर समेत 5 जिलों में करोड़ों से बनाई गई 28 मिट्टी परीक्षण लैब पिछले छह साल से बंद पड़ी हैं। यहां लाखों की मशीनें भी धूल खा रही है। भवन भी जर्जर स्थिति में है। इन प्रयोगशालाओं अब तक तकनीशियन नियुक्ति नहीं किए गए हैं। इसके बाद भी कृषि विभाग ने इन बंद लैब में जांच से जुड़ा 87 लाख 21 हजार रुपए का केमिकल भेजा गया। जिसका कोई इस्तेमाल नहीं हो रहा है। इस केमिकल की अधिकतम उपयोगिता अप्रैल 2025 तक समाप्त हो जाएगी। लैब में तकनीशियन नहीं होने के बाद भी लाखों के केमिकल भेजे जाने से कृषि विभाग की कार्य प्रणाली पर सवाल उठे है।

योजना में बने हैं मृदा परीक्षण केंद्र

दरअसल, राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने साल 2017-18 में मध्य प्रदेश के हर ब्लॉक में मृदा परीक्षण केंद्र खोलने के लिए फंड जारी किया था। केंद्र सरकार से मिली राशि से बुंदेलखंड के 5 जिलों में 16.24 करोड़ रुपए की लागत 28 मिट्‌टी जांच केंद्र का निर्माण किया गया था। एक मिनी लैब के निर्माण में 36 लाख रुपए खर्च किए गए थे। सभी लैब में कम्प्यूटर और आधुनिक जांच मशीनें लगाई गई। लैब तो बन तैयार हो गई लेकिन इस लैबों में प्रदेश सरकार ने 6 साल में स्टॉफ पदस्थ नहीं किया। अब ये लैब बंद पड़ी हुई है। चलिए जानते है किस जिले में लैब की कैसी स्थिति

सागर में लैब का भवन खस्ताहाल

सागर के रहली में बनाई मिनी लैब का भवन छह साल में ही खस्ताहाल हो गया है। यहां अव्यस्थाओं का अंबार लगा हुआ है। मिट्टी की जांच के लिए लाई महंगी मशीनें बेकार पड़ी है। भवन की खिड़कियों के कांच टूट गए है। भवन का लोहे का गेट खुला रहता है। सागर जिले में 11 लैब तैयार बनाई हैं, जिसमें से 10 लैब में ताला लटका हुआ है। इन बंद पड़ी लैबों के लिए 45 बॉक्स में 29 लाख 25 हजार रुपए का केमिकल पहुंचा है।

बंद पड़ी लैब में आया लाखों का केमिकल

छतरपुर जिले में बनाए गए में 8 मिट्टी जांच केंद्र में 7 केंद्र पड़े हुए हैं। 7 प्रयोगशालाओं के लिए कृषि विभाग ने 80 बॉक्स में 52 लाख रुपए का केमिकल भेजा है। प्रत्येक बॉक्स की कीमत 65 हजार रुपए बताई जा रही है। वहीं टीकमगढ़ में जिले बंद 3 लैब के लिए 10 किट में 2 लाख का केमिकल पहुंचाया गया। निवाड़ी में भी बनाई गई दोनों बंद पड़ी है।

आज तक ताला तक नहीं खोला

दमोह जिले में 7 में से बंद पड़ी 6 लैब में 14 बॉक्स में 1 लाख 96 हजार का केमिकल आया। जिले की बटियागढ़ लैब का शिलालेख ही टूट चुका है। आज तक ताला तक नहीं खोला गया। यहां भी लैब कम्प्यूटर और जांच उपकरण स्टोर रूम में पड़े-पड़े धूल खा रहे हैं। 

स्टॉफ की कमी की वजह से बंद है लैब

मध्य प्रदेश के कृषि मंत्री एंदल सिंह कंसाना ने इस मामले की जांच कराने का आश्वासन दिया है। उन्होंने कहा कि लैब बंद होने पर केमिकल भेजना गलत है और इसकी जांच की जाएगी। उन्होंने यह भी बताया कि लैब्स के संचालन के लिए स्टॉफ की कमी है और इसके लिए वित्त विभाग को प्रस्ताव भेजा गया है।

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