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मध्य प्रदेश के बुरहानपुर जिले मे स्थित बीबी की मस्जिद जिसे बीबी साहेबा मस्जिद के नाम से भी जाना जाता है । इसे राष्ट्रीय महत्व के स्मारक के रूप में सूचीबद्ध किया गया है । इतिहासकारों के अनुसार मस्जिद का निर्माण 16वीं शताब्दी में फारुकी वंश के शासनकाल के दौरान हुआ था, यह वही काल था जब बुरहानपुर की जामा मस्जिद का भी निर्माण हुआ था संभवतः इसका निर्माण आदिल खान फारुकी तृतीय की रानी बेगम रुकैया ने करवाया था, जो गुजरात के सुल्तान मुजफ्फर शाह तृतीय की बेटी थीं । इस मस्जिद को साल 1913 मे ऐतिहासिक धरोहर घोषित किया गया था इसके साथ ही बुरहानपुर किले मे स्थित शाह शुजा का मकबरा और नादिर शाह का मकबरा भी ऐतिहासिक धरोहर घोषित किया गया था । साल 1925 में भारत सरकार ने प्राचीन स्मारक तथा पुरातात्विक स्थल और अवशेष अधिनियम 1904 (Ancient Monuments Preservation Act) की धारा 3(1) के अतर्गत इसे संरक्षित करने राजपत्र प्रकाशित हुआ था ।
वक्फ ने पुरातत्व विभाग को बात दिया अतिक्रमकारी
साल 1905 में क का बोर्ड के द्वारा एक नोटिफिकेशन जारी किया गया जिसमें इस संरक्षित ऐतिहासिक मस्जिद को वक्फ बोर्ड की प्रॉपर्टी बता दिया गया। हालांकि इस नोटिफिकेशन को किसी भी पक्ष के द्वारा चैलेंज नहीं किया गया लेकिन 19 जुलाई 2013 में मध्य प्रदेश वक्फ बोर्ड के सीईओ ने पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग को इस जगह को खाली करने का आदेश दिया । इस तरह वक्फ बोर्ड ने पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग को ही अतिक्रमणकारियों बता दिया था जिसके खिलाफ हाई कोर्ट में यह याचिका लगाई गई थी।
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यह इमारतें नहीं हमारा इतिहास और संस्कृति - हाइकोर्ट
मामले की सुनवाई में हाई कोर्ट के जस्टिस जीएस आहलूवालिया ने वक़्फ़ बोर्ड और अन्य प्रतिवादी के अधिवक्ताओं से सवाल किया कि आखिर इस ऐतिहासिक इमारत पर कब्जा लेकर आप क्या करना चाहते हैं। क्योंकि यह संरक्षित इमारत है तो इसे हाथ भी लगाने का किसी को अधिकार नहीं है। जस्टिस अहलूवालिया ने मामले की सुनवाई मैं यह कहा कि यह इमारतें नहीं हमारी संस्कृति और इतिहास हैं। यह उस काल की उत्कृष्ट तकनीकों का उदाहरण हैं। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि जिस समय कंप्यूटर और आज की तकनीक नहीं थी, तब भी ऐसी इमारतें बनाई गई हैं जिसमें गुंबज का मात्र एक पत्थर हिला देने से पूरी इमारत ध्वस्त हो जाएगी तो ऐसी धरोहरों का संरक्षण जरूरी है।
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वक्फ बोर्ड का आदेश और नोटिफिकेशन गैरकानूनी
इस याचिका की सुनवाई मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की जबलपुर बेंच में जस्टिस जी.एस. अहलूवालिया की कोर्ट में हुई। सनी के दौरान पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग की ओर से यह तथ्य रखा गया कि इस मस्जिद को 1904 मैं ही ऐतिहासिक धरोहर घोषित किया जा चुका है और इसका राज पत्र भी साल 1925 में प्रकाशित हो चुका है। और इस तरह वक़्फ़ बोर्ड के द्वारा 1995 मैं बने वक्त एक्ट के अंतर्गत जारी किया गया नोटिफिकेशन असंवैधानिक है। कोर्ट ने इस मामले में आदेश देते हुए यह कहा कि वक़्फ़ बोर्ड के द्वारा जारी किया गया नोटिफिकेशन और वक़्फ़ बोर्ड के सीईओ के द्वारा जारी किया गया आदेश दोनों गैर कानूनी हैं । कोर्ट ने बोर्ड के द्वारा जारी किए गए नोटिफिकेशन और आदेश दोनों को स्थगित करते हुए यह साफ किया है कि इस मस्जिद पर वक़्फ़ बोर्ड का अधिपत्य नहीं है।