भोपाल। सतना में जलती पराली के बीच उठा बवंडर आग का गोला बन गया। तेजी से आगे बढ़ते इस बवंडर की चपेट में आने से एक महिला बुरी तरह झुलस गई। जिसने बाद में इलाज के दौरान अस्पताल में दम तोड़ दिया।
यह हैरान करने वाली घटना सतना जिले के कोटर ख़म्भरिया गांव की है। यहां एक खेत में गेहूं की फसल कटने के बाद चारों तरफ पराली फैली थी। इसी दौरान करीब एक किमी.दूर किसी खेत में पराली जलाई गई। जलती पराली के बीच ही उठा हवा बवंडर यहां आग व धुंए के गोले में तब्दील हो गया।
यह तेज गति से आगे बढ़ा और अपने खेत में काम कर रही 54 वर्षीय तेजकली सिंह को भी अपने आगोश में ले लिया।
बताया जाता है कि बवंडर की रफ्तार इतनी तेज थी कि तेजकली इसकी चपेट में आने से खुद को बचा न सकी। वह कुछ समझ पाती इससे पहले ही बवंडर ने उसे अपने आगोश में ले लिया। इसमें वह 80 प्रतिशत तक झुलस गई। उसे गंभीर हालत में रीवा के संजय गांधी हॉस्पिटल ले जाया गया। यहां इलाज के दौरान तेजकली ने दम तोड़ दिया।
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प्रतिबंध बेअसर,50 दिन में 34 हजार केस
दरअसल,मध्य प्रदेश में पराली जलाने पर सरकार का प्रतिबंध बेअसर साबित हो रहा है। मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव पराली जलाने वालों को किसान सम्मान निधि का लाभ नहीं दिए जाने व संबंधित किसानों का अनाल एमएसपी पर नहीं खरीदने की चेतावनी भी दे चुके हैं।
प्रशासन भी ऐसे मामलों में सख्ती दिखा रहा है। किसानों को समझाइश भी दी जा रही है। कुछ जगह,संबंधित किसानों के खिलाफ आपराधिक मामले भी दर्ज किए गए।
बावजूद इसके, किसान पराली जलाने से बाज नहीं आ रहे हैं। सूत्रों के अनुसार, प्रदेश में गेहूं फसल कटाई के बाद बीते 50 दिनों में ही ऐसे करीब 34 हजार मामले सामने आ चुके हैं।
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पराली जलाने में नर्मदापुरम सबसे आगे
सूत्रों के अनुसार,पराली जलाने के मामले में नर्मदापुरम जिले के किसान सबसे आगे हैं। बीते 50 दिनों में जिले में 5784 घटनाएं दर्ज की गई। 3907 प्रकरणों के साथ दूसरा स्थान विदिशा का है। जो केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान के संसदीय क्षेत्र में में है। चौहान के ही गृह जिला सीहोर भी 2646 प्रकरणों के साथ तीसरे तो रायसेन 2229 केस के साथ चौथे स्थान पर है।
पराली जलाने पर प्रतिबंध को लेकर आईसीएआर यानि इंडियन एग्रीकल्चर रिसर्च इंस्टीट्यूट सैटेलाइट के जरिए इसकी निगरानी शुरू की गई। जिसमें ये आंकड़ें निकलकर आए।
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