संजय शर्मा, BHOPAL. आवारा कुत्ते (stray dogs) अब सेना के नियंत्रण वाले कैंटोनमेंट क्षेत्रों में भी समस्या बन गए हैं और अब कैंटोनमेंट बोर्ड डॉग कंट्रोल और उनके रजिस्ट्रेशन- वैक्सीनेशन के लिए बायलॉज तैयार कर रहा है। इसके लिए रक्षा मंत्रालय के डीजी ऑफिस से सदर्न कमान पुणे तक पत्राचार भी हो चुका है। वहीं गाइड लाइन तैयार होकर लागू करने से पहले ही सागर कैंटोनमेंट बोर्ड ऐसे कुत्तों की नसबंदी का टेंडर जारी कर रेट भी फिक्स कर चुका है। कुत्तों के नियंत्रण के लिए पहली बार रक्षा मंत्रालय की संस्थाओं द्वारा आवारा कुत्तों को नियंत्रित और नियोजित करने का बायलॉज बनाने की यह पहल इन दिनों चर्चा में है।
कैंटोनमेंट बोर्ड डॉग कंट्रोल के लिए बन रही गाइड लाइन
पिछले दिनों में राजधानी भोपाल में डॉग बाइट (dog bite) की कई घटनाएं सामने आई थीं। दो मामलों में तो आवारा कुत्तों के हमले में जख्मी हुए दो बच्चों की जान भी चली गई। अन्य शहरों में भी आवारा कुत्ते बड़ी समस्या बन चुके हैं। प्रदेश के पांच कैंटोनमेंट बोर्ड में भी आवारा कुत्तों के आतंक की शिकायतें आई हैं। जहां ऐसी स्थिति में स्थानीय निकाय कोई प्रभावी मुहिम नहीं चला सके हैं, वहीं रक्षा मंत्रालय के निर्देश पर कैंटोनमेंट बोर्ड डॉग कंट्रोल के लिए पूरी गाइड लाइन ही बनाने में जुट गया है। सागर कैंटोनमेंट द्वारा तैयार किए गए बायलॉज को बोर्ड मीटिंग में भी रखा जा रहा है।
बोर्ड कुत्तों को लेकर बायलॉज खगालने में लगा
कैंटोनमेंट बोर्ड के वाइज प्रेसिडेंट और बीजेपी के प्रदेश मंत्री प्रभुदयाल पटेल ने बताया क्षेत्र में बढ़ते आवारा कुत्तों की संख्या का अनुमान नहीं होने से नियंत्रण करना संभव नहीं हो रहा है और कुत्तों के हमले में जख्मी होने की शिकायतें भी बढ़ रही हैं। इसको लेकर डिफेंस डायरेक्टोरेट नई दिल्ली ने भी प्रदेश के कैंट बोर्डों को निर्देशित किया गया है। हालांकि कैंट बोर्ड रिकॉर्ड में ऐसा कोई गजट नोटिफिकेशन और बाइलॉज नहीं मिला है। अब इसके लिए दो अधिकारियों को नए बायलॉज तलाशने सदर्न कमान और मध्य कमान भेजा गया है। अब कैंटोनमेंट एक्ट 2006 की धारा (290) के प्रावधानों के आधार पर आवारा कुत्तों का वैक्सीनेशन और नियंत्रण सहित पैट डॉग्स के रेजिस्ट्रेशन की गाइड लाइन तैयार की गई है। कैंट की बोर्ड मीटिंग के बाद इसे अप्रूवल के लिए भेजकर लागू किया जा सकता है।
इसलिए भी रोचक है कैंट की डॉग कंट्रोल गाइड लाइन
कैंटोनमेंट बोर्ड रक्षा मंत्रालय के अधीन सिविलियन्स के लिए मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने वाला निकाय है, जो की Municipality की तरह काम करता है। चूंकि बोर्ड के चेयरमैन पद पर सेना के ब्रिगेडियर रैंक के अधिकारी की नियुक्ति की जाती है जबकि सिविलियन्स की ओर से वाइस प्रेसिडेंट और पार्षद होते हैं। चूंकि चेयरमैन सैन्य अफसर होता है और कैंट के संचालन के एक्ट रक्षा मंत्रालय से जुड़े हैं इस वजह किसी भी काम के लिए गाइड लाइन जरुरी होती है। पिछले महीनों में जब प्रदेश सहित देश के अन्य कैंटोनमेंट बोर्ड में डॉग बाईटस के मामले बड़े तो सिविलियन्स और यहां रहने वाले सैन्य परिवारों ने डॉग कंट्रोल की मांग उठाई जिसके बाद अफसरों ने पुराने बाइलॉज तलाशना शुरू किया और जब कोई ड्राफ्ट और नोटिफिकेशन नहीं मिला तो नए नियम तैयार करने दौड़-भाग शुरू की गई।
फिर गाइड लाइन जारी होने से पहले टेंडर क्यों ?
कुत्तों के नियंत्रण और नियोजन के किए कैंटोनमेंट बोर्ड के पास पुराना कोई नोटिफिकेशन नहीं है। इस वजह से डीजी ऑफिस से लेकर कमान मुख्यालय स्तर तक आदेश -निर्देश जारी किए गए हैं। जिसके चलते अब नए बाइलॉज बना रहे हैं। ऐसे में सागर कैंटोनमेंट बोर्ड द्वारा आवारा कुत्तों की नसबंदी के लिए टेंडर जारी करने का मामला सामने आया है। कैंट बोर्ड ने सैन्य यूनिट क्षेत्रों से आवारा कुत्तों को पकड़कर उनकी नसबंदी के लिए पहले GeM पोर्टल पर टेंडर कोट किया था, लेकिन इस तरह की सर्विस पोर्टल पर उपलब्ध नहीं होने से टेंडर सुचना प्रकाशित कराई गई। 19 दिसंबर को छठवीं बार प्रकाशित टेंडर के लिए भी केवल दो फर्म ही सामने आईं जिनकी फाइनेंशियल बिड में 2520 और 2720 रुपए के रेट कोट किए गए हैं। ऐसे में नई गाइड लाइन के लागू होने से पहले जल्दबाजी में कुत्तों की नसबंदी के टेंडर जारी करना सवालों के घेरे में है।