मेरा कातिल ही मेरा मुंसिफ है…
क्या मेरे हक में फैसला देगा…
सुदर्शन फ़ाकिर का ये शेर आज दैनिक भास्कर में प्रकाशित इस कार्टून पर सटीक बैठता है। मगर उससे भी बड़ा सवाल ये है कि आखिर इस कार्टून से संदेश क्या दिया जा रहा है? क्या दैनिक भास्कर को लोकतंत्र की चुनाव प्रक्रिया पर भरोसा नहीं है? या चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर।
चलिए समझते हैं कि कार्टूनिस्ट मंसूर का कार्टून क्या कह रहा है?
तो देखिए, भगवा रंग के कपड़े पहने यह बॉलर दरअसल नरेंद्र मोदी हैं, जिनके पास अपनी घातक बॉलिंग के हथियार के रूप में हैं- NIA, IT, CBI और ED , जैसा कि कांग्रेस और विपक्षी दल आरोप लगा रहे हैं कि मोदी सरकार विपक्ष की आवाज को दबाने के लिए NIA, IT, CBI और ED का दुरुपयोग कर रही है।
अब बात बेटर यानी बल्लेबाज की
INDIA गठबंधन के रूप में डरा, सहमा और फरियादी सा दिखता विपक्ष। जिसके पास बचाव करने के लिए ठीकठाक हेलमेट भी नहींं है। इसके उलट आउट होने यानी हारने की संभावनाएं बढ़ाती 14 विकेट की लंबी लाइन। इसके मायने यह भी हैं कि बॉलर चाहे कितनी भी वाइड बॉल डाले विकेट गिरना तय है। और आखिर में...
अंपायर के रूप में इलेक्शन कमीशन को दिखाया
EC यानी सफेद कपड़े पहने अंपायर के रूप में इलेक्शन कमीशन खड़ा है। जरा EC की उंगलियों पर नजर तो डालिए। मानो NIA, IT, CBI और ED। की बॉल काम करे या न करे, अंपायर ने तय कर लिया है कि आउट तो देकर ही रहूंगा।
दैनिक भास्कर समाचार पत्र समूह पर उठे सवाल
दरअसल सरकारों से सहमति और असहमति लोकतंत्र की खूबसूरती है, मगर आचार संहिता के दौरान इस तरह से प्री-ज्यूडिश होकर ऐसा कार्टून छापना दैनिक भास्कर समाचार पत्र समूह, उसकी संपादकीय नीति और कार्टूनिस्ट की नीयत पर सवाल तो खड़े करती ही है।