मध्य प्रदेश के 690 से अधिक नर्सिंग कॉलेजों की सीबीआई जांच की गई थी, जिसमें केवल 22 प्रतिशत यानी 155 से अधिक नर्सिंग कॉलेजों को ही पात्र पाया गया है। इसी के साथ 40 प्रतिशत यानी 330 से अधिक कॉलेजों को सीबीआई ने अपात्र घोषित कर दिया है। वहीं 35% यानी 200 से अधिक कॉलेजों में कमियां पाई गई हैं।
मान्यता का वितरण गुपचुप तरीके से हुआ
मप्र नर्सिंग काउंसिल द्वारा सत्र 2024-25 के लिए मान्यता का वितरण गुपचुप तरीके से किए जाने का मामला भी सामने आया है। 6 नवंबर को नर्सिंग काउंसिल ( Nursing Council ) द्वारा जारी की गई एक आम सूचना में बताया गया कि कॉलेजों को उनके मान्यता आवेदनों की स्थिति अब उनकी लॉगिन आईडी पर ही उपलब्ध कराई जाएगी।
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छात्र परेशान हुए परेशान
नर्सिंग शिक्षण संस्थान मान्यता नियम 2018 के तहत, नियम 5( 8 ) में यह स्पष्ट है कि नर्सिंग कॉलेजों की मान्यता और निर्णयों की सूची काउंसिल की वेबसाइट पर प्रकाशित करनी चाहिए। हालांकि, इस बार नर्सिंग काउंसिल की रजिस्ट्रार अनीता चांद ने मान्यता प्रमाण पत्र और निर्णयों को गुपचुप तरीके से वितरित करने की तैयारी की जा रही थी। इस बारे में जब अनीता से बातचीत करने का प्रयास किया गया तो उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया। इस स्थिति से नर्सिंग कॉलेजों में असमंजस की स्थिति बनी हुई है। छात्रों को भी यह समझ नहीं आ रहा कि वे प्रदेश के किस नर्सिंग कॉलेज में एडमिशन लें और किस में नहीं।
क्यों की थी जांच
सीबीआई ने मध्य प्रदेश के नर्सिंग कॉलेजों की जांच इसलिए की थी क्योंकि इन कॉलेजों में मान्यता प्रक्रिया को लेकर अनियमितताओं और भ्रष्टाचार की शिकायतें थीं। आरोप थे कि कई नर्सिंग कॉलेजों को मान्यता बिना आवश्यक मानकों और गुणवत्ता के ही दे दी गई थी, जिससे नर्सिंग शिक्षा की गुणवत्ता पर असर पड़ सकता था। इसी कारण सीबीआई ने 690 से अधिक नर्सिंग कॉलेजों की जांच की ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कौन से कॉलेज पात्र हैं और किन कॉलेजों ने मान्यता के लिए नियमों का पालन नहीं किया।
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