10 सरकारी अस्पतालों का होगा निजीकरण, स्वास्थ्य संगठनों ने किया विरोध

सरकारी अस्पतालों के निजीकरण को लेकर स्वास्थ्य संगठनों का बयान आया है। उन्होंने कहा कि 100 बिस्तरों वाले नए मेडिकल कॉलेज खोलने के लिए अस्पतालों को निजी स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं को सौंप देने का कदम जनता के हित में नहीं है।

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Vikram Jain
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BHOPAL. मध्य प्रदेश सरकार ने 10 जिला अस्पतालों को प्राइवेट हाथों में सौंपने का फैसला लिया है। सरकार के इस फैसले का विरोध भी शुरू हो गया है। निजीकरण के विरोध में 10 संगठन एक साथ आगे हैं। संगठनों का कहना है कि 100 बिस्तरों वाले नए मेडिकल कॉलेज खोलने के लिए अस्पतालों को निजी स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं को सौंप देने का कदम जनता के हित में नहीं है। इससे स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता प्रभावित होगी।

इन अस्पतालों को सौंपने की तैयारी

दरअसल 11 जुलाई 2024 को मध्य प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग ने एक अधिसूचना (NIT No. 471/2/ YV/DME/2024) जारी कर 10 जिला अस्पतालों को PPP मॉडल के तहत प्रायवेट करने की बात कही थी। जिन जिला अस्पतालों को निजी संस्थाओं में सौंपने की योजना तैयार की गई है। उनमें बालाघाट, कटनी, मुरैना, पन्ना, खरगोन, भिंड, धार, सीधी, टीकमगढ़ और बैतूल शामिल हैं।

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स्वास्थ्य संगठनों ने फैसले का विरोध

मध्य प्रदेश सरकार के इस फैसले के विरोध भोपाल में स्वास्थ्य संगठनों ने प्रेस वार्ता की। स्वास्थ्य संगठनों का कहना है कि संगठनों का कहना है कि इससे स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता पर प्रभाव पड़ेगा। गरीब लोगों को इलाज नहीं मिलेगा। जिला अस्पतालों के निजी होने से गरीब और जरूरतमंद लोगों के लिए स्वास्थ्य सेवाएं महंगी और दुर्गम हो जाएगी।  संगठनों ने सरकार से आग्रह किया वह सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने पर ध्यान दे, यह सुनिश्चित करे कि वे सरकार के नियंत्रण में हो।

स्वास्थ्य संगठनों ने कहा कि वे स्वास्थ्य सेवाओं के निजीकरण का विरोध करते है। सार्वजनिक-निजी भागीदारी (public Private Partnership) या आउटसोर्सिंग का किसी भी रूप का विरोध करते हैं, इसके बजाय सरकार से आह्वान करते है कि सभी हितधारकों को बुलाकर अपनी सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने पर चर्चा की जाए। यह सुनिश्चित किया जाए कि वह सरकारी नियंत्रण में रहें। यह स्वास्थ्य शासन को बढ़ाने और स्वास्थ्य संकेतकों में सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

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इन संगठनों ने किया विरोध

सरकार के फैसले का विरोध करने वाले संगठनों में गवर्नमेंट ऑटोनॉमस चिकित्सा महासंघ, एमपी मेडिकल ऑफिसर्स एसोसिएशन (MPMOA), ESI, एमपी मेडिकल टीचर्स एसोसिएशन (MPMTA), एमपी जूनियर डॉक्टर्स एसोसिएशन, एमपी कॉन्ट्रैक्चुअल डॉक्टर्स एसोसिएशन, एमपी नर्सिंग ऑफिसर्स एसोसिएशन, आशा सहयोगिनी श्रमिक संघ, राष्ट्रीय स्वास्थ्य अधिकार अभियान और जन स्वास्थ्य अभियान (JSA) शामिल हैं।

फैसले पर फिर से विचार करें सरकार

जन स्वास्थ्य अभियान के प्रतिनिधि अमूल्य निधि ने बताया कि हम राज्य सरकार से आग्रह करते हैं कि वह सार्वजनिक-निजी भागीदारी, निजीकरण और प्रमुख स्वास्थ्य कार्यों को निजी संस्थाओं को आउटसोर्स करने के अपने फैसले पर फिर से विचार करें। उन्होंने 2015 में जोबट सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और अलीराजपुर जिला अस्पताल को दीपक फाउंडेशन को आउटसोर्स करने के निर्णय का हवाला दिया, जिसे बाद में जनहित याचिका के बाद रद्द कर दिया गया था। इसी तरह 2012 में इंदौर के एमवाय अस्पताल के निजीकरण की कोशिश होने पर विरोध हुआ था, जिसके बाद फैसला वापस ले लिया गया था।

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