/sootr/media/media_files/2025/01/23/YLKcNggN3ELETFAjmF38.jpeg)
Chhindwara Collector Sheelendra Singh Photograph: (thesootr)
अडानी के लोगों को जमीन अधिगृहण में दिक्कत न आए इसके लिए छिंदवाड़ा कलेक्टर ने एक नया फरमान जारी कर दिया है। इस फरमान में कहा गया है कि तहसील हर्रई में आने वाले शक्कर-पेंच लिंक संयुक्त परियोजना वाले इलाके में कोई भी ऐसी पोस्ट नहीं की जाएगी जो इस काम अड़चन डाले। गौरतलब है कि उक्त बांध के लिए प्रस्तावित किसानों की जमीन के सर्वे कार्य का प्रयास अधिकृत कंपनी अडानी LCC (JV) के कर्मचारी दो महीने से कर रहे हैं। इस सर्वे के दौरान सर्वे कार्य करने वाले कर्मचारी आरोप लगा रहे हैं कि स्थानीय ग्रामीणों को उकसाकर सर्वे दल को डराया-धमकाया जा रहा है।
दरअसल, मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में प्रस्तावित शक्कर-पेंच लिंक परियोजना को लेकर विवाद और बढ़ गया है। इस विवाद के बीच जिले के कलेक्टर शीलेंद्र सिंह ने सोशल मीडिया पर बांध निर्माण से जुड़ी किसी भी तरह की खबर या वीडियो पोस्ट करने पर रोक लगा दी है। यह आदेश आदिवासी किसानों और स्थानीय लोगों के विरोध प्रदर्शनों के बीच आया है, लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या यह आदेश वाकई कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए है या अडानी के सहयोग के लिए आदिवासी किसानों की आवाज को दबाने का प्रयास?
/sootr/media/media_files/2025/01/23/DjdKlqvn4sCp50jsapbV.jpeg)
सोशल मीडिया पर खबरों को लेकर प्रतिबंध
कलेक्टर शीलेंद्र सिंह ने 12 जनवरी 2025 को आदेश जारी कर सोशल मीडिया पर बांध निर्माण से संबंधित किसी भी प्रकार के मैसेज, वीडियो या भ्रामक खबरें साझा करने पर रोक लगा दी। यह आदेश भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 की धारा 163 के तहत पारित किया गया है। आदेश के मुताबिक, सोशल मीडिया पर ऐसे पोस्ट क्षेत्रीय कानून-व्यवस्था को भंग कर सकते हैं। इस आदेश की कड़ी आलोचना हो रही है। स्थानीय लोग और सामाजिक कार्यकर्ता इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला बता रहे हैं। उनका मानना है कि यह आदेश आदिवासी किसानों की आवाज दबाने और बड़े उद्योगपतियों के हित में लिया गया है। उक्त आदेश का उल्लंघन करने वाले व्यक्ति के विरुद्ध भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा-223 के अंतर्गत कार्यवाही की जावेगी।
इस आदेश के बाद स्थानीय और राजनीतिक स्तर पर भी विरोध की आवाजें उठने लगी हैं। कई संगठन और ग्रामीण नेता इस आदेश को लोकतांत्रिक अधिकारों पर हमला मानते हैं, जबकि प्रशासन इसे कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए जरूरी कदम बता रहा है। शासन की ओर से यह भी कहा गया है कि अगर सोशल मीडिया पर भड़काऊ पोस्ट्स जारी रहते हैं, तो इसका परिणाम क्षेत्रीय शांति और सुरक्षा के लिए खतरनाक हो सकता है।
लोगों ने कहा अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला
कलेक्टर का यह आदेश, जिसे सुरक्षा और कानून व्यवस्था बनाए रखने के उद्देश्य से जारी किया गया है, कुछ लोगों के लिए विवाद का विषय बन गया है। कई लोग इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला मानते हैं, क्योंकि सोशल मीडिया पर रोक लगाने का मतलब है लोगों की विचारों और विरोध की आवाज को दबाना। सवाल यह उठता है कि क्या यह कदम लोकतंत्र में नागरिकों के अधिकारों का उल्लंघन नहीं करता? साथ ही इस फरमान को कलेक्टर के साथ भी जोड़ कर देखा जा रहा है कि अडानी को जमीन अधिगृहण में कोई दिक्कत न आ पाए और उनके कर्मचारियों का काम आसान हो जाए। क्योंकि यह आदेश उस समय आया, जब परियोजना से जुड़े भूमि अधिग्रहण के कार्य के दौरान विरोध और उकसावे की घटनाएं बढ़ने लगी थीं।
शक्कर-पेंच लिंक परियोजना में प्रभावित गांव
प्रस्तावित शक्कर-पेंच लिंक संयुक्त परियोजना के तहत, हर्द बांध के निर्माण की योजना बनाई गई है, जो छिंदवाड़ा जिले की तहसील हर्रई में स्थित है। इस परियोजना के लिए 10 गांवों-कुकरपानी, सियाझिरी, उमरीखुर्द, माड़ोपानी, चुरीकला, सालेबरू, झिरपी, खजरवानी, कुण्डाली और देवरी की भूमि का अधिग्रहण किया जा रहा है। परियोजना का सर्वेक्षण कार्य अडानी एलसीसी (JV) द्वारा किया जा रहा है, लेकिन स्थानीय विरोध और सोशल मीडिया पर प्रचारित विवादों के कारण यह कार्य प्रभावित हो रहा है।
प्रशासन का पक्ष
कलेक्टर का यह आदेश फिलहाल विवादों के घेरे में है और आने वाले दिनों में इसकी कानूनी चुनौतियां सामने आ सकती हैं। हालांकि, प्रशासन का कहना है कि इस आदेश का मुख्य उद्देश्य क्षेत्र में शांति बनाए रखना और परियोजना के कार्य को बिना किसी रुकावट के पूरा करना है। प्रशासन को यह भी उम्मीद है कि इस कदम से स्थानीय विरोध को शांत किया जा सकेगा और भूमि अधिग्रहण का काम सुचारू रूप से चल सकेगा।