छिंदवाड़ा जिले के बिछुआ विकासखंड में भ्रष्टाचार का गंभीर मामला सामने आया है। लोकायुक्त की टीम ने विकासखंड शिक्षा अधिकारी रजनी अगामे को 31 हजार रुपए की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया। यह रकम धनेगांव स्थित शासकीय बालक छात्रावास के अधीक्षक रमेश पराड़कर से मांगी गई थी। यह रिश्वत सितंबर और अक्टूबर माह के कमीशन की पहली किश्त थी। आरोपी अधिकारी ने यह रकम छात्रावासों की सीटर क्षमता (बैड क्षमता) के आधार पर निर्धारित की थी।
यह था पूरा मामला
मामले की शुरुआत तब हुई जब आवेदक रमेश पराड़कर, जो शासकीय बालक छात्रावास धनेगांव के अधीक्षक हैं, उन्होंने लोकायुक्त कार्यालय में शिकायत दर्ज कराई। पराड़कर ने आरोप लगाया कि विकासखंड बिछुआ में उनके समेत 12 अन्य छात्रावास अधीक्षकों से हर महीने उनकी सीटर क्षमता के आधार पर कमीशन मांगा जा रहा है। 50 सीटर छात्रावास के लिए 3 हजार रुपए प्रति माह और 100 सीटर छात्रावास के लिए 6 हजार रुपए प्रति माह की मांग की गई थी।
आरोप के मुताबिक, सितंबर और अक्टूबर माह का कुल कमीशन 96 हजार रुपए निर्धारित किया गया। रमेश पराड़कर ने यह रकम देने से इनकार कर दिया और लोकायुक्त के पुलिस अधीक्षक संजय साहू से शिकायत की। लोकायुक्त ने शिकायत की सत्यता की जांच करने के लिए आवेदक और आरोपी के बीच बातचीत रिकॉर्ड कराई। इस बातचीत में आरोपी ने स्पष्ट रुप से 31 हजार रुपए की पहली किश्त के लिए हामी भरी।
इस तरह हुआ लोकायुक्त का ट्रैप ऑपरेशन
शिकायत की पुष्टि के बाद लोकायुक्त की टीम ने 10 दिसंबर को एक ट्रैप ऑपरेशन की योजना बनाई। टीम ने आरोपी अधिकारी के साथ रकम के लेन-देन का स्थान तय किया और वहां निगरानी रखी। जैसे ही रजनी अगामे ने आवेदक से रिश्वत की राशि ली, लोकायुक्त की टीम ने उन्हें रंगे हाथों पकड़ लिया।
इस दौरान पूरी घटना को कैमरे में रिकॉर्ड किया गया और आरोपिया के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण (संशोधन) अधिनियम 2018 की धारा-7 के तहत मामला दर्ज किया गया। लोकायुक्त ने इस ऑपरेशन को सफलतापूर्वक अंजाम देकर शिक्षा विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार का पर्दाफाश किया।
ट्रैप ऑपरेशन में यह टीम थी शामिल
इस पूरे ऑपरेशन में लोकायुक्त जबलपुर की टीम ने बेहतरीन तालमेल और सटीक योजना का प्रदर्शन किया। ट्रैप दल में इंस्पेक्टर रेखा प्रजापति, इंस्पेक्टर मंजू किरण तिर्की, और इंस्पेक्टर कमल सिंह उईके ने अहम भूमिका निभाई। उनकी सतर्कता और कुशलता से आरोपी को रंगे हाथों पकड़ना संभव हो पाया। लोकायुक्त टीम ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए आरोपी के खिलाफ सख्त कदम उठाए।
भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त संदेश
यह मामला न केवल शिक्षा विभाग बल्कि पूरे प्रशासनिक ढांचे के लिए एक चेतावनी है। आरोपी अधिकारी द्वारा छात्रावास अधीक्षकों से रिश्वत मांगना शिक्षा के क्षेत्र में व्याप्त भ्रष्टाचार की एक कड़ी है। लोकायुक्त की यह कार्रवाई भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने की दिशा में एक मजबूत कदम है। यह घटना दिखाती है कि कैसे भ्रष्ट अधिकारी अपने अधिकार का दुरुपयोग करके ईमानदार कर्मचारियों को परेशान करते हैं।
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